Struggles of Street Vendors in Bijnor Seeking Permanent Spaces and Relief from Harassment बोले बिजनौर : फल ठेली विक्रेता मांगें स्थायी ठिकाना, Bijnor Hindi News - Hindustan
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बोले बिजनौर : फल ठेली विक्रेता मांगें स्थायी ठिकाना

Bijnor News - बिजनौर में फल ठेली विक्रेताओं को स्थाई ठौर न मिलने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। नगरपालिका ने वेंडर जोन बनाए हैं, लेकिन उन्हें आवंटित नहीं किया गया है। ठेली विक्रेताओं पर पुलिस और नपा द्वारा...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरFri, 4 April 2025 06:07 PM
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बोले बिजनौर : फल ठेली विक्रेता मांगें स्थायी ठिकाना

ठेली विक्रेताओं के सामने रोजाना कुआं और खाई वाली स्थिति बनी रहती है। ठेली विक्रेताओं के पास न तो कोई ठौर है और न स्थायी ठिकाना है। ठेली विक्रेताओं के नसीब में खानाबदोश की तरह रोजाना अपनी रोजी-रोटी की तलाश में दर-दर भटकना लिखा है। नगरपालिका ने कुछ वेंडर जोन बनाए जरूर है, मगर अभी तक नगरपालिका ने ठेली विक्रेताओं को अलॉट नहीं किया है। नो वेंडर जोन में जाने पर पालिका और पुलिस दोनों ठेली वालों के चालान करती रहती रहती है। बाजारों में जाम का इल्जाम भी ठेली वालों पर ही लगता है। किसी की दुकान के सामने ठेली खड़ी करने पर उन्हें दुत्कार दिया जाता है। ठेली वालों ने कई बार नगरपालिका से स्थाई ठिकाना देने की गुहार लगाई है।

बिजनौर शहर में करीब 700 फल ठेली विक्रेता मौजूद हैं। जबकि नगरपालिका से करीब 300 ठेली विक्रेता पंजीकृत हैं। फल ठेली विक्रेताओं की अपनी अलग यूनियन नहीं है। वह फल सब्जी फुटकर यूनियन से जुड़े हुए हैं। फल ठेली विक्रेताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। फल ठेली विक्रेताओं की सबसे बड़ी समस्या उनको स्थाई ठौर का न होना है। अधिकांश फल ठेली विक्रेता खानाबदोश हैं। जिनके पास कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। जिनको दिनभर चलते ही रहना है। कुछ विक्रेताओं के पास एक ठिकाना है, लेकिन उनको भी पुलिस व नपा के चालान का डर सताता रहता है। सुबह आढ़त से माल लाना और फिर फलों को ठेले पर सजाकर गली-गली निकलना होता है। फल ठेली विक्रेता समस्याओं से दोचार हो रहे हैं। इनकी समस्या उठाने के बावजूद उनकी समस्याओं का हल दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है। फल ठेली विक्रेता यूनियन के अध्यक्ष दिलशाद अंसारी, सिराजुद्दीन व रईस अहमद का कहना है कि ठेली वालों का नपा व पुलिस प्रशासन हर तरह से उत्पीड़न करता रहता है।

कभी अतिक्रमण के नाम पर, कभी जाम के नाम पर और कभी पालीथिन के नाम पर पुलिस व पालिका प्रशासन दमनात्मक कार्रवाई पर उतर आता है। सड़क पर फल ठेली वालों के साथ पुलिस कभी भी अभद्रता कर देती है। ऐसे में प्रशासन भी उनकी बात को अनसुनी कर देता है। पालिका ने आज तक भी फल ठेली विक्रेताओं को वेंडर जोन बनाकर जगह नहीं दी है। ठेले वालों को जगह आवंटित कर दी जाए तो उन्हें कोई परेशानी न हो।

वेंडर जोन आवंटित हो तो मिले राहत

फल ठेली विक्रेता शुऐब अहमद, धर्मवीर व जीशान का कहना है कि पालिका ने शहर भर में जगह-जगह नो वेंडर जोन के बोर्ड तो लगा दिए है। लेकिन यह कभी नहीं बताया कि यह वेंडर जोन है। यहां पर ठेली विक्रेता बेखौफ अपना कारोबार कर सकता है। नगर पालिका ने कुछ जगह पर वेंडर जोन तो बनाए है, लेकिन उन्हें अभी ठेली विक्रेताओं को आवंटित नहीं किए है। जिससे ठेली विक्रेता इधर-उधर फिरते रहते है। नपा फल ठेली विक्रेताओं को वेंडर जोन आवंटित कर दे तो उन्हें राहत मिले।

