बोले बुलंदशहर:::: आयुर्वेद में है दम, घोषित किया जाए इसे राष्ट्रीय पद्धति
Bulandsehar News - बुलंदशहर में आयुर्वेदिक चिकित्सक सरकार से आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित करने और सर्जरी के अधिकार की मांग कर रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि उन्हें झोलाछाप बताकर पेशेवर स्थिति को कमजोर...
बुलंदशहर, संवाददाता। आयुर्वेद के चिकित्सक क्लीनिक संचालित करने के लिए क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय से लाइसेंस लेते हैं। डिग्री पूरी होने पर ही लाइसेंस मिलता है। आयुर्वेद के चिकित्सकों का कहना है कि जब विज्ञान भी मानता है कि आयुर्वेद पद्धति में बेहद दम है तो सरकार इसे राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति क्यों घोषित नहीं करती। चिकित्सकों का कहना है कि हमें 58 सर्जरी करने का अधिकार है, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें केवल क्षारसूत्र की ही अनुमति दी है। उन्हें डिग्रीधारक होने के बाद भी उन्हें झोलाछाप बताकर कार्रवाई कर दी जाती है। यह उनकी पेशेवर स्थिति को कमजोर करता है।
संसाधनों की कमी, आयुर्वेद अस्पताल का जर्जर होना और सरकारी भवन की सुविधा न मिलना और औषधियों के भंडारण की व्यवस्था तक नहीं होना आयुर्वेद चिकित्सकों के सामने कई प्रकार की दिक्कतों को खड़ा करता है। बुलंदशहर में 54 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी संचालित हो रही है। पहले इनकी संख्या करीब 57 थी। जिसमें से 54 पर आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सक काम कर रहे हैं। इसके अलावा जिले में एक राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय भी संचालित हो रहा है। विख्यात वैद्य और हकीम की समृद्ध श्रृंखला जिले में काफी लंबे समय से है। यह वैद्य और हकीम लोगों की नाड़ी देखकर पूरे शरीर की एमआरआई कर देते हैं और सांसों की गर्माहट से शरीर के तापमान का सटीक अनुमान लगा लेते हैं। बांयी और दाहिनी नाक से ली जाने वाली और छोड़ने वाली सांस के आधार पर मर्ज पकड़ लेते हैं। पर अब इनको झोलाछाप कहा जाने लगा है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर हितेश कौशिक ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सकों को भी स्वास्थ्य सेवाओं की मुख्य धारा में शामिल किया जाना चाहिए। आयुर्वेद अस्पताल की दशा किसी से छिपी नहीं है। जब लोगों को सुरक्षा का डर सताएगा तो लोग वहां क्यों जाएंगे। आयुर्वेद चिकित्सक मर्ज जड़ से पकड़ लेते हैं और इलाज कर देते हैं। पर जांच के नाम पर हमारा दोहन शुरू कर दिया जाता है। हम अपनी काबिलियत कोरोना काल में भी साबित कर चुके हैं। जब चिकित्सा सेवा अचानक आए दबाव के आगे डगमगाने लगी थी तब आयुर्वेद ने मरीजों की अथक सेवा करते हुए उन्हें पुनर्जीवन की ओर लौटा लाने में सफलता पाई। इसके बाद भी प्रैक्टिस से जुड़ी समस्याओं के ठोस समाधान की पहल नहीं हुई। केंद्र और प्रदेश सरकारों के स्तर पर आयुष मंत्रालय और विभाग स्थापित हो चुके हैं। वह आज भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह सब तरह की सर्जरी करने के अधिकारों से जूझ रहे। हमें भी सर्जरी का अधिकार मिले साथ ही क्षारसूत्र व पंचकर्म जैसी विधाओं को आगे लाने के लिए सरकारी सिस्टम को हाथ आगे बढ़ना चाहिए। अगर हमको मौका मिले तो समाज में लोग लाइलाज न रहें, हम बेहतर इलाज कर करते भी हैं। लेकिन हमारी ही अनदेखी की जा रही है, हमको डॉक्टर नहीं माना जाता है। लेकिन जो इलाज कराते हैं वह जानते हैं कि उनके इलाज से बीमारी का अंत कैसे और कितनी जल्दी होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार गर्भवती महिलाओं के लिए नॉर्मल प्रसव जैसी व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं है। जिले का आयुर्वेद व यूनानी अस्पताल खुद बीमार है। अंतिम सांसें गिन रहा है। संसाधनों की मांग वर्षों से हो रही है। चिकित्सक इस बात से नाराज हैं कि उन्हें सर्जरी करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। प्रसूताओं की प्रसव से पहले तबीयत बिगड़ जाती है। तब जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है। पीजी आयुर्वेद के विशेषज्ञों को सर्जरी का अधिकार मिले तो वह तत्काल सीजेरियन प्रसव करा जच्चा बच्चा दोनों की जान बचा सकते हैं। केंद्र सरकार के राजपत्र के अनुसार आयुर्वेदिक सर्जन 58 तरह की सर्जरी कर सकते हैं। इसमें जनरल सर्जरी, आंख, कान, नाक, गला आदि की सर्जरी शामिल हैं। हमारे सर्जन ट्रेंड भी हैं लेकिन इसके