बोले बिजनौर : तवा-कढ़ाई उद्योग पर उपेक्षा की मार
Bijnor News - धामपुर का तवा-कढ़ाई उद्योग इस समय संकट में है। जीएसटी, मंदी और प्रशासनिक उदासीनता की वजह से कई कारीगरों को मजदूरी देने में कठिनाई हो रही है। पारंपरिक उद्योग अब नई पीढ़ी के लिए आकर्षक नहीं रहा है। अगर...
सात समंदर पार तक मशहूर धामपुर के तवा-कढ़ाई उद्योग पर इस समय संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कभी लघु उद्योग का चमकता सितारा माने जाने वाला यह कारोबार आज जीएसटी, मंदी और प्रशासनिक उदासीनता की मार से जूझ रहा है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि कई कारीगर मजदूरों की मजदूरी तक देने में असमर्थ हैं। कारोबार से जुड़े लुहार कहते हैं कि औद्योगिक क्रांति के दौर में हर कोई स्टार्टअप को देख रहा है। पहले से चल रहे लघु उद्योग हाशिए पर हैं। इस ओर ध्यान दिया जाए तो हालात बदल सकते हैं। जिला प्रशासन ने धामपुर के तवा कढ़ाई को एक जिला एक उद्योग में भी शामिल किया था, लेकिन इसका भी कोई नतीजा अभी तक सामने नहीं आया है। लुहारों को अपने तंग जगह पर ही काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कई कारीगर अपने घरों में ही छोटे-छोटे कारखाने खोलकर अपने पैतृक काम करते आ रहे हैं। जो परिवार दशकों से इस काम में जुड़े हैं, वो ही परिवार अपने दो वक्त की रोजी-रोटी के लिए दिन भर लोहा पीटकर पसीना बहाते हैं। इस धंधे में मेहनत अधिक होने की वजह से नई पीढियां इससे काम से दूरी बना रही हैं। कारोबार में अत्याधुनिक मशीन ना होने की वजह से यह उद्योग एक दायरे में सिमट कर रह गया है। कामगारों कि जिंदगी लोहा पीटने तक ही सीमित हो रखी है। उद्योग से जुड़े लुहारों का कहना है की सरकार को नई मशीनों का इजाद कर सब्सिडी पर कारीगरों को उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि उद्योग से जुड़े कारीगर अपने काम को आसानी से अंजाम दे सके। अभी तक यह उद्योग हाथ और जुगाड़ से ही चला आ रहा है।
जीएसटी और मंदी बनी सबसे बड़ी चुनौती
इस उद्योग को सबसे बड़ा झटका जीएसटी के रूप में लगा है। तवा-कढ़ाई पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगने के कारण इस कारोबार की प्रतिस्पर्धात्मकता घट गई है। पहले जहां यह उद्योग देश-विदेश में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए था, वहीं अब ग्राहक महंगे दामों के चलते दूसरे विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। मंदी के चलते पहले ही बाजार कमजोर था, ऊपर से भारी टैक्स बोझ ने इसे और मुश्किल में डाल दिया है।
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एक जिला, एक उद्योग योजना से भी नहीं मिली राहत
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई 'एक जिला, एक उद्योग' योजना से धामपुर के तवा-कढ़ाई कारोबार को बड़ी उम्मीदें थीं। इस योजना में इसे शामिल भी किया गया, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस लाभ उद्योग को नहीं मिल सका है। कारीगरों का कहना है कि न तो उन्हें सस्ती दरों पर कच्चा माल मिल पा रहा है और न ही आधुनिक मशीनों की सुविधा। सरकारी योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह गई हैं, जबकि जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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मशीनों की कमी और महंगा ऋण बढ़ा रहा परेशानी
