पत्नी गुलअफ्शा की जिद ने खत्म कर लिया अपना परिवार
बिजनौर के नहटौर में एक सड़क हादसे में महिला और उसकी दो बेटियों समेत चार लोगों की मौत हो गई। पति और बेटे सहित तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं। गुलअफ्शा ने मेला देखने की जिद की थी। हादसे के बाद परिजनों में...
बिजनौर। नहटौर में सड़क हादसे में महिला उसकी दो बेटियों समेत चार लोगों की मौत हो गई, जबकि पति, बेटा समेत तीन लोग घायल हो गए। परिजनों का कहना है कि गुलअफ्शा की जिद ने अपना ही परिवार खत्म कर लिया। गुलअफ्शा ने ही मेला देखने की जिद की थी। उसने आठ दिन पहले ही एक बेटी को जन्म दिया था। चार लोगों की मौत से परिजनों का रो-रो कर बुराहाल है। हादसे के बाद शनिवार सुबह परिजनों और रिश्तेदारों की भीड़ पोस्टमार्टम हाउस पर लगी रही। परिजनों ने बताया कि करीब छह साल पहले गुलअफ्शा और सुल्तान का निकाह हुआ था। आठ दिन पहले की गुलअफ्शा ने अपने तीसरे बच्चे (पुत्री अनादिया) को जन्म दिया था। परिजनों के मुताबिक बेटी को जन्म देने के बाद से ही गुलअफ्शा घूमने की जिद कर रही थी। सुल्तान कई बार घूमाने को लेकर मना कर चुका था। ज्यादा जिद करने पर शुक्रवार को सुल्तान गुलअफ्शा के साथ पूरे परिवार और अपनी बहन को नजीबाबाद में नुमाइश घुमाने ले गया था। गुलअफ्शा से सभी परिजनों ने अभी घर से बाहर निकलने के लिए मना किया था, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। परिवार के चार सदस्यों की मौत से परिजनों पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है।
मौत से जंग लड़ रहे पिता-पुत्र
परिजनों ने बताया कि जिला अस्पताल से सुल्तान और उसके बेटे को निजी अस्पताल भर्ती कराया गया। जहां दोनों जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रहे हैं। दोनों की हालत नाजुक बनी हुई है। वहीं भांजी की स्थिति भी गंभीर है। घरों में सन्नाटा पसरा हुआ है और गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई है।
नहटौर थाने का हिस्ट्रीशीटर है सुल्तान
हादसे में गंभीर घायल सुल्तान नहटौर थाने का हिस्ट्रीशीटर है। सीओ सर्वम सिंह ने बताया कि सुल्तान पर चोरी समेत आधा दर्जन से अधिक कई मुकदमे दर्ज हैं। सुल्तान अपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है।
स्कॉर्पियों का पंजीयन भी हो चुका है समाप्त
सीओ सर्वम सिंह ने बताया कि स्कॉर्पियों 2007 मॉडल की है। जिसका पंजीयन वर्ष 2022 में समाप्त हो चुका है। स्कॉर्पियों दो साल से बिना कागजों के सड़क पर दौड़ रही है। उसकी फिटनेस तक नहीं हुई।
12 साल बाद मायके आई थी चांदबानो
परिजनों ने बताया कि चांदबानो करीब 12 साल बाद अपने मायके आई थी। सुल्तान ने बेटी होने पर बहन चांदबानों को घर बुलाया था। परिजनों का कहना है कि चांदबानों को क्या पता था कि वह अपनी ससुराल जिंदा नहीं जा जाएगी।
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