बोले बुलंदशहर: फार्मासिस्टों को चाहिए सुविधाओं की बूस्टर डोज
Bulandsehar News - फार्मासिस्टों ने स्वास्थ्य विभाग में अपनी सुरक्षा और काम की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। उन्हें अनियमित काम के घंटे और सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ता है। फार्मासिस्टों ने अपनी समस्याओं का समाधान...
फार्मासिस्ट स्वास्थ्य विभाग की सबसे मजबूत कड़ी है। विभाग की मजबूत कड़ी की नींव कई समस्याओं की वजह से कमजोर हो रही है। फार्मासिस्ट से ड्यूटी चार्ट के हिसाब से काम नहीं कराया जाता। उन्हें कभी भी काम पर बुला लिया जाता हैं। काम के घंटे भी तय नहीं है। कभी 10 तो कभी 18 घंटे तक उनसे काम कराया जाता है। फार्मासिट अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। अस्पताल में मरीज की मौत पर तीमारदार बवाल काट देते हैं। ऐसे में मृतकों के परिवार का गुस्सा फार्मासिस्टों को ही झेलना पड़ता है। अस्पतालों में सुरक्षाकर्मी बराबर तैनात नहीं है। बुलंदशहर जिले में 13 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 53 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 308 सब सेंटर स्थित हैं। जबकि फार्मासिस्टों की संख्या महज 105 है। फार्मासिस्टों ने अपनी सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हम लोगों की जान बचाने के लिए काम करते हैं, लेकिन फार्मासिस्टों की सुरक्षा ही भगवान भरोसे है। सरकारी अस्पतालों में कम से कम सुरक्षा कर्मियों की ड्यूटी तो होनी ही चाहिए, ताकि फार्मासिस्ट सुरक्षित रह सकें। अस्पतालों में इलाज के दौरान अगर किसी मरीज की मौत हो जाती है तो परिजन सबसे पहले इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा काटते हैं। अस्पतालों में फार्मासिस्टों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को तीमारदारों के गुस्से का सामना करना पड़ता है। कई बार सुरक्षा को लेकर पुलिस टीम की अस्पतालों में तैनाती की मांग भी की गई, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ।
फार्मासिस्टों ने बताया कि यूं तो उनकी कई समस्याएं हैं, लेकिन सबसे अहम समस्या महानिदेशालय द्वारा प्रेषित प्रस्ताव के अनुसार फार्मासिस्ट का पद नाम फार्मेसी अधिकारी और चीफ फार्मासिस्ट का पद नाम फार्मेसी अधिकारी किया जाना चाहिए। विशेष कार्याधिकारी फार्मेसी का पद नाम बदलकर सहायक निदेशक फार्मेसी किया जाना चाहिए। एलोपैथिक चिकित्सकों की अनुपस्थिति में फार्मासिस्ट को प्रदान किए जाने वाला प्रभार भत्ता 75 रुपये के स्थान पर 750 रुपये होना चाहिए। 100 बेड के चिकित्सालयों में फार्मासिस्ट और चीफ फार्मासिस्टों के पद के लिए पूर्व में बने मानक के अनुसार ही बेड के चिकित्सालयों का मानक बनाया जाए और सभी चिकित्सालयों में इसी मानक के तहत पदों का सृजन होना चाहिए। कुछ जिलों में सर्जिकल स्टोर का काम लिपिक वर्ग से लिया जाता है, जोकि नियम विरुद्ध है।
प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बढ़नी चाहिए संख्या : फार्मासिस्टों ने कहा कि फार्मासिस्ट के पद सृजन के मानक में भी संशोधन होना चाहिए। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दो और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तीन फार्मासिस्टों की तैनाती का प्रावधान होना चाहिए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहले से चीफ फार्मासिस्ट का पद सृजन है, लेकिन वर्तमान में नए बन रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चीफ फार्मासिस्ट के पद का सृजन नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा ट्रामा सेंटर में फार्मासिस्ट के तीन पद और चीफ फार्मासिस्ट के दो पदों के मानक बनने चाहिए।