तकनीक के अभाव में यह उद्योग आज भी पारंपरिक तरीकों पर निर्भर है। अधिक मेहनत और कम मुनाफे के कारण नई पीढ़ी इस काम से दूरी बना रही है। उद्योग से जुड़े लुहारों का कहना है कि सरकार अगर आधुनिक मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध कराए, तो उनका काम काफी आसान हो सकता है। इसके अलावा, लघु उद्योगों के लिए ऋण योजनाएं हैं तो सही, लेकिन उन पर ब्याज दर इतनी अधिक है कि कारोबारी बैंक तक जाने से कतराते हैं।
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बिजली और आपूर्ति भी बनी बड़ी समस्या
कारीगरों का कहना है कि उद्योग के सामने बिजली कटौती और कच्चे माल की आपूर्ति भी बड़ी समस्या बनकर खड़ी है। समय पर बिजली न मिलने से उत्पादन प्रभावित होता है, वहीं माल की सप्लाई में देरी से ग्राहक भी कम हो रहे हैं। सरकार द्वारा इस उद्योग के विस्तार के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं, जिससे कारोबारियों का हौसला टूटता जा रहा है।
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पारंपरिक व्यवसाय पर मुश्किल हालात
धामपुर के कई परिवार दशकों से इस उद्योग से जुड़े हुए हैं। उनके लिए यह केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि एक परंपरा और आजीविका का साधन भी है, लेकिन मौजूदा संकट के कारण कई कारीगर अपने छोटे-छोटे कारखाने बंद करने पर मजबूर हो रहे हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि परिवार का पेट पालने के लिए उन्हें दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है, बावजूद इसके पर्याप्त आय नहीं हो पाती। अगर सरकार ने जल्द ध्यान नहीं दिया, तो यह ऐतिहासिक उद्योग पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर पहुंच सकता है। धामपुर के लुहारों को उम्मीद है कि सरकार उनकी आवाज सुनेगी और पारंपरिक व्यवसाय को नई जिंदगी देने के लिए जरूरी कदम उठाएगी।
खाड़ी देशों तक है तवा कढ़ाई की पहुंच
धामपुर में तैयार तवा कढ़ाई खाड़ी देशों तक पहुंच है। विदेश में बड़े आयोजनों के लिए लोहे की बड़ी तवा कढ़ाई भेजी जाती है। यह सिलसिला कई दशकों से चला आ रहा है। डिमांड के आधार पर कारीगर माल तैयार करते हैं। ट्रांसपोर्टर जितने डिमांड कारखानों के पास भेजते हैं, उसी हिसाब से कढ़ाई तवे को तैयार किया जाता है। लोहे के बजन के आधार पर कढ़ाई तवे की बुकिंग होती है। लेकिन ट्रांसपोर्टिंग सिस्टम सही न होने की वजह से कारोबार को रफ्तार नहीं मिल पा रही है। कई कई दिन तक उनका सामान ट्रांसपोर्टर के पास पड़ा रहता है। उसे लोहे में जंग आने का खतरा बना रहता है। जंग लगने पर कीमत भी कम हो जाती है। अधिकतर सामान मुरादाबाद, गाजियाबाद के ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से विदेशों को जान भेजा जाता है।
लोहे से बने इन तवा कढ़ाई की है बाजार में मांग
धामपुर के कारखाने में तैयार होने वाली कई प्रकार की कढ़ाई जरूरत के हिसाब से बनाई जाती है। इनमें कढ़ाई, तवा, बड़े कढ़ाव, जोड़दार कढ़ाई, टिक्की तवा, तई, चाउमीन कढ़ाई, डोसा तवा, पहाड़ी कढ़ाई, रूमाली रोटी तवा, तंदूरी कढ़ाई आदि शामिल हैं। इन्हें तैयार कर देश के कई राज्यों के अलावा विदेश भेजा जाता है। सरकार कारीगरों की मदद को आगे आए तो इस उद्योग को तरक्की के नए पंख लग सकते हैं।
