बोले बस्ती : टैक्स के मकड़जाल व पार्किंग के जंजाल में उलझे हैं व्यापारी
Basti News - व्यापारी देश और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन वर्तमान में वे कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। व्यापारियों ने सरकार की उदासीनता, टैक्स के दवाब और अव्यवस्थित बाजारों के कारण अपनी...
Basti News : व्यापारी देश, प्रदेश और समाज के विकास की रीढ़ होता है। व्यापारियों से सरकार को टैक्स मिलता है। टैक्स के पैसे से विभिन्न योजनाओं का संचालन होता है। व्यापारियों का कहना है कि आज वेे उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। कर्मचारी से लेकर अधिकारी और यहां तक कि जनप्रतिनिधि भी व्यापारियों से हर तरह की अपेक्षा रखते हैं। वहीं गुंडे-बदमाशों के भी निशाने पर व्यापारी ही होते हैं। सुविधा के नाम पर उनके पास बताने के लिए कुछ खास नहीं होता। अलबत्ता उनके सामने टैक्स से लेकर उत्पीड़न किए जाने की अनेक चुनौतियां हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में व्यापारियों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। व्यापारी विकास का आधार होता है। जब मंदी आती तब देश संकट में पड़ जाता है। इस संकट से उबारने में व्यापार और व्यापारी ही अहम भूमिका निभाते हैं। व्यापारियों का कहना है कि उनकी समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। उनके हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आज व्यापारियों की राह में तरह-तरह से रोड़े अटकाए जा रहे हैं। ऑनलाइन व्यापार उन्हें सबसे बड़ी हानि पहुंचा रहा है। वहीं इंस्पेक्टर राज से उन्हें आज तक छुटकारा नहीं मिल पाया है।
व्यापारी नरेश कसौधन बताते हैं कि सैम्पल के नाम पर व्यापारियों को डराया जाता है। मासिक व सालाना रुपया बांधा दिया जाता है। नहीं देने पर सैम्पलिंग की जाती है। सही माल होने पर भी दिक्कत खड़ी की जाती है। पैक मैटेरियल की कमी के लिए भी फुटकर विक्रेता को टारगेट किया जाता है। कंपनी किनारे हो जाती है। सीधी मार लोकल व्यापारी पर पड़ती है। रमेश सिंह का कहना है कि सरकार व्यापारियों और उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन रहती है। उसे दुधारू गाय जरूर समझती है। वसूली ही एक मात्र रास्ता दिखाई देता है। यही कारण है ट्रांसपोर्ट जैसी महत्वपूर्ण सुविधा पर टैक्स के साथ टैक्स लगा दिया जा रहा है। एक टन ओवरलोड पर पहले दो हजार रुपया चालान कटता था, अब 20 हजार रुपया भरना पड़ रहा है। दिनेश सिंह और हरिकिशोर बताते हैं कि 2017 में सरकार ने वैट हटाकर जीएसटी लगा दी। पहला साल होने के बाद कई व्यापारी और उनके संचालक उचित तरीके से जीएसटी फाइल नहीं कर पाए और कुछ समस्या रह गई। अब आठ साल बाद इस पर नोटिस दिया जा रहा है। उनकी उचित फोरम पर सुनवाई नहीं हो रही है। जयेश सिंह मुन्ना स्थानीय इंस्पेक्टर राज को लेकर दुखी हैं। उनका कहना है कि व्यापारी अपनी दुकान में एक ईंट रखता तो बीडीए कर्मी घेर लेते हैं। सुविधा शुल्क दिया तो रास्ता खाली नहीं तो नोटिस पर नोटिस का खेल शुरू हो जाता है। राजेश चित्रगुप्त कहतेे हैं कि ट्रैफिक पुलिस व पुलिस मनमानी करती है। गाड़ी लखनऊ में चल रही है और बस्ती में चालान हो जाता है। निशाना व्यापारी बनता है। आनंद का मानना है कि अधिकारी उचित कार्रवाई के स्थान पर एक नंबर का व्यवसाय करने वाले को निशाना बना देते हैं। बिना बिल वाले के लिए कोई कानून नहीं है। वह टैक्स नहीं दे रहा है। सरकार का घाटा कर रहा है। एक नंबर का काम करने वाले को नुकसान पहुंचा रहा है। सरकार को चाहिए कि किसी भी दशा में बिना रसीद सामान न बिकने दे। रामधनी शर्मा कहते हैं कि बिजली के लोकल फाल्ट और बिल की समस्या व्यापारियों को परेशान करती है।