कुछ समिति औषधियों का नुस्खा लिखने का मिले अधिकार : फार्मासिस्टों ने बताया कि फार्मेसी की शिक्षा देखते हुए फार्मासिस्टों को प्राथमिक उपचार के साथ कुछ समिति औषधियों का नुस्खा लिखने का अधिकार मिलना चाहिए। ग्रामीण चिकित्सालयों में फार्मासिस्ट से ओपीडी कराई जाती है, जिस कारण विधिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। कई राज्यों में फार्मेसी की शिक्षा को देखते हुए फार्मासिस्टों को सीमित औषधियों का नुस्खा लिखने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे डॉटस, मानसिक रोग क्लीनिक, एनसीडी आदि में दवाओं का वितरण एवं रख-रखाव फार्मासिस्ट द्वारा कराया जाए। इन कार्यक्रमों में औषधी के वितरण एवं रख-रखाव अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा कराई जाती है। जोकि नियम विरूद्ध है। क्योंकि दवाओं का वितरण एवं रख-रखाव सिर्फ फार्मासिस्ट द्वारा ही किया जाता है।
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नियमित ड्यूटी लिस्ट के अनुसार कराया जाए काम
डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संदीप चौधरी ने कहा कि शासन द्वारा निर्धारित ड्यूटी लिस्ट के अनुसार काम कराया जाए लेकिन ऐसा होता नहीं है। जिससे फार्मासिस्टों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे निजात दिलाने के लिए ड्यूटी लिस्ट के अनुसार ही काम कराया जाए। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम कराए जाने चाहिए। ताकि आए दिन होने वाली घटनाओं के कारण दबाव महसूस करने वाले फार्मासिस्टों को इससे निजात मिल सके। समस्याओं का समाधान समय के साथ कराया जाए। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दो पदों के सापेक्ष एक फार्मासिस्ट की ही तैनाती है। चीफ फार्मासिस्ट को दवाओं और रिकॉर्ड का रखरखाव करना होता है, लेकिन एकमात्र फार्मासिस्ट के इमरजेंसी में छुट्टी चले जाने पर दवा वितरण प्रभावित होता है। जिसका खामियाजा तैनात फार्मासिस्ट को भुगतना पड़ता है।
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ड्रग हाउस से वाहन की होनी चाहिए व्यवस्था
डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के सचिव मनोज शर्मा ने बताया कि जिले के विभिन्न चिकित्सालयों में कार्यरत फार्मासिस्टों को जनपदीय ड्रग वेयर हाउस, सीएमएसडी से औषधियों को लाने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा वाहन उपलब्ध नहीं कराया जाता है। साथ ही यदि कोई फार्मासिस्ट अपने खर्च से दवा लेने के लिए जाता है तो उसे खर्चा भी नहीं मिल पाता। दूर-दराज के क्षेत्र से संबंधित फार्मासिस्ट स्वयं के खर्च से एवं स्वयं के वाहन से औषधियां ड्रग वेयर हाउस से लाते हैं। कम-कम वाहनों की व्यवस्था करने का प्रावधान बनाना चाहिए। ऐसा होने से फार्मासिस्टों की समस्याओं का हल हो सकेगा।
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अवकाश लेना नहीं आसान, काम के दबाव से हैं परेशान
फार्मासिस्ट ह्देश कुमार ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तीन पदों के सापेक्ष एक ही पद स्वीकृत है। ऐसे में पुलिस मेडिको लीगल, दुर्घटना, आकास्मिक रोगी आदि के चलते 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं चालू रखने के लिए कम से कम तीन फार्मासिस्ट के पद स्वीकृत किए जाने की आवश्यकता है। जिससे एक मात्र फार्मासिस्ट को भी छुट्टी लेने में आसानी हो। इसकी मांग संगठन के पदाधिकारियों द्वारा पूर्व में भी कई बार उठाई जा चुकी है। लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिल सकी है। परिणामस्वरूप अत्याधिक काम के चलते छुट्टी ना मिल पाने से पारिवारिक जीवन भी प्रभावित होने लगा है। कई बार जरूरी काम के चलते भी अवकाश नहीं मिल पाने की वजह से वह काम छूट जाते हैं।
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हमारी सुनो
फार्मासिस्टों के पदों का सृजन करने की आवश्यकता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तीन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पांच और जिला अस्पताल में कम से कम 18 फार्मासिस्ट होने चाहिए।
-संदीप चौधरी, अध्यक्ष, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन
