मजबूरी में ठिठुरती यात्राएं, बेपरवाह व्यवस्थाएं
Bijnor News - नजीबाबाद में सर्दी में यात्रा करना कठिन हो गया है। रोडवेज बसों में टूटी खिड़कियां और ट्रेन की देरी यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो...
नजीबाबाद। सर्दी के मौसम में यात्रा करना काफी कठिनाई भरा होता है उस पर यदि रोडवेज बसों या ट्रेन में रात का सफर करना हो तो मानों ओखली में सर देने जैसा है। कहावत है कि, ओखली में सर दिया तो मूसल से क्या डरना। सर्दी हो या गर्मी यदि जरूरी है तो यात्रा करनी ही पड़ेगी। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों की खिड़कियों के या तो शीशे टूटे हुए मिलेंगे या खिड़कियों के बीच से छनकर अंदर घुसती सर्द हवाएं शरीर में सिहरन पैदा कर देती हैं और यात्री सफर में ठिठुरने को मजबूर हैं। सबसे अधिक परेशानी महिला, बुजुर्ग, बच्चे व मरीजों को उठानी पड़ रही है। कड़ाके की सर्दी में बस का इंतजार कर रहे यात्रियों ने बताया कि सफर करना जरुरी है, लेकिन रोडवेज को यात्रियों की कोई चिन्ता नहीं है। उन्हें ठिठुरते हुए सफर करना पड़ेगा मजबूरी जो है।
नजीबाबाद डिपो के एआरएम राजेश सिंह ने बताया कि हमारे डिपो की सभी बसों में टूटे शीशे बदलवाने के साथ ही खिड़की व दरवाजों की मरम्मत कराई गई है। साथ ही कोहरे से निपटने के लिए आल बेदर लाइटें लगवाई गई हैं। वर्कशाप से बसों का निरीक्षण कराकर मिलने वाली खामियों को दूर कराने के बाद ही उन्हें रूट पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
ट्रेनों का भी है ठिठुरता हुआ सफर
सुबह व रात के समय सर्दी का सितम अधिक होता है, लेकिन ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों को ठंड से बचाने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। कोहरे के चलते ट्रेने घंटे देरी से चल रही हैं। ट्रेन लेट होने पर उनके स्टेशन पर आने का इंतजार करने वाले यात्रियों को टिकट घर के पास हाल, यात्री प्रतीक्षालय व प्लेटफार्म पर खुले में ठिठुरते हुए देखा जा सकता है। अभी तक रेलवे के स्तर से यात्रियों को सर्दी से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं की है।
रेलवे स्टेशन पर भी बने रैनबसेरा
ठंड बढऩे के साथ यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। गलन भरी ठंड, सर्द हवाएं और उस पर कोहरा रेल यात्रियों के लिए परेशानियों का सबब बन रहा है लेकिन अभी तक रेलवे की ओर से इसके पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। यात्रियों का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर ट्रेन बसेरे का इंतजाम किया जाना चाहिए।
आस्था के सामने बेअसर हो रही ठंड
नजीबाबाद रेलवे स्टेशन पर खुले आसमान के नीचे ट्रेन का इंतजार कर रहे कुछ यात्रियों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे हर मुश्किल का सामना करते हुए कुंभ में स्नान करने पहुंचेंगे।
75 वर्षीय ओम प्रकाश ने बताया कि वे कुंभ में स्नान करने के लिए जा रहे हैं कहा कि ठंड कितनी भी हो, कितनी भी परेशानी हो फिर भी कुंभ में स्नान करने के लिए निकले हैं, वे तीसरी बार कुंभ स्नान करने के लिए जा रहे हैं।
बाकरपुर निवासी राजवीर का कहना है कि सर्दी, गर्मी, बरसात कोई मायने नहीं रखती जब मन में आस्था हो ईश्वर खुद रास्ते बनाते है। जहां तक सुविधा की बात है रेलवे की ओर से ठंड से बचाव के इंतजाम जरुर किए जाने चाहिए।
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