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पचवस में हर घर से निकले सेना के जवान, कर रहे देशसेवा

Basti News - हर्रैया तहसील का पचवस गांव 300 से अधिक परिवारों का गढ़ है, जहां हर घर से एक सेना का जवान है। कर्नल केसरी सिंह जैसे वीरों ने दुश्मनों को हराया। गांव की बेटियां भी सेना में भर्ती हो रही हैं। रिटायर्ड...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीWed, 15 Jan 2025 03:53 AM
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छावनी, हिन्दुस्तान संवाद। हर्रैया तहसील का पचवस गांव फौजियों का गढ़ है। 300 से अधिक परिवार वाले इस गांव ने हर घर से करीब-करीब एक सेना का जवान दिया है। भारत-पाक और भारत-चीन युद्ध में दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले कर्नल स्व. केसरी सिंह के पचवस गांव को फौजियों की नर्सरी भी कहा जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध में वर्मा में वीरगति प्राप्त करने वाले नायक तालुकदार सिंह ने पचवस निवासी रहे। वीरता और साहस की बदौलत पचवस को राष्ट्रीय स्तर पर चमकने वाले कर्नल केसरी सिंह से लेकर अब तक सैकड़ों से अधिक युवा सेना की सेवा कर चुके हैं या कर रहे हैं। कर्नल अभय सिंह, कर्नल एसबी सिंह और मेजर एके सिंह, कर्नल डीपी सिंह जैसे लोग भारतीय फौज की शान हैं।

बस्ती की शान है कर्नल केशरी सिंह

3 जनवरी 1926 को पैदा हुए स्व. कर्नल केशरी सिंह ने 1948 में बतौर हवलदार सेना में कदम रखा। अदम्य साहस और वीरता की बदौलत रण क्षेत्र में दुश्मनों के दांत खट्टे कर देने वाले हवलदार केशरी सिंह कर्नल बने। 1948, 1962, 1965 और 1972 में सरहद से दुश्मनों को पीछे ढकेलने वाले कर्नल केशरी सिंह को गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था। सेवानिवृत के बाद वह रामनगर के विधायक चुने गए।

युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे रिटायर्ड मेजर रंजीत सिंह

राजस्थान में तैनाती के दौरान 1996 में सेवा से रिटायर्ड हुए सूबेदार मेजर रंजीत सिंह युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह इंद्रासन सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डिग्री कॉलेज परिसर में युवाओं को सेना में जाने के लिये प्रतिदिन प्रशिक्षण देते हैं। उनके प्रशिक्षण से करीब पांच दर्जन से अधिक युवा देश की सरहद पर तैनात हैं।

पचवस डिग्री कॉलेज के प्रथम प्राचार्य बने विंग कमांडर अमरनाथ सिंह

विंग कमांडर अमरनाथ सिंह एयरफोर्स मे रहते हुए डबल एमए किया। विभिन्न जगहों पर रहते हुए इन्होंने देश सेवा की। इन्हें राष्ट्रपति वीवी गिरी ने विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया। इन्होंने 1962, 1965 व 1971 पाकिस्तान के युद्ध में हिस्सा लिया। बाद में सिग्नल यूनिट में काम किया। सेना से अवकाश प्राप्त करके इंद्रासन सिंह डिग्री कालेज पचवस के प्रथम प्राचार्य बने, जो अब राजकीय महाविद्यालय बन चुका है।

युवाओं के साथ बेटियां भी कर रही देशसेवा

पचवस गांव में आज हर युवा चाहे बेटी हो या बेटा सेना की सेवा करने को तत्पर है। गांव की बेटियां भी अब सेना में भर्ती होकर भारत माता की सेवा कर रही हैं। गांव की बेटी सुष्मिता सिंह इस समय सेना में लेफ्टिनेंट पद पर सेवा दे रही हैं। सुष्मिता के पिता सेवानिवृत्त कर्नल अभय सिंह भी सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं। गांव के कमोडोर दिनेश सिंह, लेफ्टिनेंट कमांडर अभिलाष सिंह, ब्रिगेडियर जयप्रकाश सिंह इस समय सेना में सेवा दे रहे हैं 2024 में इशांत सिंह व 2025में दिव्यांश सिंह गांव से लेफ्टिनेंट से नई पीढ़ी में अफसर के पद पर हुए।

त्योहार की तरह गांव में मनाया जाता है राष्ट्रीय पर्व

होली और दीपावली तो यहां के लोग मिलकर मनाते ही हैं। गणतंत्र व स्वतंत्रता दिवस का पर्व भी गांव के लोगों के लिए खास होता है। इस दिन गांव को खूब सजाया जाता है। विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ आकर्षक झांकियां निकाली जाती है सेवानिवृत्त और अवकाश पर आने वाले जवान इसमें शामिल होते हैं।

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