फार्मेसी की शिक्षा को देखते हुए फार्मासिस्टों को प्राथमिक उपचार के साथ कुछ सीमित औषधियों को लिखने का अधिकार मिलना चाहिए। इससे फार्मासिस्टों को काफी फायदा होगा।
-मनोज शर्मा, मंत्री, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन
नए बन रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चीफ फार्मासिस्ट का पद खत्म किया गया है। जबकि पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में यह पदद सृजन है। इस व्यवस्था को लागू होना चाहिए।
-ह्देश कुमार
एलोपैथिक चिकित्सकों की अनुपस्थिति में फार्मासिस्टों को प्रदान होने वाला प्रभार भत्ता 750 रुपये होना चाहिए। क्योंकि अभी तक यह सिर्फ 75 रुपये ही मिलता है।
-एमडी भारद्वाज
विभिन्न जिलों के जिला चिकित्सालयों, महिला चिकित्सालयों को मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित करने के बाद वहां से कार्यमुक्त किए जा रहे प्रभारी अधिकारी फार्मेसी, चीफ फार्मासिस्टों, फार्मासिस्टों को पद सहित कार्यमुक्त किया जाए।
-एसके बिष्ट
ड्रग वेयर हाउस से जब फार्मासिस्ट अपने खर्च से दवाओं को लाता है तो उसे खर्च नहीं मिल पाता। ऐसे में दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले फार्मासिस्टों को काफी असुविधा होती है।
-प्रदीप शर्मा
ब्लड बैंकों में नियुक्त फार्मासिस्टों के कार्य निर्धारित होने चाहिए। क्योंकि अभी तक ब्लड बैंक में तैनात फार्मासिस्टों के कार्य निर्धारित नहीं है।
-मनीष भारद्वाज
2005 के बाद नियुक्त फार्मासिस्टों की वरिष्ठता के अनुसार सूची बननी चाहिए। महानिदेशालय द्वारा वरिष्ठता सूची बनाने के लिए जिलों से मांगी गई सूचना के प्रारूप में बार-बार परिवर्तन होना गलत बात है।
-दिनेश कुमार
मानव संपदा पोर्टल से मेरिट के आधार पर स्थानातंरण प्रक्रिया होनी चाहिए। लेकिन अधिकारी मनमाने तरीके से इस प्रक्रिया को फार्मासिस्टों पर थोप देते हैं।
-विजय सिंह
विशेष कार्यधिकारी फार्मेसी और संयुक्त निदेशक फार्मेसी के खाली पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया को पूरा कराया जाना चाहिए। इससे काफी राहत मिलेगी।
-पंकज कुमार
सीएमएसडी से औषधियों को सुरक्षित लाने के लिए वाहन की व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि वाहन नहीं होने से फार्मासिस्टों को काफी असुविधा होती है।
-मनोज कुमार
फार्मासिस्टों की ड्यूटी सत्र बनाना चाहिए। क्योंकि अभी तक फार्मासिस्ट को यहीं नहीं पता कि उन्हें कितने घंटे ड्यूटी करनी है।
-मोहम्मद शाहिद
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सुझाव:
1.यदि फार्मासिस्टों के काम के घंटे निर्धारित होंगे तो उनका तनाव दूर किया जा सकता है।
2.कुछ औषधियों को लिखने की अनुमति मिलने से फार्मासिस्टों को राहत दी जा सकती है।
3.ड्रग वेयर हाउस से औषधियों को सुरक्षित लाने के लिए कम से कम दो वाहनों की व्यवस्था हो।
4.सीएचसी में पांच और पीएचसी में कम से कम दो फार्मासिस्टों का पद हो सृजन।
5.नए खुलने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चीफ फार्मासिस्ट का पद बनने से मिलेगी सहूलियत।
शिकायत:
1.फार्मासिस्टों के काम के घंटे तय नहीं होने से आ रही है दिक्कत।
2.औषधियों को लिखने का अधिकारी फार्मासिस्ट को मिलने से सेवाओं में आएगी बढ़ोत्तरी।
3.ड्रग वेयर हाउस से औषधियों को लाने के लिए वाहन और खर्च की कोई व्यवस्था नहीं।
4.सीएचसी और पीएचसी में फार्मासिस्टों के कई पद खाली।
5.नए बनने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कम से कम एक चीफ फार्मासिस्ट हो।
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कोट:
फार्मासिस्टों की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा। उनसे वार्ता कर दिक्कतों को दूर कराया जाएगा। उन्हें किसी भी हालत में परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
-डॉक्टर मंजू अग्रवाल, कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी।
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