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लोको पायलटों को मिलेगी इंजन में ही यूरिनल केबिन की सुविधा

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Newswrap हिन्दुस्तान, चंदौलीMon, 28 April 2025 02:58 AM
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लोको पायलटों को मिलेगी इंजन में ही यूरिनल केबिन की सुविधा

पीडीडीयू नगर, वरिष्ठ संवाददाता। रेलवे में सेवा दे रहे लोको पायलटों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें लोको इंजनों के केबिन में ही वाटरलेस यूरिनल केबिन की सुविधा मिलेगी। रेलवे ने पीडीडीयू रेल मंडल लोको पायलटों की दिक्कतों को देखते हुए मंडल के 18 लोको इंजनों की केबिन में यूरिनल की सुविधा शुरू की है। इससे लोको पायलटों को काफी सहूलियत होगी। लोको इंजनों में अब तक यूरिनल की सुविधा नहीं होने से जरूरत पड़ने पर महिला और पुरुष लोको पायलटों को जरूरत महसूस होने पर काफी दिक्कत होती है। खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों में काफी परेशानी होती थी। लेकिन रेलवे की ओर से अब यह व्यवस्था शुरू होने से बड़ी राहत मिली है। लोको शेड पीडीडीयू रेल मंडल के लोको पायलटों की सुविधा के लिए रेलवे बोर्ड और आरडीएसओ के निर्देश के अनुसार इलेक्ट्रिक इंजनों में वॉटरलेस यूरिनल लगाए जा रहे हैं। जिससे ड्यूटी के दौरान लोको पायलटों (महिला व पुरुष दोनों) को इंजन से उतरकर बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अब तक लगभग 18 इंजनों में यह व्यवस्था सफलतापूर्वक लगाई जा चुकी है। आने वाले समय में पीडीडीयू बेस के सभी लोको इंजनों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है यूरिनल केबिन

यूरिनल में पैसिव इन्फ्रारेड (पीआईआर) सेंसर होता है। यह एक ऐसा सेंसर है जो इन्फ्रारेड विकिरण में परिवर्तन का पता लगाता है, जो आमतौर पर मानव शरीर द्वारा उत्सर्जित होता है। यह सेंसर यूरिनल को स्वचालित रूप से फ्लश करने के लिए उपयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति यूरिनल के पास होता है। यह वॉटरलेस यूरिनल केवल मानव गतिविधि पर सक्रिय होता है। इसमें सैनिटाइज़र, परफ्यूम स्प्रे, एलईडी लाइट, एग्जॉस्ट फैन और स्पीड कंट्रोल ऑटोमैटिक डोर जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह यूनिट केवल तब खुलेगी जब इंजन रूका होगा। तेज गति में रहते हुए दरवाजा स्वतः लॉक रहेगा।

ऐसे काम करता है काम करता है सेंसर

पीआईआर सेंसर एक पायरोइलेक्ट्रिक सेंसर का उपयोग करता है जो इन्फ्रारेड विकिरण में परिवर्तन का पता लगाता है। जब कोई व्यक्ति यूरिनल के पास होता है, तो उनका शरीर इन्फ्रारेड विकिरण उत्सर्जित करता है, जिससे सेंसर को पता चलता है कि कोई व्यक्ति पास है और फ्लशिंग तंत्र को सक्रिय करता है, जिससे यूरिनल फ्लश हो जाता है। यह स्वचालित होगा जिससे उपयोगकर्ता को हाथ लगाने की आवश्यकता नहीं होती है और यह स्वच्छता में सुधार करता है।

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