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खेतों में गन्ना खत्म, गुलदार का आतंक बढ़ा

Bijnor News - चीनी मिलें बंद हो गई हैं और गन्ने के खेत खत्म हो गए हैं, जिससे गुलदार का आतंक बढ़ गया है। जिले में करीब 400 से अधिक गुलदार घूम रहे हैं, जो अब ग्रामीणों पर हमले कर रहे हैं। पिछले ढाई साल में 27 लोगों...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरSun, 4 May 2025 10:52 PM
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खेतों में गन्ना खत्म, गुलदार का आतंक बढ़ा

चीनी मिल बंद हो गई हैं और गन्ना खत्म हो गया है। गुलदार के छिपने का ठिकाना खत्म हो गया है। ऐसे में अब गुलदार के हमले बढ़ रहे हैं। गुलदार ने लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया है। जिले के जंगलों में करीब 400 से अधिक गुलदार घूम रहे हैं। कब किसे गुलदार निवाला बना लें कहना मुश्किल है? गन्ने की फसल बड़ी होने तक गुलदार का आतंक रहेगा। गुलदार का सबसे अच्छा आशियाना गन्ने के खेत है। गुलदार शिकार करने के बाद गन्ने के खेत में आसानी से छिप जाता है। अब दूर-दूर तक गन्ने के खेत नहीं दिख रहे हैं।

ऐसे में गन्ने में छिपकर शिकार करने वाला गुलदार ग्रामीणों के लिए खतरा बन गया है। जिले में गुलदार के हमले बढ़ने लगे हैं। बता दें कि जिले में गुलदार आतंक का पर्याय बन गया है। लोगों पर गुलदार एक के बाद एक हमले कर रहा है। जिले के जंगलों में करीब 400 से अधिक गुलदार घूम रहे हैं। गुलदार गन्ने के खेतों में छिपकर रहता है। गन्ने के खेतों में शिकार करने के साथ बाहर निकलकर हमला कर गन्ने के खेत में छिप जाता है। जिले में चीनी मिल बंद हो गई है। अब दूर दूर तक गन्ने के खेत नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में गुलदार के लिए छिपना आसान नहीं होगा। ऐसे में गुलदार के हमले बढ़ सकते हैं। ग्रामीणों के लिए गुलदार का खतरा बढ़ जाएगा। पिछले ढ़ाई सालों में गुलदार ने जिले में हमला कर 27 लोगों को मार दिया है। वन विभाग की टीम भी पूरी तरह अलर्ट है। गुलदार दिखने और हमले की शिकायत पर वन विभाग की टीम पहुंचकर गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाती है। साथ ही ग्रामीणों को गुलदार के हमलों को लेकर जागरुक भी कर रही है। ग्रामीणों को वन विभाग की एडवाइजरी का पालन करने का आह्वान कर रही है। वर्जन.... ग्रामीणों से अपील है कि वन विभाग की एडवाइजरी का पालन करें। खेतों पर काम करने से पहले हॉका लगाए। गुलदार आदमी को देखकर घबराता है। वन्यजीवों से छेड़खानी नहीं करें। बच्चों और बुजुर्गों को खेतों पर लेकर न जाए। गुलदार की सूचना मिलने पर टीम को भेजकर पिंजरा लगाया जाता है। अब तक बड़ी संख्या में गुलदार रेस्क्यू कर चिड़ियाघर भेजे जा चुके हैं। - अंशुमान मित्तल, एसडीओ वन विभाग बिजनौर

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