कारीगरों को स्वास्थ्य सेवाओं का मिले लाभ
तवा कढ़ाई उद्योग से जुड़े कारीगरों का मानना है कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलना चाहिए। उनके पूरे परिवार इस उद्योग से जुड़े हुए हैं, लेकिन सरकार को उनके स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं की गई है। सरकार को लुहार बोर्ड बनाकर उनकी मदद करनी चाहिए। आयुष्मान स्वास्थ्य सेवा का प्रत्येक कारीगर को लाभ मिलना चाहिए। ताकि वह बीमारी में भी आसानी से इलाज कर सके।
कारीगरों की सरकार से अपील
1. तवा-कढ़ाई पर जीएसटी कम किया जाए, ताकि बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे।
2. आधुनिक मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जाएं, जिससे उत्पादन की क्षमता बढ़े और मेहनत कम लगे।
3. सस्ती दरों पर कच्चा माल उपलब्ध कराया जाए, ताकि उद्योग की लागत घटे और मुनाफा बढ़े।
4. लघु उद्योगों के लिए सस्ते ऋण की व्यवस्था की जाए, जिससे कारोबारी अपने व्यापार को बढ़ा सकें।
5. बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जाए, ताकि उत्पादन निर्बाध रूप से चल सके।
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कारीगरों का दर्द
- शासन प्रशासन को तवा कढ़ाई से जुड़े लुहारों के लिए नई तकनीकी की मशीनों को निशुल्क उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि कारीगर अपने काम को सफाई के साथ आसानी से समय पर पूरा कर सकें। - मौ. तस्लीम
- कारीगरों के सामने सबसे बड़ी समस्या बिजली आपूर्ति की है। दिन में कई घंटे बिजली की कटौती की जाती है। समय पर कारीगर काम पूरा नहीं कर पाते हैं। कारीगर दिन भर खाली बैठे रहते हैं। - मौ. आदिल
- तवा-कढ़ाई उद्योग में नए युवा कम रुचि ले रहे हैं। सरकार को इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने चाहिए। तकनीकी स्कूल कॉलेज खोलकर युवाओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। - मौ. आफाक
- तवा कढ़ाई के कारोबार की कमर 18 प्रतिशत जीएसटी ने तोड़ डाली है। सरकार को लोहा कारोबार से जुड़े व्यापारियों व कारोबारी को जीएसटी में राहत देनी चाहिए। - मौ. आकिब
- सरकार देश में औद्योगिक क्रांति की बात कर रही है। अभी तक छोटे कारोबारी के लिए कोई कम नहीं उठाए गए हैं। सरकार को जनपद बिजनौर में औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करना चाहिए। - मौ. हारून
- उत्तर प्रदेश सरकार को उत्तराखंड की तर्ज पर छोटे उद्योग चलने वाले कारीगरों को सुविधा मुहैया करानी चाहिए। उत्तराखंड में कारीगरों को प्रदेश सरकार ने घरों पर निशुल्क मशीन लगा कर दी हैं। उनके कार्य में काफी बदलाव हुआ है। - हुसैन अहमद
- सरकार को लघु उद्योग से जुड़े कारीगरों की आर्थिक मदद करनी चाहिए। रोजगार के लिए ऋण सुविधा आसन की जानी चाहिए। ताकि कारीगर अपने काम को आगे बढ़ा सके। - मौ. अहमद
- सरकार को ट्रासंपोर्ट की स्थिति की तरफ ध्यान देना चाहिए। कारोबारी स्वयं ही अपने सामान को पहुंचते हैं। धामपुर में सामान के ट्रांसपोर्ट की कोई सुविधा नहीं है। - सरफराज अहमद
- विदेश जाने वाले माल की सप्लाई के लिए उचित व्यवस्था की जाने चाहिए। माल कई कई दिन तक बंदरगाह पर पड़ा रहता है। सामान को एक्सपोर्ट करने में भारी समस्या से जूझना पड़ता है। - नदीम