पुलिस काटती है माह में दो बार चालान

फल ठेली विक्रेता सुहैल, मौ. उमैर व मौ. रियासत ने कहना है कि सड़क पर ठेली खड़ी करने पर पुलिस माह में उनका दो बार चालान काटती है। कई बार तीन बार भी हो जाता है। एक बार चालान की फीस 150 रूपये होती है। इसके बावजूद उनको अतिक्रमण के नाम पर कभी जाम के नाम पर इधर-उधर भगाया जाता है। कुछ ठेली वालों के पास स्थाई ठिकाना है, तो भी उनका सड़क पर सामान रखने के नाम पर चालान किया जाता है।

बिक्री कम होने पर होता है नुकसान

फल विक्रेताओं का कहना है कि वह मंडी व आढ़ती पर निर्भर रहते है। ऊपर से फलों के दामों में इजाफा होने पर उनको भी दामों में बढ़ोत्तरी करनी पड़ती है। फल महंगा होने पर बिक्री कम हो जाती है। जिससे उनका माल रूक जाता है। फल बासी होने पर उसे कम दाम में बेचना पड़ता है। जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ता है।

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सुझाव-

1. शहर में अलग-अलग स्थानों पर नपा आवंटित करे वेंडर जोन

2. अतिक्रमण के नाम पर न किया जाए फल विक्रेता का उत्पीड़न

3. सड़क किनारे खड़े होने पर न किया जाए परेशान

4. स्थाई ठिकाना मिलने पर व्यस्त इलाके में नहीं होगी परेशानी

5. ठेली वालों को नपा पंजीकरण कर दे सुविधाएं

शिकायतें-

1. वेंडर जोन न होने से फल विक्रेताओं को होती है परेशानी

2. अतिक्रमण के नाम पर पुलिस व नपा करती है ठेली विक्रेताओं का उत्पीड़न

3. स्थाई फल ठेली विक्रेताओं के पास नहीं होती है सफाई

4. नपा नहीं करती है पंजीकरण के लिए ठेली वालों को जागरूक

5. वेंडर जोन बनाने के बाद भी नहीं किए आवंटित

कोट--

ठेली विक्रेता का हर तरह से उत्पीड़न किया जाता है। उनकी समस्या की कोई सुनवाई नहीं होती है। प्रशासन भी उनकी बात को सुनना पसंद नहीं करता है।

सिराजुद्दीन

ठेली विक्रेताओं की सबसे बड़ी समस्या जगह की है। उनको नपा को स्थाई ठिकाना देना चाहिए। - रईस अहमद

फल न बिकने पर अगले दिन खराब हो जाता है। जिससे उसे काफी नुकसान उठाना पड़ता है। - मौ. शुऐब

नो वेंडर जोन के नाम पर फल ठेली विक्रेताओं का नपा व पुलिस उत्पीड़न करती है। उनका मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न हो रहा है। - शुऐब अहमद

नपा को वेंडर जोन बनाकर ठेली विक्रेताओं को आवंटित करना चाहिए। जिससे ठेली वालों को दिक्कत न हो। - धर्मवीर सिंह

पुलिस माह में ठेली विक्रेताओं के कई बार चालान काटती है। जिससे उनका आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। - जीशान

ठेली वालों के पास स्थाई ठिकाना न होने के चलते दुकानदार भी उन्हें अपने आसपास खड़ा नहीं होने देते है। जिससे उनके ग्राहक स्थाई नहीं बन पाते हैं।

सुहैल

नपा ने वेंडर जोन तो बनाए है, लेकिन उनका आवंटन ठेली विक्रेताओं को नहीं किया गया है। जिससे वह भटकने को मजबूर है। - मौ. उमैर

स्थाई ठिकाना न होने के चलते ठेली विक्रेता सड़कों पर गली-गली सामान बेचते है। उनको स्थाई ठिकाना मिलना जरूरी है। - मौ. रियासत

नपा और पुलिस आए दिन ठेली वालों के खिलाफ कार्रवाई करती रहती है। जिससे ठेली वालों के सामने परेशानी खड़ी होती है। - रोहित कुमार

नपा को ठेली विक्रेताओं को पंजीकरण करने के लिए जागरूक करना चाहिए। पंजीकृत ठेली विक्रेताओं को वेंडर जोन में जगह दी जानी चाहिए। - वजीर अहमद

ठेली विक्रेताओं को चलते फिरते सामान बेचना पड़ता है। जिससे उनका स्थाई ग्राहक नहीं बनते है। सामान बचने पर उनको नुकसान उठाना पड़ता है।

मोबीन आलम

क्या बोले जिम्मेदार

नेहरू स्टेडियम के पास वेंडर जोन बनाए गए है। जो आवंटित कर दिए गए है। जल्द उनका शुभारंभ किया जाएगा। दूसरी जगह भी वेंडर जोन बनाए जा रहे है। -

विकास कुमार, अधिशासी अधिकारी बिजनौर

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