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आजम खान को बचाने के पूर्व एसपी-एएसपी ने जमकर किए थे खेल, जांच अधिकारी हैरान

  • रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर शत्रु सम्पत्ति को हड़पने के लिए हुए फर्जीवाड़े में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को बचाने के लिए तत्कालीन SP और उनके अधीनस्थों ने खूब ‘खेल’ किए। जांच हुई तो कदम-कदम पर ऐसे खेल दिखे कि अधिकारी भी हैरान रह गए।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, लखनऊ। विधि सिंहSat, 14 Sep 2024 08:32 AM
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यूपी के रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर शत्रु सम्पत्ति को हड़पने के लिए हुए फर्जीवाड़े में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को बचाने के लिए तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला (अब डीआईजी, सीबीसीआईडी) और उनके अधीनस्थों ने खूब ‘खेल’ किए। जांच हुई तो कदम-कदम पर ऐसे खेल दिखे कि अधिकारी भी हैरान रह गए। एफआईआर से आजम खान का नाम निकालने के लिए एसपी ने 17 मई 2023 को विवेचना क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर नए सिरे से विवेचना कराई गई।

नए विवेचक श्रीकांत द्विवेदी ने दस्तावेजों की बिना जांच व बयान लिए ही गम्भीर धाराओं को हटा दिया। वजह इस धारा में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान था। जो विवेचना वर्ष 2020 से चल रही थी उसे क्राइम ब्रांच के विवेचक श्रीकांत ने कुछ समय में ही पूरा कर आजम खान का नाम निकाल दिया। शासन ने अब पूर्व एसपी और एएसपी की भूमिका की जांच अलीगढ़ की मंडलायुक्त चैत्र बी. व विजिलेंस की आईजी मंजिल सैनी को सौंपी है।

आरोपी ओएसडी विदेश में, विवेचक ने नोटिस तामील करा दी

श्रीकांत ने ही उनके ओएसडी रहे आफाक अहमद (मुख्य आरोपी) के लखनऊ स्थित आवास पर नोटिस तामील करा दिया जबकि वह उस समय सीबीआई के लखनऊ में दर्ज एक मुकदमे में विदेश में फरारी काट रहा था। जब शासन ने जांच कराई तो इस विवेचक ने तर्क दिया कि नोटिस व्हाटसएप पर तामील कराई गई जो की नियमानुसार सही है। पर, नियम यह है कि अगर सम्बन्धित आरोपी किसी दूसरे मामले में फरार है तो उसे व्हाटसएप पर नोटिस नहीं तामील कराई जा सकती है। इस विवेचक ने अपनी उपस्थिति अभियुक्त आफाक अहमद के गोमतीनगर स्थित आवास पर दिखाने के लिये एक फोटो भी खिंचवाई। यह फोटो भी उसकी गलत कार्रवाई का सुबूत बन गई। वजह इस फोटो में ही आफाक के घर पर सीबीआई की चस्पा वह नोटिस भी दिख रही है, जिसमें उसे फरार दिखाया गया है।

फर्जी दाखिल खारिज के सुबूत पर विवेचक ने अनदेखा किया

खतौनी को जांच के लिए देखा गया तो उसमें पेज नम्बर 1531 व 1532 से छेड़छाड़ मिली। दोनों पन्नों को हटाकर दो अलग से पन्ने जोड़े गए थे। इसमें आफाक अहमद द्वारा छह जुलाई 1972 को अपना फर्जी ब्योरा डलवाकर इमामुद्दीन से दाखिल खारिज दिखा दिया गया था। जांच अधिकारी ने जब तहसील में इससे संबंधित जिल्द देखी तो मूल अभिलेख इमामुद्दीन कुरैशी के नाम का मिला। विवेचक ने इसे भी अनदेखा कर दिया था।

यह था मामला

रामपुर में बनी मो. अली जौहर यूनिवर्सिटी परिसर के तहत आने वाली इमामुद्दीन कुरैशी की जमीन वर्ष 2006 में शत्रु सम्पत्ति के रूप में दर्ज हो गई थी। जांच में पता चला कि राजस्व विभाग के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर शत्रु सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिए आफाक अहमद का नाम गलत तरीके से राजस्व रिकार्ड में दर्ज करा दिया गया था। वर्ष 2020 में इस संबंध में एफआइ्रआर सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई गई थी। वर्ष 2023 में इसकी विवेचना तत्कालीन इंस्पेक्टर गजेन्द्र त्यागी ने शुरू की थी। गजेन्द्र ने लेखपाल के बयान पर आजम खान का नाम बढ़ा दिया था। इस पर तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला ने विवेचना अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दी थी। यहां इंस्पेक्टर श्रीकांत द्विवेदी नए विवेचक बने। इसके कुछ समय बाद ही आजम का नाम एफआईआर से निकाल दिया गया था।

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