Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़BSP is looking for a strong candidate for UP by-elections, speculation of change in in-charge

बसपा को यूपी उपचुनाव के लिए दमदार उम्मीदवार की तलाश, प्रभारियों के बदलने की अटकलें

मायावती की पार्टी बसपा यूपी विधानसभा उपचुनाव के लिए दमदार प्रत्याशियों की तलाश में लगी है। यही नहीं कमजोर विधानसभा प्रभारियों के बदलने की अटकलें शुरू हो गई हैं। फूलपुर से शिववरन पासी के स्थान पर जितेंद्र ठाकुर को प्रभारी बनाने का संकेत दे दिया गया है।

Deep Pandey हिन्दुस्तानSun, 20 Oct 2024 06:53 AM
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बहुजन समाज पार्टी विधानसभा उपचुनाव पूरी दमदारी से लड़ने की तैयारियों में जुटी है। दमदार प्रत्याशी की तलाश है। इसीलिए पूर्व में घोषित कमजोर विधानसभा प्रभारियों के बदलने की अटकलें शुरू हो गई हैं। फूलपुर से शिववरन पासी के स्थान पर जितेंद्र ठाकुर को प्रभारी बनाने का संकेत दे दिया गया है। बताया जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती इन दिनों विधानसभा उपचुनाव तैयारियों की लगातार समीक्षा कर रही हैं। कोआर्डिनेटरों को बुलाकर अलग-अलग फीड बैक लिया जा रहा है। इसमें उनसे पूछा जा रहा है कि पूर्व में घोषित किए गए विधानसभा प्रभारियों की क्षेत्र में क्या स्थिति है, अच्छी न होने पर दूसरे नामों पर विचार किया जा रहा है।

जातीय समीकरण पर जोर

बसपा ने विधानसभा उपचुनाव में जातीय समीकरण के हिसाब से उम्मीदवारों पर दांव लगाने की रणनीति बनाई है। जातिगत समीकरण के आधार पर ही उम्मीदवारों के नामों का पैनल मांगा गया। अधिकतर सीटों पर बसपा ने विधानसभा प्रभारियों की घोषणा कर रखी है। बसपा इन्हें ही आगे चलकर उम्मीदवार बनाती है। बसपा ने फूलपुर सीट से पासी बिरादरी के शिववरन को विधानसभा प्रभारी घोषित किया था। शिववरन की उम्मीदवारी में कानूनी पेंच फंसता देख पहले उनकी पत्नी को टिकट देने का मन बनाया गया, लेकिन बताया जा रहा है कि अब उनके स्थान पर जितेंद्र ठाकुर को उम्मीदवार बनाने की तैयारी है।

अधिकतर सीटों पर बनाए प्रभारी

बसपा सुप्रीमो ने उपचुनाव के लिए अधिकतर सीटों पर विधानसभा प्रभारी घोषित कर रखा है। कुंदरकी से रफतउल्ला, मझवां दीपू तिवारी, कटेहरी, अमित वर्मा, मीरापुर शाहनजर, गाजियाबाद पीएन गर्ग, करहल अवनीश कुमार शाक्य को प्रभारी बनाया गया है। बसपा सुप्रीमो ने भले ही विधानसभा प्रभारियों की घोषणा कर रखी है, लेकिन वे इनके बारे में लगातार फीड बैक प्राप्त कर रही हैं। कोआर्डिनेटरों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे क्षेत्र में रहें और विधानसभा प्रभारियों की जमीनी हकीकत परखते रहें। बसपा उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना चाहती है, जिससे यह साबित किया जा सके कि उसका आधार वोट बैंक आज भी उसके पास ही है।

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