बोले बस्ती : 15000 आबादी वाले गांव में सड़क-नाली सब खस्ताहाल
Basti News - मड़वानगर गांव की स्थिति अत्यंत खराब है। यहां की सड़कों और नालियों का निर्माण नहीं हुआ है, जिससे बरसात के दिनों में जलभराव और सांपों का खतरा बढ़ जाता है। लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रशासन से कई बार...
Basti News : जिले के सदर ब्लॉक की मुख्य व पहली ग्राम पंचायत मड़वानगर में सात पुरवे हैं। इस गांव के सातों पुरवे की आबादी जैसी 15000 से अधिक है। इस ग्राम पंचायत में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग दूरदराज से यहां आकर बसे हुए हैं। इनका बसने का मकसद था कि यहां अच्छी सड़कें, नाली और बिजली के साथ बच्चों की अच्छी पढ़ाई जैसी तमाम सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन यह सब सपना इन लोगों का धरे के धरे रह गए हैं। बरसात के मौसम में यहां की स्थिति भयावह हो जाती है। क्योंकि बरसात के दिनों में यहां के सड़कों व गलियों में महीनों जलभराव रहता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
यहां पानी भरने की वजह लोगों के घरों में सांपों का बसेरा हो जाता है। बरसात के दिनों में अक्सर यहां के लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं, जिससे वे काफी डरे-सहमे रहते हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में लोगों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। शहर के महत्वपूर्ण इलाके में शामिल ग्राम पंचायत मड़वानगर की पहचान बदहाल गांव के रूप में होने लगी है। इस गांव की आबादी 15 हजार से अधिक है, लेकिन इस गांव में सड़क, नाली, पीने के लिए शुद्ध पानी, प्रकाश व साफ-सफाई, जैसे अन्य सरकार द्वारा दिए जाने वाला मूलभूत सुविधाएं यहां के लोगों को नहीं मिल पा रहा है। यहां रात होते ही गलियां अंधेरे में डूब जाती हैं। सड़कों की हालत खस्ताहाल है। गलियों में लटकते झूलते तार चिंगारी छोड़ते है, जिससे इस गांव के लोगों की जान आफत में पड़ी रहती है। इस इलाके में सबसे बड़ी समस्या उन लोगों ने पैदा कर रखा है जिन लोगों ने अपने घरों के गेट, चबूतरे, छज्जे सड़कों पर बना रखे हैं। इस गांव में सफाई व्यवस्था की पोल खुल जाती है। यही वजह है कि सड़के व गलियां गंदगी के शिकार हो गए हैं। इस गांव में सड़कों व गलियों में प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दिन ढलते ही गांव की गलियों में अंधेरा छा जाता है। इस गांव में स्ट्रीट लाइटें लग जाएं तो अंधकार से मुक्ति मिल जाएगी। मड़वानगर गांव में साफ-सफाई करने वाले कर्मियों की लापरवाही स्पष्ट देखने को मिल रही है। कूड़ा रखने के लिए कूड़ेदान का कोई व्यवस्था नहीं है। गिने चुने जगहों पर नाममात्र की नालियों का निर्माण किया गया है, लेकिन नालियों को खुला होने के कारण गंदगी और प्लास्टिक के कारण कुछ ही दिनों में चोक हो जाती है। जिससे नालियों का गंदा पानी सड़कों पर फैलता रहता है। लोगों को आवागमन करने में काफी दिक्कत हो रही है। इस गांव के रूचि देवी, किसमावती के साथ दर्जनों लोग बताते है कि यहां बरसात के दिनों सांपों का काफी आतंक रहता है। इस क्षेत्र में सांपों का तादाद ज्यादा है, ये बरसात के समय अक्सर घरों के गेटों पर चढ़कर बैठे रहते हैं। जैसे ही घर का कोई सदस्य बिना देखे गेट को खोलता है तो गेट पर लपेट कर बैठा सांप लोगों को काट लेते हैं। इन दिनों रात में बिना उजाले के चलना जान को जोखिम में डालने जैसा है। असमतल हैं मड़वानगर की सड़कें मड़वानगर गांव की सड़के काफर बदहाल हैं। इस गांव की सड़कें व गलियां काफी जर्जर व ऊंचीनीची हैं, जिससे यहां पर सड़कों पर हल्की बारिश में रास्तों पर चलना दुर्लभ हो जाता है। गांव