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यूपी में दलितों के बीच अपने ब्रांड एंबेसडर बनाएगी बीजेपी, वोट बैंक को लेकर नई मुहिम

  • यूपी में लोकसभा चुनाव में नुकसान के बाद अब यूपी बीजेपी वोट बैंक को लेकर चौकन्नी हो गई। भाजपा ने एक नई मुहिम शुरू की है। दलित वर्ग के चेहरों को ही समाज के बीच अपना ब्रांड एंबेडसडर बनाएगी।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊ, राजकुमार शर्माFri, 28 Feb 2025 10:12 AM
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यूपी में दलितों के बीच अपने ब्रांड एंबेसडर बनाएगी बीजेपी, वोट बैंक को लेकर नई मुहिम

लोकसभा चुनाव में झटके के बाद भाजपा दलित वोट बैंक को लेकर चौकन्नी है। पश्चिमी यूपी में बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी में जुटे चंद्रशेखर रावण की गतिविधियों पर भी पार्टी की नजर है। ऐसे में भाजपा ने एक नई मुहिम शुरू की है। पार्टी दलित वर्ग के चेहरों को ही समाज के बीच अपना ब्रांड एंबेडसडर बनाएगी। इसके लिए पार्टी का फोकस दलित समाज के शिक्षित नौजवानों और शिक्षाविदों पर है। राजधानी लखनऊ के भागीदारी भवन से शुरू की गई इस मुहिम को पूरे प्रदेश में ले जाने की तैयारी है।

यूपी में दलितों की बात करें तो इनकी संख्या कुल आबादी में तकरीबन 20 से 22 फीसदी है। जानकारों का कहना है कि विपक्ष के संविधान खत्म करने की चुनावी मुहिम ने यूपी में भाजपा की जीत का अश्वमेध का घोड़ा रोक दिया। तमाम प्रयासों के बावजूद भगवा खेमा दलित वर्ग के बीच विपक्षी मुहिम को पूरी तरह खारिज नहीं कर सका। यही नहीं नीले खेमे के जीरो पर आउट होने से भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ीं। वहीं आजाद समाज पार्टी का खाता खुलने के बाद चंद्रशेखर की गतिविधियों पर भी पार्टी की नजर है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने अपने हालिया दौरे में इसे इंगित भी किया था। अब भाजपा ने सामाजिक न्याय गोष्ठियों के जरिए दलित वर्ग के पढ़े-लिखे लोगों को जोड़ने का अभियान शुरू किया है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने भागीदारी भवन की हालिया संगोष्ठी से इसकी शुरुआत की है।

समाज के चेहरों के जरिए बात पहुंचाने की कवायद

पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दलितों को जोड़ने के लिए पार्टी ने पूरा रोडमैप तैयार किया है। सोच यह है कि दलितों के बीच उसी समाज का पढ़ा-लिखा तबका यदि भाजपा का पक्ष रखेगा तो वह ज्यादा असरकारी होगा। इस वर्ग के ऐसे युवाओं को भी चिन्हित किया जा रहा है, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। बेहद गुपचुप ढंग से की गई भागीदारी भवन की गोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय, आंबेडकर विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों के दलित वर्ग से आने वाले छात्रों और कुछ शिक्षकों को बुलाया गया था।

ये भी पढ़ें:BJP में दो बार के जिलाध्यक्षों को नहीं मिलेगा तीसरा मौका, नए चेहरों को तैयारी

लोकसभा चुनाव में झटके के बाद भाजपा दलित वोट बैंक को लेकर चौकन्नी है। पश्चिमी यूपी में बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी में जुटे चंद्रशेखर रावण की गतिविधियों पर भी पार्टी की नजर है। ऐसे में भाजपा ने एक नई मुहिम शुरू की है। पार्टी दलित वर्ग के चेहरों को ही समाज के बीच अपना ब्रांड एंबेडसडर बनाएगी। इसके लिए पार्टी का फोकस दलित समाज के शिक्षित नौजवानों और शिक्षाविदों पर है। राजधानी लखनऊ के भागीदारी भवन से शुरू की गई इस मुहिम को पूरे प्रदेश में ले जाने की तैयारी है।

यूपी में दलितों की बात करें तो इनकी संख्या कुल आबादी में तकरीबन 20 से 22 फीसदी है। जानकारों का कहना है कि विपक्ष के संविधान खत्म करने की चुनावी मुहिम ने यूपी में भाजपा की जीत का अश्वमेध का घोड़ा रोक दिया। तमाम प्रयासों के बावजूद भगवा खेमा दलित वर्ग के बीच विपक्षी मुहिम को पूरी तरह खारिज नहीं कर सका। यही नहीं नीले खेमे के जीरो पर आउट होने से भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ीं। वहीं आजाद समाज पार्टी का खाता खुलने के बाद चंद्रशेखर की गतिविधियों पर भी पार्टी की नजर है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने अपने हालिया दौरे में इसे इंगित भी किया था। अब भाजपा ने सामाजिक न्याय गोष्ठियों के जरिए दलित वर्ग के पढ़े-लिखे लोगों को जोड़ने का अभियान शुरू किया है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने भागीदारी भवन की हालिया संगोष्ठी से इसकी शुरुआत की है।

समाज के चेहरों के जरिए बात पहुंचाने की कवायद

पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दलितों को जोड़ने के लिए पार्टी ने पूरा रोडमैप तैयार किया है। सोच यह है कि दलितों के बीच उसी समाज का पढ़ा-लिखा तबका यदि भाजपा का पक्ष रखेगा तो वह ज्यादा असरकारी होगा। इस वर्ग के ऐसे युवाओं को भी चिन्हित किया जा रहा है, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। बेहद गुपचुप ढंग से की गई भागीदारी भवन की गोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय, आंबेडकर विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों के दलित वर्ग से आने वाले छात्रों और कुछ शिक्षकों को बुलाया गया था।

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सोशल मीडिया इंफ्लुएंशर भी इसमें शामिल थे। महामंत्री संगठन ने इस संगोष्ठी में समझाया कि कैसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमाम योजनाओं के केंद्र में समाज के अंतिम पायदान के लोग ही हैं। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार भी अटल आवासीय विद्यालय सहित विभिन्न योजनाओं से दलितों-वंचितों के कल्याण पर ही फोकस कर रही है। लखनऊ के इस प्रयोग को अब पार्टी प्रदेश के सभी जिलों में करेगी। इसकी कवायद शुरू कर दी गई है।

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