दुर्बल मानसिक स्थिति का सबसे बड़ा जिम्मेदार है डिप्रेशन
बिजनौर में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अवसाद दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और...
बिजनौर। डिप्रेशन यानी अवसाद विश्व भर में दुर्बल मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का कारण बन रहा है। मनोरोग विशेषज्ञों के मुताबिक यह विश्व स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित कर मानसिक बीमार बना दे रहा है। इलाज महत्वपूर्ण है, लेकिन उपचार के साथ स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर मानसिक बीमारियों से दूर रह सकते हैं। जिला अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डा. नितिन कुमार बताते हैं, कि उनके पास माइग्रेन, डिप्रेशन, मिरगी, एंजाइटी डिस्आर्डर जैसे नींद नहीं आना, चिंता घबराहट या तनाव महसूस होना, आत्महत्या का विचार आना आदि विभिन्न रोगी आते हैं। सभी का विस्तृत लक्षणों के आधार पर उपचार करते हैं। इसके बावजूद डिप्रेशन एक ऐसा कारण है जो ढेर सारी मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है। स्वस्थ जीवनशैली के साथ दैनिक जीवन में ये कुछ उपाय अपनाकर इससे दूर रहा जा सकता हैं।
मानसिक स्वास्थ्य को अपनाएं स्वस्थ जीवनशैली
- संतुलित आहार लें। फल, सब्जियाँ, हल्के प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर पौष्टिक आहार का सेवन करें।
- रोजाना सैर करें व नियमित व्यायाम करें। नियमित शारीरिक गतिविधि करने से एंडोर्फिन निकलते हैं, जो प्राकृतिक मूड लिफ्टर होते हैं।
- मजबूत सामाजिक संबंध बनाएं। परिवार और दोस्तों के साथ संपर्क में रहें। संबंध बनाए रखना भावनात्मक समर्थन प्रदान करता है।
- नींद का शेड्यूल नियमित होना चाहिए। प्रति रात 7-9 घंटे की नींद का लक्ष्य रखें और हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने का प्रयास करें। सोने का वातावरण आरामदायक हो।
- मेडिटेशन और योग को दिनचर्या में शामिल करें। यह तनाव को मैनेज करने के साथ ही मूड में सुधार करने में मदद करता है।
- अत्यधिक शराब और नशीली दवाओं का उपयोग डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ा सकता है। इसमें संयम जरूर बरतें।
- शौक और रुचि वाली गतिविधियों चाहे वह पढ़ना हो, खेलना हो, बागवानी हो अथवा पेंटिंग करना हो, इनके लिए समय जरूर निकालें। व्यक्तिगत रुचियों के लिए समय निकालना महत्वपूर्ण है।
अवसाद के लक्षण
- लगातार उदासी, निराशा, या खालीपन का अनुभव।
- ऊर्जा की कमी और जीवन में किसी भी चीज में रुचि का अभाव।
- नींद की समस्या, भूख में बदलाव, और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
- आत्महत्या के विचार या प्रयास।
काम के दबाव से बढ़ रही मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
मनोरोग विशेषज्ञ डा. नितिन कुमार के अनुसार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इस साल का विषय ‘काम पर मानसिक स्वास्थ्य है। बदलते समय के साथ काम का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। जब मानसिक रूप से व्यक्ति स्वस्थ नहीं होता, तो उसका कार्य प्रदर्शन, निर्णय लेने की क्षमता और सहकर्मियों के साथ संबंध प्रभावित होते हैं। भारत में, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, 10.6% वयस्क मानसिक विकारों से जूझते हैं। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा करीब 6.1% है।
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