बाद भी उन्हें सर्जरी का अधिकार नहीं है। ------ विकिरण विज्ञान रेडियोलॉजी की प्रेक्टिस करने की दी जाए अनुमति आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बताया कि हम लोगों को भी विकिरण विज्ञान (रेडियोलॉजी)की प्रेक्टिस करने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा एनआरएचएम में तैनात चिकित्सकों के वेतन में अंतर की विसंगति दूर करने का भी काम सरकार की ओर से होना चाहिए। एनआरएचएम में तैनात संविदा पर चिकित्सकों के वेतन में अंतर की विसंगति को भी दूर होना चाहिए। सभी आयुर्वेद पीएचसी पर पंचकर्म थैरेपिस्ट की नौकरी के नए पदों को सृजित करने के लिए आदेश जारी होना चाहिए। इससे पीएचसी पर आने वाले लोगों की परेशानी काफी हद तक कम हो पाएगी। जो छोटी क्लीनिक एवं 20 शय्या के अस्पताल हैं, उनमें प्रदूषण प्रमाण पत्र की आवश्यकता को समाप्त किया जाए। आयुर्वेद चिकित्सकों के चिकित्सालय में बायो वेस्ट प्रमाणपत्र की आवश्यकता ही नहीं होती। इस प्रथा को समाप्त करने से आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सकों को काफी राहत मिल सकती है। ------ चेक करने का अधिकार सिर्फ आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सकों को मिले आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सकों के जिले में इस समय पांच पद रिक्त चल रहे हैं। इन पदों पर पिछले काफी समय से भर्ती नहीं हो सकी है। यदि इन पदों को भरने का काम किया जाएगा तो लोगों को काफी राहत मिलेगी। जनपद मुख्यालय में होने वाले पंजीकरण नवीनीकरण को एक वर्ष के स्थान पर 5 वर्ष करना चाहिए। साथ ही आयुर्वेद चिकित्सकों को चेक करने का अधिकार सिर्फ आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्साधिकारी को ही होना चाहिए। अभी तक एलोपैथ चिकित्सक इनकी जांच करने के लिए आते हैं, जो नियमानुसार गलत है। सरकारी आयुर्वेद चिकित्सालयों के भवन सुदृढ हालत में होने चाहिए। ---- आयुर्वेद चिकित्सालय में भी मिले आयुष्मान योजना का लाभ आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने बताया कि केंद्र सरकार की गरीब लोगों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त उपचार कराने के लिए आयुष्मान योजना को शुरू किया है। इस योजना का लाभ निजी एवं सरकारी अस्पतालों में ही लोगों को मिल पाता है। उनकी मांग है कि आयुर्वेद चिकित्सालय में भी लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलना चाहिए। आयुर्वेद चिकित्सालय में फार्मासिस्ट के काफी पद रिक्त चल रहे हैं। इन पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। आयुर्वेद चिकित्सालय में विशेषज्ञ पंचकर्म एवं क्षारसूत्र चिकित्सा विशेषज्ञों को बाहर से बुलाकर उनकी चिकित्सा सेवा लेने का भी प्रावधान होना चाहिए। -------- स्कूली पाठ्यक्रम में आयुर्वेद में वर्णित विषय को किया जाए शामिल आयुर्वेद चिकित्सकों ने बताया कि स्कूली छात्रों के पाठ्यक्रम में दिनचर्या और ऋतुचार्य के अध्याय को शामिल किया जाना चाहिए। स्कूली छात्रों के पाठ्यक्रम में आयुर्वेद में वर्णित नैतिक शिक्षा विषय को भी शामिल किया जाए। ऐसा होने से स्कूली छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य काफी बेहतर हो सकता है। इस व्यवस्था से वह छोटी-छोटी बातों पर गलत कदम नहीं उठा सकेंगे। स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में आयुर्वेद में वर्णित वेगधारण के ऊपर जो अध्याय हैं उसको भी शामिल किया जाए। ताकि छोटे-छोटे बच्चों में जो अंग डैमेज हो रहे हैं वह भी नहीं होंगे। इसके अलावा कुपोषण से मुक्ति के लिए आयुर्वेद के अनुसार बच्चों के खान-पान एवं औषधियों के बारे में परिवार को भी बताने का अभियान संचालित होना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के लिए आयुर्वेद के अनुसार आशाओं के साथ मिलकर उनके खान-पान एवं रहन-सहन के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इससे माता एवं संतान के स्वास्थ्य पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। --------- चिकित्सकों के मन की बात विज्ञान भी इस बात को मानता है कि आयुर्वेद में बहुत बड़ी शक्ति है। इसलिए सरकार को अब आयुर्वेद को राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति घोषित कर देना चाहिए। इससे देश की जनता को काफी फायदा मिलेगा। -डाक्टर हितेश कौशिक आयुर्वेद में वर्णित विशिष्ट चिकित्सा पद्धति-अग्निकर्म के चिकित्सा विशेषज्ञों को आयुर्वेद पीएचसी पर बुलाकर उनकी सेवा लेने का काम किया जाए। इससे आम लोगों को काफी फायदा