पाइप लाइन बिछी हो या नहीं, देना होता है वाटर टैक्स
नगर पालिका परिषद की ओर से गृहकर और जलकर लिया जाता है। जल जीवन का मूल आधार है। ऐसे में जल पर टैक्स देना उचित नहीं होता है। नगर पालिका टैक्स वसूूलती है। इसका व्यापारी समाज खुलकर विरोध करता है। गिरधारी लाल साहू ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर व्यापारी समाज लगातार सरकार से लेकर स्थानीय सरकार से लड़ता है। फिर भी अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। पूर्वजों ने पानी पिलाना पुण्य का काम माना था। व्यापारी इसको बढ़ावा देता था। कुआं से लेकर बावड़ी तक स्थापित करता था। अब समय बदला है तो पानी पर ही टैक्स लगाया जा रहा है, जो उचित नहीं है। इसको वापस होना चाहिए।
व्यापारियों को होती है समस्या, ट्रांसपोर्ट नगर की हो स्थापना :
व्यापारियों के माल को लाने ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट ही साधन होता है। ट्रक से लेकर छोटे वाहनों को आसानी से हायर करना और अपने माल को भेज देना होता है। यहां पर कोई ऐसा स्थान नहीं है, जहां पर किराए पर वाहनों को लिया जा सके। गोरखपुर व फैजाबाद से लेकर अन्य सभी शहरों में ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना की गई है, लेकिन बस्ती में यह सुविधा नहीं है। व्यापारी नेता अमरमणि पांडेय का कहना है कि बस्ती में भी ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना होनी चाहिए। ऐसा होने पर व्यापारियों को भटकना नहीं पड़ेगा। आसानी से एक स्थान पर वाहन मिल जाएंगे। इधर उधर खड़ा करने के चलते जो परेशानी पुलिस व यातायात पुलिस से होती है, उससे छुटकारा मिल जाएगा।
बिल को नंबर दो में बेचते हैं माफिया
व्यापारी नेता राजीव पांडेय बताते हैं कि पूरे वर्ष कुछ माफिया बिना बिल के सामानों की बिक्री करते हैं। यह बिल वह बचा कर रखते हैं। वर्ष के अंत में कई फर्में जो सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र में सामानों की आपूर्ति को फर्जी तरीके दिखाती हैं और भुगतान लेती हैं, उन्हें बिल की जरूरत पड़ती है। अब बिना बिल काटकर सामानों को देने वाले माफिया उन्हें अपने सामान के सापेक्ष बिल काटकर देते हैं। उसकी जीएसटी भरी रहती है। इसके सापेक्ष उन्हें ठेकेदारों व फर्मों से आठ प्रतिशत अतिरिक्त आय हो जाती है। जबकि इस बिल का टैक्स वह पहले ले चुके होते हैं।
पार्किंग न होने से खत्म होते जा रहे प्रमुख बाजार
व्यापारियों के लिए पार्किंग जोन नहीं होना सबसे बड़ी समस्या है। इसके चलते धीरे-धीरे एक-एक करके प्रमुख बाजार ही समाप्त होते जा रहे हैं। इसका नजारा पुरानी बस्ती के सुतीहट्टा बाजार में देखा जा सकता है। अब शहर का मुख्य बाजार माना जाने वाला गांधीनगर का भी यही हाल होता दिखाई दे रहा है। गांधीनगर शहर का मुख्य बाजार है। यहां पर बड़े-बड़े शोरूम है। ब्रांडेड समानों से लेकर ज्वैलरी मिल रही है। लेकिन बाजार में खड़ा होने की जगह नहीं है। टाउन क्लब के आगे बढ़ते ही सड़क किनारे दो पहिया, चार पहिया वाहन खड़े दिखाई देते हैं। दोनों तरफ खड़े वाहनों के चलते रास्ता संकरा हो जाता है। एक लेन पर एक चार पहिया वाहन ही गुजर सकता है। उसके पीछे सैकड़ो बाइक लगी रहती है। आगे थोड़ी बाधा आने पर पीछे बड़ा जाम लग जाता है। उस समय यहां से पैदल गुजरना भी मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि खरीदार बाजार में आने से कतराने लगे हैं। बड़े खारीदार, खासकर वाहनों से आने वालों के लिए कठिनाई होती है। हरिओम यादव बताते हैं कि धीरे-धीरे शहर की मुख्य