कालागढ़ में बाघ का आतंक बरकरार
कालागढ़ के आसपास बाघ का आतंक जारी है, जिसने एक के बाद एक दर्जनभर मवेशियों को अपना शिकार बनाया है। ग्रामीण बाघ की आवाजाही से भयभीत हैं और वन विभाग से मदद की गुहार लगा रहे हैं। गन्ने की छिलाई भी बाघ के...
कालागढ़ के आसपास बाघ का आतंक बरकरार है। बाघ एक के बाद एक करके दर्जनभर मवेशियों को निवाला बना चुका है। वहीं वन विभाग बाघ की आवाजाही रोकने में पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है। अफजलगढ़ विकास खण्ड की इस्लामनगर ग्राम पंचायत के तहत पुराना कालागढ़ तथा गांव भिक्कावाला स्थित मुख्य सडक के ईर्दगिर्द बाघ की चहलकदमी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बाघ दर्जनभर पालतू तथा अन्य मवेशियों को निवाला बना चुका है। बुधवार को सुबह गांव भिक्कावाला स्थित चर्च के इर्दगिर्द समीप खेत में बाघ के गुर्राने की आवाज सुनकर भारी संख्या में ग्रामीण तथा राहगीर एकत्र हो गए। शोर शराबा करते खेत में पहुंचे लोगों की नजर वहां मौजूद हिरणों के अधखाए शवों पर पड़ी। इसी दौरान एक बार फिर अचानक बाघ के गुर्राने की तेज आवाज सुनकर लोग खेत से निकलकर सड़क पर वापस आ गए। मौके पर मौजूद प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक बाघ बार बार गुर्राकर खेत में पड़े हिरणों के शवों के समीप जा रहा था तथा आहट होने पर खेत में ही छिप जाता था। घटना से भयभीत ग्रामीणों ने वन विभाग से आबादी वाले इलाकों में बाघ, गुलदार तथा हाथी सहित वन्यजीवों की आवाजाही पर प्रभावी अंकुश लगाने की मांग की है।
बाघ की मौजूदगी से गन्ने की छिलाई पर लगा ब्रेक
अफजलगढ़/बिजनौर। ग्रामीण इलाकों में बाघ की लगातार मौजूदगी से गन्ने की छिलाई खासी प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने वन विभाग से पिंजड़ा लगाकर गांव के इर्दगिर्द मौजूद बाघ को पकड़वाने की मांग की है। बुधवार को गांव भिक्का वाला के आसपास बाघ की मौजूदगी से ग्रामीण भयभीत हैं। बाघ द्वारा खेत में हिरणों को निवाला बनाए जाने की घटना से गन्ने की छिलाई पर ब्रेक लग गया है। बाघ द्वारा हमला किए जाने की आशंका के चलते काफी हद तक लोग गन्ने की छिलाई करने के लिए खेतों में नहीं गए। बुधवार को गांव भिक्कावाला तथा आसपास इलाके में 15 से 20 फीसदी लोग ही गन्ने की छिलाई के लिए खेतों में गए।
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