पहुंचेगा। -डाक्टर अंतरिक्ष कुमार मंडलस्तर पर आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों के लिए पञ्चकर्म, क्षारसूत्र एवं अग्निकर्म आदि विशिष्ट चिकित्सा पद्धतियों पर कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए। -डाक्टर शिवकुमार किसान भाइयों की आय बढ़ाने के लिए एवं औषधीय पौधों की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार को कोई प्रभावी योजना चलानी चाहिए। इससे आयुर्वेद चिकित्सा में काफी मदद मिलेगी। -डाक्टर अशोक कुमार शर्मा आयुर्वेद के विशिष्ट सेवायुक्त अधिक से अधिक अस्पतालों का निर्माण करना चाहिए। जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोग आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ ले सकें। -डाक्टर सतीश चंद शर्मा आयुर्वेद चिकित्सालय में आयुर्वेद एएनएम एवं जीएनएम के नए पद सृजित किए जाएं। इससे डिस्पेंसरी में काफी फायदा मिलेगा और रोगियों का आसानी से उपचार हो सकेगा। -डाक्टर सलेक चंद शर्मा किसानों एवं अन्य नागरिकों को सामान्य औषधीय पौधों की रखरखाव एवं उनके प्रयोग के बारे में अभियान समय-समय पर चलाए जाने चाहिए। -डाक्टर सुधीर गुप्ता स्कूली छात्रों के पाठ्यक्रम में दिनचर्या एवं ऋतुचार्य के अध्याय को शामिल किया जाना चाहिए। स्कूली छात्रों के पाठ्यक्रम में आयुर्वेद मे वर्णित नैतिक शिक्षा विषय को भी शामिल करना चाहिए। इससे बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होगा। -डाक्टर बाबू सिंह पांच लाख रुपये तक का मुफ्त उपचार कराने के लिए आयुष्मान योजना को शुरू किया गया है। इस योजना का लाभ आयुर्वेद चिकित्सालय में भी मिलना चाहिए। -डाक्टर राहुल भारद्वाज आयुर्वेद चिकित्सकों की जांच का अधिकारी सिर्फ यूनानी अथवा आयुर्वेद के चिकित्सकों को ही मिलना चाहिए। क्योंकि इस पद्धति के विशेषज्ञ ही चिकित्सकों की कमी और उन्हें क्या आवश्यकता है, इसकी जानकारी रख सकते हैं। -डाक्टर निवेश कुमार आयुर्वेद चिकित्सकों के जिले में काफी पद रिक्त चल रहे हैं। पिछले काफी समय से लगातार इन पदों को भरने की मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक कोई फायदा नहीं हो सका है। -डाक्टर नितिन कुमार जैन आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सकों को 58 प्रकार की सर्जरी करने का अधिकार है। इस पर लगी रोक को तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए। इससे आयुर्वेद पद्धति से जुड़े चिकित्सकों को काफी फायदा होगा। -डाक्टर ललित वर्मा आयुर्वेद पद्धति से जुड़े चिकित्सकों को झोलाछाप बताकर कार्रवाई कर दी जाती है। जो काफी गलत है। इस व्यवस्था में सुधार होना चाहिए। ताकि आयुर्वेद चिकित्सकों को राहत मिल सके। -डाक्टर आकाश वर्मा ---------- सुझाव: 1.आयुर्वेद एवं यूनानी पद्धति के चिकित्सकों को इलाज, जांच आदि की नवीन विधाओं में ट्रेंड किया जाए। 2.जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में इस पद्धति से जुड़े पदाधिकारियों की बुलाया जाए। 3.चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े राष्ट्रीय कार्यक्रमों, अभियान में भी आयुर्वेद और यूनानी डाक्टरों को शामिल किया जाए। 4.जिला स्तर पर डाक्टर का ग्रुप बनाकर उनके क्षार सूत्र, पंचकर्म, सर्जरी संबंधी प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए। 5.औषधियों की उपलब्धता उनके संरक्षण, स्टोरेज व लाइसेंसिंग की व्यवस्था हो। ताकि लोगों को गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध हो। शिकायत: 1.जिले में आयुर्वेद व यूनानी पद्धति के चिकित्सकों को भी मिलना चाहिए नवीन विधा का प्रशिक्षण। 2.जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में बुलाए जाए आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सक। 3.चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अभियान में इन्हें भी करें शामिल। 4.क्षार सूत्र, पंचकर्म और सर्जरी संबंधी प्रशिक्षण की हो बेहतर व्यवस्था। 5.लोगों को गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता के लिए मिले औषधियों की उपलब्धता की बेहतर व्यवस्था। ------ कोट: आयुर्वेद पद्धति से जुड़े चिकित्सकों की जो भी दिक्कत हैं, उन्हें जल्द ही दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही आयुर्वेद पद्धति से जुड़े चिकित्सकों से वार्ता कर उनकी समस्याओं को सुना जाएगा। -डाक्टर भोला सिंह, सांसद, बुलंदशहर -------- प्रस्तुति : गौरव शर्मा, फोटो : विश्वास सांगवान
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