बाजार गांधीनगर सिकुड़ता जा रहा है। व्यापार प्रभावित हो रहा है। बड़े व्यापारी अपने अनुसार बाहर की ओर भाग रहे हैं। छोटे व्यापारी ग्राहक नहीं आने की मार झेल रहे हैं। भविष्य में गांधीनगर का वही हश्र होने वाला है, जो पहले सुर्तीहट्टा का हो चुका है। शहर की सड़कें सिकुड़ी हुई हैं। पुरानी बस्ती का सुतीहट्टा बाजार पूरी तरह से अपने मूल व्यापार को खो दिया। यहां के व्यापारी पांडेय बाजार में एक तख्त पर बैठकर धंधा करते हैं। इसका खासा असर थोक व्यापार पर पड़ा है। गांधीनगर बाजार में नगर पालिका प्रशासन बार-बार अतिक्रमण हटाने की कवायद करता है, लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात बराबर ही रहता है। फुटपाथ पर अतिक्रमण होने और दुकानों के सामने खड़े वाहनों के चलते लोगों का आवागमन बाधित रहता है। इसके चलते गांधीनगर बाजार में आने वाले लोग जाम में फंसे रहते हैं।
व्यापारी समाज का भी बनाया जाए एमएलसी
व्यापारी नेता विवेक गिरोत्रा का कहना है कि जिस प्रकार से शिक्षकों का एक विधान परिषद सदस्य होता है। जिस प्रकार सदस्यों का एक विधान परिषद सदस्य होता है। उसी प्रकार व्यापारी समाज का भी एक विधान परिषद सदस्य होना चाहिए। क्षेत्र विशेष के लिए प्रदेश में कम से कम आधा दर्जन व्यापारी एमएलसी होना चाहिए। इसके वोटर लिस्ट के लिए भी मानक बने। जो सरकार के टैक्स योजनाओं में पंजीकृत हों, उन्हें उसके आधार पर मतदाता बनाकर एमएलसी का चुनाव कराएं। ऐसा होने पर व्यापारियों की समस्या को विधान परिषद के माध्यम से सरकार के समक्ष आसानी से उठाया जा सकता है।
शिकायतें
-जीएसटी के मकड़जाल में उलझे व्यापारियों को मिल रहा नोटिस और जारी हो रही है आरसी।
-सैम्पलिंग के नाम पर आए दिन व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है।
-ट्रांसपोर्ट नगर नही होने के चलते वाहनों को हायर करने में कठिनाई होती है।
-शहर के मुख्य बाजार में लगने वाले जाम से व्यापार प्रभावित हो रहा है।
-जीवन के लिए जरूरी पेयजल पर भी नगर पालिका टैक्स लेती है।
सुझाव
-जीएसटी के पुराने मामलों को समाधान कराकर समाप्त करना चाहिए।
-पैकट बंद सामानों की सैम्पलिंग के लिए कंपनियों को जिम्मेदार बनाया जाए।
-अन्य शहरों की तरह बस्ती में भी ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना हो।
-गांधीनगर को जाम से छुटकारा दिलाने के लिए अतिक्रमण हटाया जाए।
-मूलभूत आवश्यकता पेयजल को टैक्स मुक्त किया जाए।
हमारी भी सुनें
किराना की दुकान पर पैकेट और खुले सामान दोनों बिकते हैं। आए दिन सैम्पलिंग के नाम पर स्थानीय व्यापारियों को परेशान किया जाता है।
ओमकार कसौधन
अस्पताल चौराहे पर बिजली के पोल की शिफ्टिंग नहीं की जा रही है। इस मुद्दे पर कई बार चर्चा हो चुकी है। पोल के कारण यहां पर जाम लगता है।
विशाल वर्मा
ट्रांसपोर्टरों के लिए सरकार का रवैया पूरी तरह उदासीन है। उनके हित में कोई ठोस कदम उठाने के बजाय, नित नए कानून लाकर उन्हें परेशान किया जाता है।
रमेश सिंह
जीएसटी का समय से निस्तारण नहीं हो पाता है। पुराने समय के जीएसटी का नोटिस कब भेज दिया जाएगा। इसका पता नहीं होता है।
दिनेश कुमार सिंह
शहर में मकान व दुकान बनाना काफी कठिन हो गया है। बीडीए का कौन सा क्षेत्र ग्रीन है, कौन सा डूब है। इसका कैसे निर्धारण कर दिया। इसकी नियमावली नहीं है।
जयेश सिंह मुन्ना
यातायात पुलिस व सामान्य पुलिस गाड़ियों का पहले फोटो खींच कर रख लेती है। जब उनका टारगेट पूरा नहीं होता है तो उस गाड़ी का चालान कर राजस्व वसूला जाता है।
सुनील गिरि
शहर में बिना बिल के सामानों को बेचा जा रहा है। टैक्स चोरी करने के कारण माल के दाम में कमी आती है। रसीद के साथ नंबर एक में सामान बेचने वाले व्यापारी परेशान होते हैं।