में रहने वाले स्कूली बच्चे इन सड़कों पर अक्सर गिरकर चोटिल हो जाते हैं। बरसात के दिनों में स्कूली बच्चे गांव में जलभराव होने की वजह से घर में कैद हो जाते हैं। इससे इन बच्चों का सेलेबस भी पीछे हो जाता है। जिसकी वजह से बच्चों का शैक्षिक विकास रूक जाता है। गांव के धर्मराज, आकाश, अंकुर आदि लोगों ने बताया कि इन सभी समस्याओं को लेकर जिम्मेदारों को कई बार शिकायत की गई, लेकिन यहां के जिम्मेदार इन समस्याओं को लेकर सुनने को तैयार ही नहीं होते हैं, जिससे इस गांव की बदहाली दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। सड़क और नालियों का हो निर्माण तभी सुधरेंगे गांव के हालात मड़वानगर गांव में सड़कों का बुरा हाल है। यहां की सड़कों का निर्माण नहीं होने के कारण नालियों का पानी सड़कों पर बहता रहता है। जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। फिर भी जिम्मेदार सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन देते रहते हैं। गांव में इंडिया मार्का हैंडपंप लगे थे, जो इस समय पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। एक दो को छोड़कर नल पानी नहीं दे रहे हैं। गर्मी की तपिश बढ़ती जा रही है और पानी की जरूरत भी सबसे ज्यादा पड़ने वाली है। पानी के लिए कितनी जद्दोजहद करनी पड़ रही है, यहां के नागरिकों से बेहतर कौन जान सकता है? गांव के हर एक गली में फैला पानी इधर-उधर एकत्र होने के कारण गलियों में बदबू फैलता है। जिससे यहां के लोगों को संक्रामक बीमारियों का खतरा बना रहता है। गांव में पीने के लिए शुद्ध पानी तक नहीं बस्ती। गांव के निवासी राजेश कुमार गौड़, सुनील कुमार और रवि के साथ कई लोगों ने बताया कि मड़वानगर में लग्जरी घरों को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा पाएगा कि यह कागजों में देहात है। इस गांव में बाहर से आकर लोग शहर समझ कर बसे हुए हैं। लेकिन इस गांव में पानी पीने के लिए कोई शुद्ध व्यवस्था नहीं है। गांव में आबादी के हिसाब से इंडिया मार्का हैंड पंपों की संख्या काफी कम है। जिससे यहां के लोगों को शुद्ध पानी पीने को नहीं मिलता है। यहां के लोगों ने शुद्ध पानी पीने के लिए पाइप लाइन बिछाने के लिए जिला प्रशासन से मांग की है। इनका मानना है कि अगर मड़वागर के सातों पुरवे पर पाइप लाइन बिछ जाए तो सबके घरों में शुद्ध पानी पीने के लिए व्यवस्था हो जाएगी। एकमात्र आंबेडकर पार्क और वह भी बदहाल मड़वानगर गांव में स्थित अंबेडकर पार्क बदहाल का दंश झेल रहा है। इस पार्क में अम्बेडकर की मूर्ति की स्थापित हुए कई वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन इस पार्क में बांउड्रीवाल का निर्माण, बैठने के लिए बेंच सहित तमाम अन्य सुविधाएं नहीं हैं। जिससे इस पार्क की बदहाली के कारण पार्क का उपयोग ग्रामीण नहीं कर पा रहे हैं। यहां के निवासी सुधा वर्मा, पूनम देवी, अशोक के साथ अन्य लोगों ने बताया कि अम्बेडकर पार्क का भूखण्ड काफी बड़ा है। पार्क की बदहाली की वजह से इस पार्क पर लोग धीरे-धीरे अवैध रूप से कब्जा करते जा रहे हैं। इस पर जिम्मेदारों को ध्यान नहीं जा रहा है। इन्होंने बताया कि इस गांव में अम्बेडकर पार्क की सुंदरीकरण हो जाता तो इस पार्क में मार्निक वॉक के लिए गांव के लोगों को एक अच्छी जगह मिल जाती। यहां के लोगों ने इस पार्क पर बाउंड्रीवाल का निर्माण, बच्चों के लिए झूला, बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था के साथ अन्य सुविधाओं के लिए जिला प्रशासन से मांग की है। बिजली के खंभों पर लगे स्ट्रीट लाइट : बस्ती। मड़वानगर के निवासी बताते है कि इस गांव में बिजली के खम्भों व तारों की कमी है। खम्भों व तारों की कमी से गांव में