- अधिकांश कारीगर जुगाड की मशीनों से अपना काम करते आ रहे हैं। सरकार को नए नए उपकरण पर सब्सिडी की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि नए कारीगर अपने काम की शुरुआत कर सकें। - अतीक
- कारीगर तंग गली, घरों में काम करने को मजबूर हैं। सरकार को कारीगरों के लिए जगह की व्यवस्था कराई जानी चाहिए। - मौ. राजा
- सरकार को कारीगरों के स्वास्थ्य को लेकर कोई ठोस कदम उठाने चाहिए। कारीगरों के स्वास्थ्य बीमे किए जाने चाहिए। ताकि वह जरूरत पड़ने पर अपना इलाज करा सकें। - मौ. नासिर
- तवा कढ़ाई उद्योग से जुड़े परिवारों के बच्चों के लिए स्कूल में निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की जानी चाहिए। उनके बच्चों को उच्च शिक्षा में आगे बढ़ाने का मौका दिया जाना चाहिए। - मौ. अफजाल
- उनके प्रशिक्षित बच्चों को आगे बढ़ाने में सरकार को मदद करनी चाहिए। पासपोर्ट व्यवस्था व विदेशों में रोजगार की व्यवस्था के लिए सरकार को कारीगरों की मदद करनी चाहिए। - रहवर
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कारीगरों की हर स्तर पर होगी
धामपुर के तवा-कढ़ाई उद्योग को एक जिला एक उद्योग में शामिल किया गया है। लुहार कारीगरों की समस्या को लेकर सरकार चिंतित हैं। कारोबार को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर स्तर पर मदद को तैयार है। सामान के एक्सपोर्ट की समस्या को सरकार के समक्ष रखा जाएगा। बिजली की समस्या दूर करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री से वार्ता की जाएगी। हालांकि पहले से बिजली आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है। कारीगरों की समस्या से सरकार को अवगत कराया जाएगा। - अशोक राणा, विधायक, धामपुर विस
सुझाव
- तवा कढ़ाई उद्योग को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में छूट दी जाए। 18 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर कम किया जाए। जबकि पहले तवा कढ़ाई पर कोई जीएसटी लागू नहीं होती थी।
- कच्चे माल में आयात शुल्क तर्कसंगत किया जाए। आयात शुल्क अधिक होने से निर्माण में लागत बढ़ रही है।
- धामपुर को तवा कढ़ाई उद्योग के लिए अलग इंडस्ट्रियल एरिया घोषित किया जाए।
- कामगारों के लिए मेडिकल सुविधा आसान की जानी चाहिए। कामगारों के स्वास्थ्य बीमा किया जाए।
-कामगारों के परिवार की शिक्षा के लिए सरकार को मदद करनी चाहिए। अधिकांश परिवार के बच्चे अशिक्षित हैं।
शिकायतें
- बंदरगाहों पर 15 दिन तक उत्पादन रखे रहते हैं। आगे भेजने की प्रक्रिया में देरी होती है। कस्टम हाउस में इस प्रक्रिया को तेज किया जाए तो निर्यात बढ़ेगा।
- तवा कढ़ाई उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बिजली आपूर्ति 24 घंटे की जाए। बिजली मिलने से उत्पादन में इजाफा होगा।
- निर्मित सामान को निर्यात करने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। वैकल्पिक व्यवस्था से ही काम चल रहा है। सरकार को निर्यात व्यवस्था में बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
-सरकार ने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए आज तक कोई आर्थिक मदद नहीं की। निजी संसाधनों से ही कारोबार को आगे बढ़ाया जा रहा है। सरकार से कामगारों को मदद की जरूरत है।
-अभी तक कामगारों का कार्य जुगाड़ की मशीनों से चल रहा है। सरकार को नई तकनीकी की मशीनें कामगारों को उपलब्ध करानी चाहिए।
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