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याद होगा कि अक्सर सुबह को आंख खुलते ही तमाम पक्षियों के चहचहाने की आवाजें घर के आंगन में सुनाई देती थीं, लेकिन अब ये आवाजें सुनाई देना काफी कम हो...
याद होगा कि अक्सर सुबह को आंख खुलते ही तमाम पक्षियों के चहचहाने की आवाजें घर के आंगन में सुनाई देती थीं, लेकिन अब ये आवाजें सुनाई देना काफी कम हो गया है। हाल के ही दिनों में क्षेत्र में पक्षी भी कम ही दिखाई दे रहे हैं। इसके पीछे कारण जो भी हो लेकिन पक्षी प्रेमियों में निराशा है।
दरअसल, यूं तो कुछ साल पहले ही क्षेत्र से गौरेया और अन्य पक्षी काफी कम दिखाई देने लगे थे। लेकिन पक्षियों के दिखाई देने का सिलसिला लगातार कम ही होता जा रहा है। अब हाल ये है कि घरों की छतों और पेड़ों पर गौरेया की तो बात ही छोड़िये, अन्य पक्षी भी कम ही दिहखाई दे रहे हैं। पक्षी प्रेमी शेरकोट निवासी नसीम अहमद बताते हैं कि वह हर रोज सुबह गुर्गल और छोटी चिड़ियों को दाना डालते थे। तमाम पक्षी सुबह होते ही वहां पहुंच जाते थे, लेकिन कईं महीनों से अब एक भी चिड़ियां दाना चुगने के लिए वहां नहीं पहुंचती है। अचानक से चिड़ियों की संख्या कम हो गई है। यहां तक की कौवों की संख्या तक कम प्रतीत हो रही है। एक अन्य पक्षी प्रेमी मोहम्मद कैसर बताते हैं कि उनके घर में लगे आम पर हर रोज सुबह कईं पक्षी, चिड़िये चहचहाया करती थीं, लेकिन लंबे समय से महसूस कर रहे हैं कि वहां अब ये चिड़िये नहीं आ रही हैं।
क्या कहते हैं वन अधिकारी
वन रेंजर धामपुर एसके मठपाल कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि क्षेत्र में पक्षी कम दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, उन्होंने एक सवाल के जवाब में इस बात पर तो हामी भरी कि रेडियेशन का पक्षियों पर प्रभाव पड़ता है।
क्या रेडियेशन है कारण
सोशल मीडिया पर इन दिनों सूचनाएं डाली जा रही हैं कि 5जी टेस्टिंग के चलते कईं जगह पक्षियों की मौत हो रही है। ये बात कितनी सही, कितनी गलत है, विचारणीय है, पर इस मसले को लेकर तर्क-वितर्क का सिलसिला जारी है।
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