राजीव पांडेय
दुकानों से सटकर बह रहे नालों की समुचित सफाई नहीं हो पा रही है। इस कारण वहां पर पानी जमा होता है व मच्छर पैदा होते हैं। जो बीमारी का कारण बन रहे हैं।
आरके सिंह
शहर के व्यापारी पार्किंग की समस्या से परेशान हैं। पार्किंग न होने के कारण धीरे-धीरे प्रमुख बाजार बंदी के कगार पर है। इसका उदाहरण पुरानी बस्ती का सुर्तीहट्टा है।
राजेश त्रिपाठी
बिजली की लोकल फाल्ट व्यापारियों को काफी कठिनाई हो रही है। पर्याप्त आपूर्ति के बाद भी लोकल फाल्ट से कच्चे सामानों के खराब होने का खतरा बन जाता है।
लालजी शुक्ल
शहर में बंदरों की भरमार है। यह बंदर दुकानों में घुसकर सामानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गोदामों में सामान को खराब कर रहे हैं। थोड़ी सी चूक होने पर यह हमला भी कर देते हैं।
पंकज उपाध्याय
रोडवेज से जिला अस्पताल के बीच नपा ने नाला बना रखा है। इस नाले के पानी का बहाव जिस दिशा में होना चाहिए, वह नहीं है। इस कारण नाले में पानी जमा रहता है।
राम विनय पांडेय
व्यापारी सबसे अधिक राजस्व देता है। वह अफसरों के उपेक्षा का शिकार रहता है। उसके छोटे-छोटे कामों को डिले किया जाता है और उसका शोषण किया जाता है।
पंकज त्रिपाठी
सरकार व्यापारियों के लिए टैक्स आदि नियमों को बनाती है। उसकी जानकारी सभी व्यापारियों को नहीं हो पाती है। प्रशिक्षण के नाम पर खानापूर्ति होती है।
धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी
गांधीनगर बाजार में जाम मुख्य समस्या बन गया है। अब यहां के बड़े-बड़े शोरूम व दुकानदार पार्किंग की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां पर पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
राजन गुप्ता
शहर में प्रवेश के मुख्य स्थल बड़ेवन, मूड़घाट के पास वाहनों का जाम लगता है। यहां पर ट्रैफिक मैनेजमेंट उचित नहीं होने के कारण वाहन फंस जाते हैं ।
बृजेश सिंह मुन्ना
नपा की ओर से आए दिन कर लगाए जा रहे हैं। सड़कें टूटी हैं। इस तरफ पालिका का ध्यान नहीं जाता है। इसका खामियाजा व्यापारियों को भगतना पड़ता है।
प्रवीण चौधरी
कंपनी बाग से बड़ेवन के बीच बन रहे फोरलेन के किनारे की नाली मानक विहीन है। नाली की क्षमता कम है और क्षेत्र का गन्दा पानी निकलने में समस्या होगी।
सुभाष शुक्ला
बोले जिम्मेदार
व्यापारी सरकारी उपेक्षा का शिकार है। उनकी समुचित सुनवाई नहीं होती है। टैक्स से लेकर सुरक्षा के मुद्दे पर लगातार व्यापारियों को जूझना पड़ता है। बिजली, पानी की समस्या से रूबरू होना पड़ता है। सुरक्षा के नाम पर व्यापारियों को अपने प्रतिष्ठान के सीसीटीवी के भरोसे रहना पड़ता है। अर्से तक लड़ाई लड़ने के बाद भी जीएसटी का सरलीकरण नहीं हो पाया है। उद्योग स्थापित करने के लिए सिंगल विंडो के नाम पर कई विभागों का आज भी चक्कर लगाना पड़ता है।
अमरमणि पांडेय, प्रदेश उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल
2017 में जीएसटी लागू हुआ तो उस समय व्यापारियों और विभाग के लिए नया कानून था। साफ्टवेयर से लेकर अन्य सभी प्रपत्र नए थे, जिसका अध्ययन व्यापारी, अधिवक्ता और अधिकारी तीनों कर रहे थे। जीएसटी का जो पोर्टल था, उसमें लगातार सुधार हुआ। 2019-20 तक कई प्रकार टैक्स व दंड लगे थे। समस्या का समाधान करने को सरकार ने जीएसटी एक्ट में संशोधन किया। एक नया सेक्शन 128ए जोड़ दिया, जिसके तहत धारा 73 के अंतर्गत पारित आदेशों में सृजित कर, ब्याज व अर्थदंड में सुधार का विकल्प दिया गया।
उपेन्द्र यादव, उपायुक्त राज्य कर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।