हमीरपुर में कार नहीं बैलगाड़ी से दुल्हन की विदाई, खुद दूल्हा बना सारथी
- यूपी के हमीरपुर में अनोखी शादी देखने को मिली।दूल्हा अपनी दुल्हन को बैलगाड़ी से विदा कराकर घर ले गया। सभी ने स्वागत किया। पूरे रास्ते उन पर फूल बरसाए। करीब 50 किलोमीटर की दूरी तय कर घर पहुंचे।
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एक विवाह ऐसा भी... जिसमें दूल्हा अपनी दुल्हन को बैलगाड़ी से विदा कराकर घर ले गया। क्या बाराती, क्या घराती दूल्हे के इस कदम का सभी ने स्वागत किया। पूरे रास्ते उन पर फूल बरसाए। यह अनूठी विदाई कराई हमीरपुर के राठ कस्बे के चरखारी रोड निवासी दूल्हे विवेक उर्फ राजा द्विवेदी ने। दरअसल, उनके पिता राजीव उर्फ राजू द्विवेदी की इच्छा थी कि बेटे की विदाई बैलगाड़ी से हो। अपने पिता की इच्छा के सम्मान में ही विवेक महोबा से अपनी पत्नी रोहिणी को बैलगाड़ी से विदा कराकर निकले और करीब 50 किलोमीटर की दूरी तय कर घर पहुंचे। विवेक कहते हैं कि समय बहुत लगा, लेकिन पूरे रास्ते जो उन्होंने अनुभव किया वह शब्दों में बयां नहीं कर सकते।
कस्बे के राजीव द्विवेदी ने अपने बेटे विवेक की शादी महोबा के सूपा गांव निवासी राकेश शुक्ला की बेटी रोहिणी से तय की थी। सोमवार को बरात गई। कन्या पक्ष ने कस्बे के एक पैलेस से सारी रस्में कराईं। सुबह जब विदाई का समय आया तो दूल्हे ने एकाएक बैलगाड़ी की मांग रख दी। पहले तो लोग अचरज में पड़ गए। जब विवेक ने बताया कि यह उनके पिता की इच्छा है तो लोगों ने उनके इस फैसले का स्वागत किया। इसके बाद बैलगाड़ी की व्यवस्था कराई और उसे कार की तरह सजाया गया। इसके बाद दुल्हन बैलगाड़ी में बैठी और दूल्ह ने बैल हांकने शुरू कर दिए। पूरे कस्बे में ही नहीं, बैलगाड़ी जहां से भी गुजरी देखने वालों का मजमा लगा रहा। दुल्हन को लेकर बैलगाड़ी जब विवेक के घर पहुंची तो यहां भी जोरदार स्वागत हुआ।
आधुनिकता की चकाचौंध में खो चुके लोगों के लिए संदेश
दुल्हन को बैलगाड़ी में बैठाने के बाद दूल्हा खुद बैलगाड़ी हांकने लगा। यह नजारा देख सभी दंग रह गए। शादी में शामिल होने महोबा से आए उपेंद्र आदि ने कहा कि 21वीं सदी में इस पारंपरिक तरीके से दुल्हन की विदाई देख मन भर आया। दूल्हे के पिता ने आधुनिकता की चकाचौंध में खो चुके लोगों को अपनी परंपरा से परिचय कराने के लिए सराहनीय कदम उठाया है।
दूल्हा करोड़पति तो दुल्हन कर रही बीटीसी की पढ़ाई
दूल्हे विवेक ने बताया कि पिता ने कहा था कि शादी के बाद दुल्हन की विदाई बैलगाड़ी से होनी चाहिए। उनकी इच्छा के सम्मान के बहाने उन्हें अपनी परंपराओं से अवगत होने का मौका मिला। बहुत अच्छा लगा। वहीं ससुराल पहुंची दुल्हन का बैलगाड़ी से उतरने के दौरान जब फूलों से स्वागत हुआ तो आंखें भर आईं। बता दें, विवेक की खेतों की कीमत करोड़ों रुपये है और रोहिणी बीटीसी कर रही है। इसके बाद भी इन्हें बैलगाड़ी से विदाई कराने में जरा भी हिचक नहीं महसूस हुई।