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अमानगढ़ में गूंजने लगी बाघों के गुर्राने की आवाज

सर्दी के आगाज के साथ बाघ और बाघिन का मिलनकाल शुरू हो जाता है, जो नवंबर से अप्रैल तक चलता है। इस समय बाघ काफी संवेदनशील होते हैं और एकांत में रहना पसंद करते हैं। मादा बाघ नर को आकर्षित करती है और...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरSun, 24 Nov 2024 09:50 PM
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सर्दी का आगाज होते ही बाघ और बाघिन का मिलनकाल शुरू हो जाता है। नवंबर से लेकर अप्रैल तक यह उनका मिलनकाल होता हैं। बाघ इस समय मिलन करते हैं, इस दौरान बाघ बहुत ही संवेदनशील मुद्रा में होते हैं। जो एकांत में रहना पसंद करते हैं इसलिए इनसे जितनी दूरी बनाकर रखेंगे उतना ही बेहतर होगा। प्रजननकाल के समय बाघ-बाघिन जोड़े में रहना पसंद करते हैं। उनके प्राकृतिक वास स्थल घने जंगलो में वनस्पति से ढके हुए होते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ एवं सलाहकार फैजान सलाफी अंसारी ने बताया कि बाघ-बाघिन का मिलनकाल नवंबर से मार्च तक चलता रहेगा। इस समय उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आ जाता हैं। इस दौरान उनके आस पास भटकने से भी गुरेज करना होगा। जरा सी आहट होने पर बाघ आक्रमक हो जाता हैं।

ऐसे में मादा बाघ अपने बच्चों तक से भी दूर ही रहती है, बाघ अपने क्षेत्र को मार्किंग करते हैं। जब मादा बाघ समागम के लिए तैयार होती है, तो वह अपने क्षेत्र में नर को आकर्षित करती है। इसके बाद नर और मादा टाइगर मिलन के लिए तैयार होते हैं। 100-110 दिन बाद बच्चे पैदा होते हैं। फॉरेस्ट स्टाफ, सफारी करा रहे नेचर गाइड और जिप्सी चालक को भी इनसे उतना ही दूर रहना होगा जितना अभी बाघिन अपने बच्चों से दूर है।

कई बाघ और बाघिन के पदचिह्न का एक साथ मिले

अमानगढ़ टाइगर रिजर्व की कई बीट में कई बाघ और बाघिन के पदचिह्न का एक साथ मिलना इस बात की पुष्टि करता है कि बाघ बाघिन साथ हैं। और प्रजनन कर वंशावली बढ़ाने के लिए उत्साहित भी। डब्ल्यू डब्ल्यू एफ टीम के साथ फॉरेस्ट स्टाफ इन दिनों कैमरा ट्रैपिंग कार्य कर रही है। जिसमें टीम को झिरना बीट, रानी नांगल, केहरीपुर और फीका नदी में बाघ के कई जोड़ों की चहलकदमी का पता चला है। वहीं पेट्रोलिंग करने वाले और एंटी पोचिंग चौकी में रह रहे फॉरेस्ट स्टाफ दस्ते का भी मानना है कि शाम होते ही सुनाई बाघों के गुर्राने की आवाज सुनाई देने लगती हैं।

कोट...

सर्दियों के मौसम में बाघों की गतिविधि बढ़ गई है। रेंज में गश्त में तेजी लाई गई है। जंगल सफारी करने आ रहें पर्यटकों से भी जंगल सफारी ने नियम पालन करने व वन्यजीवों से दूरी बनाए रखने की अपील की गई है। -अंकिता किशोर, रेंज अधिकारी अमानगढ़

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