चंद्रप्रभा साहित्यिक संस्था की मासिक गोष्ठी संपन्न
चकिया आदित्य पुस्तकालय में रविवार को चंद्रप्रभा साहित्यिक संस्था ने मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित की। क्षेत्रीय कवियों ने अपने काव्य पाठ से लोगों को आकर्षित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और संस्थान के...
चकिया, हिन्दुस्तान संवाद । चकिया आदित्य पुस्तकालय सभागार में रविवार को चंद्रप्रभा साहित्यिक संस्था की ओर से मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्रीय कवियों ने अपने काव्य पाठ के माध्यम से लोगों को खूब गुदगुदाया। काव्य गोष्ठी का शुभारंभ वाणी वंदना से कवि राजेंद्र प्रसाद गुप्त बावरा ने किया। राजेंद्र प्रसाद भ्रमर मगर हमनवाहो हिंद की पहचान हिंदी, विश्व गुरु अगर बनना है तो भ्रमर जान है हिंदी सुनाया। कवि बंधु पाल बंधु ने हिंदी बिंदी भारत माता के शान हउवै ना, हिंद क पहचान हउवै ना सुनाकर देश भक्ति का एहसास कराया। कवि शिवदास अनपढ़ ने हिंदी हिंदू हिंदुस्तान सुनाया, कवि राजेश विश्वकर्मा राजू ने हिंदी की तो महिमा अति प्यारी,है हर भाषा से न्यारी ए हिंदी, कवि अलियार प्रधान ने हिंदी हिंदू हिंदुस्तान सनातन धर्म हमारा, ए भारत की पावन गौरव लूट रहा हत्यारा सुनाया। कवि राजेंद्र प्रसाद गुप्त बावरा ने नव लय क्षन्द अलंकृत रस की खान हमारी हिंदी ,कवि कृष्ण चंद्र सिंह कृष्ण ने कान्हा फिर से आवा द्रौपदी पुकारत बाटी दुःख में आंसू ढ़ारत बाटी ना सुनाकर द्रोपदी की व्यथा को व्यक्त किया। कवि प्रमोद कुमार नर्मिल ने हर युवा खोया है भाभी जी कि बिंदी में ,आज घनाक्षरी छन्द सुनाता हूं मैं हिंदी में सुनाया। कवि तेजबली अनपढ़ ने हिंदुस्तान की हिंदी भाषा जन जन के मन ध्यान रहे , कवि वसीम ने समा कह रही न ऐसे जलाना, जलू तो यह जल जाए सारा जमाना सुनाया। काव्य गोष्ठी में मुख्य रूप से संजय श्रीवास्तव, शहाबगंज मंडल अध्यक्ष रिंकू विश्वकर्मा, श्रीनाथ, अप्पू, राधेश्याम पाण्डेय आदि मौजूद थे। अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष बेचई सिंह मालिक और संचालन संस्था के सचिव हरिवंश सिंह बवाल ने किया।
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