Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Chairman of Railway Recruitment Board Patna helped in leak of form, sensational revelation of CBI

रेलवे भर्ती बोर्ड पटना के चेयरमैन ने पर्चा लीक में मदद की, सीबीआई का सनसनीखेज खुलासा

  • सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच लखनऊ ने रेलवे भर्ती बोर्ड प्रयागराज की जनरल डिपार्टमेंट कम्पटेटिव परीक्षा (जीडीसीई) का पर्चा लीक होने में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। इस परीक्षा का पर्चा लीक कराने में रेलवे भर्ती बोर्ड पटना के चेयरमैन राजेश कुमार से लेकर कई कर्मचारियों की साठगांठ रही।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानFri, 9 Aug 2024 11:47 PM
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सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच लखनऊ ने रेलवे भर्ती बोर्ड प्रयागराज की जनरल डिपार्टमेंट कम्पटेटिव परीक्षा (जीडीसीई) का पर्चा लीक होने में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। इस परीक्षा का पर्चा लीक कराने में रेलवे भर्ती बोर्ड पटना के चेयरमैन राजेश कुमार से लेकर कई कर्मचारियों की साठगांठ रही। इसमें करीब दो करोड़ रुपये तक की वसूली की गई। हर अभ्यर्थी से चार-चार लाख रुपये वसूले गये। यह परीक्षा छह अगस्त 2021 को आयोजित की गई थी।

सिर्फ अंग्रेजी में ही क्यों तैयार हुआ पर्चा

सीबीआई ने इन्हीं जानकारी के आधार पर गुरुवार को यूपी के पांच और राजस्थान के छह जिलों में ताबड़तोड़ छापे मारे थे। इस मामले में रेलवे के चार कर्मचारियों समेत करीब एक दर्जन लोगों की तलाश की जा रही है। सीबीआई के मुताबिक नियमानुसार दो भाषाओं में पर्चा तैयार किया जाता है। पर चेयरमैन राजेश कुमार ने सिर्फ अंग्रेजी में ही पर्चा बनाया। यह पर्चा अपटेक संस्था के पास भेजा गया जहां अपटेक की गोपनीय टीम ने पर्चे को हिन्दी में अनुवाद किया। इसके बाद ही पर्चा परीक्षा केन्द्रों के लिए छह अगस्त, 2021 की सुबह रवाना किया गया। हालांकि इससे एक दिन पहले पर्चा लीक किया जा चुका था।

अंक ज्यादा होने पर भी चयन नहीं, उठा सवाल

सीबीआई की जांच में इसका भी खुलासा हुआ है कि इंटरनल लेवल इग्जाम में अभ्यर्थी बलराम मीना व शिव कुमार को 100 नम्बर के पर्चे में 94 अंक मिले थे। इसे क्वालीफाई करने के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 40, पिछड़ी व अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को 30 और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को 25 अंक लाने जरूरी होते हैं। इसके बाद भी परिणाम में बलराम व शिव कुमार को फेल दिखा दिया गया था।

रेलवे कर्मचारी भी बने अभ्यर्थी

जांच में यह भी पता चला कि कुछ स्थानों पर रेलवे के कर्मचारी भी अभ्यर्थी बनकर बैठे थे। इन्होंने कुछ लोगों के लिये साल्वर का भी काम किया था। इस दौरान ही दो लोगों भूप सिंह और जितेन्द्र मीना ने पर्चा पाने के लिए रेलवे में तैनात प्रशांत मीना से सम्पर्क किया था। प्रशांत मीना ने रुपये ले लिए थे लेकिन वह परीक्षा में शामिल नहीं हुआ था। भूप व जितेन्द्र बाहरी लोग थे। इनके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं लगा है।

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