प्रकृति के महा पर्व डाला छठ की तैयारियां लोगों ने की शुरू
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गोपीगंज, हिन्दुस्तान संवाद। लोकरंग के प्रेम में पगा है छठ पर्व। षष्ठी की मांगलिक बेला, केन्द्र में सामान्य मनुष्य, किसान व ग्रामीण जन, इस पर्व के लिए न पौरोहित्य चाहिए न शास्त्र, बस अपनी उष्मा और ऊर्जा को सूर्य मे मिला देना है। यही विषय वस्तु व रुपरीति का समन्वय इसको शिल्पगुण देता है। सूर्य षष्ठी अर्थात छठी मैया से लगाव का वृहत अर्थ है, वह अपनी जड़ों से जुड़ाना, सूर्य के प्रति कृतज्ञता प्रकृति की रम्यता मे विचरण, चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन संध्या समय डूबते सूर्य देव को अर्घ दिया जाता है। श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामाग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, गन्ना आदि सामान सजाते है। इसके बाद घर से नंगे पांव घाट पहुंचते हैं। पर्व को लेकर रामपुर गंगा घाट पर तैयारियां शुरु हो गई हैं। लेकिन अभी तक सफाई न होने के कारण लोगों को दिक्कतें होंगी। घाटों पर सात नवम्बर की शाम की को एवं आठ नवम्बर की सुबह आस्था का सैलाब उमड़ेगा।
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