धर्म और समर्पण की राह पर नारी शक्ति ने बढ़ाए कदम
Bijnor News - कांवड़ यात्रा में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि देखी जा रही है। महिलाएं श्रद्धा और भक्ति के साथ कठिनाइयों को पार करते हुए इस धार्मिक यात्रा में शामिल हो रही हैं। प्रियंका, हेमलता, नैनी देवी, सरोज...
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कांवड़ यात्रा में आस्था भक्ति और समर्पण का संगम देखने को मिल रहा है और कंधे से कंधा मिलाकर श्रद्धा के जज़्बे के साथ आगे बढ़ रही नारी शक्ति को नतमस्तक होने को मन करने लगता है जो कई महिलाएं जो कई वर्षो से कांवड़ लेकर आ रही हैं। पारंपरिक रूप से, कांवड़ यात्रा में पुरुषों की भागीदारी अधिक देखी जाती थी, लेकिन बदलते समय के साथ महिलाओं ने भी इस धार्मिक यात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। वे न केवल इस यात्रा का हिस्सा बन रही हैं, बल्कि पूरे उत्साह और जोश के साथ कठिनाइयों को पार कर रही हैं। जहां एक ओर भगवान भोले नाथ के जयकारो का उद्घोष कानो में भक्तिरस घोल रहा है वहीं नारी शक्ति का श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का भाव पुरुषो और युवा वर्ग के लिये एक प्रेरणा स्त्रोत बन रहा है। हर साल की तरह इस बार भी कावड़ यात्रा में युवा, बुजुर्ग और बच्चे जोश और श्रद्धा के साथ कदम से कदम मिलाकर गंगाजल लेने निकल पड़े हैं। लेकिन इस बार जो दृश्य विशेष रूप से देखने को मिला, वह था महिलाओं की बढ़ती भागीदारी। ऐसी कई महिलाओं से बात की जो कई वर्षों से पैदल चलकर कांवड़ जाती आ रही हैं।
क्या बोलीं महिला कांवड़िया
प्रियंका उम्र 35 वर्ष निवासी कुंडा काशीपुर ने बताया कि वह कई वर्ष से कांवड़ ला रही है। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का प्रतीक है। जब मन में श्रद्धा और विश्वास होता है, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।
हेमलता उम्र 38 वर्ष निवासी गजरौला का कहना है कि वे आठ साल से कांवड़ लेकर आ रही हैं। सवाल पुरुष या महिला का नहीं हैं सभी को भगवान भोले की ही प्रदान की हुई शक्ति है। कि इतना लम्बा सफर बिना किसी संकट और विघ्न के पूरा हो जाता है।
नैनी देवी उम्र 62 वर्ष निवासी बुलंदशहर पिछले 11 वर्ष से कांवड़ लेकर आ रही हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी आस्था और श्रद्धा के सामने सारी बाधाएं स्वयं ही दूर होती चली जाती हैं। पैदल चल कर इतनी दूरी तय करने के लिए ताकत कहां से आती है नहीं पता।
सरोज देवी उम्र 58 वर्ष निवासी मुबारकपुर मुरादाबाद का कहना है कि वे पिछले 10 वर्षों से कांवड़ लेकर आ रही है। उनका कहना है कि जब कांवड़ कंधे पर रखकर भोले नाथ के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते हैं तो सारी थकान न जाने कहां गायब हो जाती है।
छिंदर कौर उम्र 35 वर्ष निवासी काशीपुर रमपुरा पिछले 5 वर्ष से कांवड़ लेकर आ रही हैं। पहली बार तो उन्हें लगा कि इतना लंबा सफर पैदल कैसे पूरा होगा। लेकिन जब हरिद्वार से गंगा जल लेकर भगवान भोले का नाम लेते हुए आगे चले तो सफर आसान हो गया।
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