लटकते तार दुर्घटनाओं का दावत दे रही हैं, जिससे गांव के लोग काफी परेशान हैं। लोग बताते हैं कि यहां पर बंदर का काफी आतंक है। तार टूट जाने पर विद्युत कर्मियों को सुविधा शुल्क देकर जुड़वाना पड़ता है। इन लोगों ने बिजली के खम्भों व तारों के साथ प्रकाश के लिए स्ट्रीट लाइटे लगाने के लिए जिम्मेदारों से मांग की है। शिकायतें -मड़वानगर गांव की सड़क व नाली का निर्माण नहीं होने से लोग परेशान हैं। -आंबेडकर पार्क की स्थिति काफी बदहाल में हैं। -गांव में कूड़ेदान न होने से खुले में कूड़ा डाला जा रहा है। -वाटर सप्लाई नहीं होने से पीने के पानी का संकट गहरा गया है। -सफाई कर्मचारियों की कमी से सफाई व्यवस्था चौपट हो गई है। -मच्छरों के बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं किया जाता है। सुझाव -मड़वानगर गांव की सड़क व नाली का निर्माण कराया जाए। -आंबेडकर पार्क का सुंदरीकरण कराया जाए। -गांव में कूड़ेदान की व्यवस्था की जाए, जिससे कूड़ा डाल सके। -वाटर सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछवाया जाए, जिससे लोगों को शुद्ध पानी मिल सकें। -मसफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाया जाए। - मच्छरों के बचाव को एंटीलार्वा का छिड़काव कराया जाए। हमारी भी सुनें मड़वानगर गांव सिर्फ कहने को शहर के बगल है, लेकिन इस गांव में सड़क नहीं निर्माण होने से लगभग सभी लोग परेशान हैं। यहां की सड़कों का निर्माण कराया जाए। राहुल शुक्ला इस गांव में नाली का निर्माण नहीं हुआ है, जिससे यहां के लोगों के घरों के सामने नालियों का गंदा पानी बहता है। इससे हम लोग काफी परेशान है। दुर्गेश बरसात के दिनों में यहां भयावह स्थिति बन जाती है। इस गांव में जल निकासी का कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में गिरकर चोटिल हो जाते हैं। उमेश 12 वर्ष पहले जमीन खरीद था। यहां पर घर बनवा कर रहना शुरू कर दिया है, लेकिन यहां जीवन जीने के लिए मूलभूत सुविधाए नहीं हैं। योगी प्रसाद इस गांव में देहात की शेड्यूल से बिजली की आपूर्ति की जा रही है। यहां पर शहरी विद्युत की व्यवस्था हो जाता तो बच्चों की पढ़ाई में काफी आसानी हो जाएगी। अनीता सिंह आंबेडकर पार्क की जगह चिह्नित है और जगह भी पर्याप्त है। जिम्मेदारों के लापरवाही के कारण इस पार्क की स्थिति काफी बदहाल है। इस पार्क का सुंदरीकरण जरूरी है। किसमावती 15 वर्षों से यहां रह रही हूं। बरसात के दिनों के सांपों से काफी खतरा रहता है। यहां पर जल निकासी और खंभों पर रोशनी की व्यवस्था होना बहुत जरूरी है। रुचि देवी यहां मच्छरों का काफी प्रकोप है। यहां नाली का निर्माण नहीं होने से मच्छरों की संख्या ज्यादा है। इन मच्छरों से बचाव के लिए कोई उपाय किया जाना चाहिए। सुधा वर्मा इस गांव में डस्टबीन नहीं होने के कारण यहां के लोग घरों से निकलने वाला कूड़ा खाली प्लाटों में फेंक दे रहे हैं। जिसकी वजह से यहां पर गंदगी फैला हुआ है। पूनम देवी गांव की आबादी लगभग 15 हजार से अधिक है। आबादी के हिसाब से यहां एक अस्पताल की व्यवस्था नहीं है, जिससे लोगों को बीमार होने पर जिला अस्पताल जाना पड़ता है। शारदा देवी हर गली में रास्तों पर बड़े-बड़े गढ्ढे है। इन गड्ढों में स्कूल जाते समय सड़क पर साइकिल से गिर गया था, जिसमे हाथ टूट गया था। यहां के सड़कों को दुरूस्त कराना बहुत जरूरी है। हर्षित कुमार यहां गैस पाइप लाइन बिछा कर सप्लाई चालू करा दिया गया है, लेकिन वाटर सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है जिसकी वजह से यहां पर शुद्ध पानी पीने के लिए कोई नहीं है। राजेश कुमार बंदरों का आतंक बहुत ज्यादा है। ये बंदरों का झुंड सभी के घरों में घुसकर काट ले रहे है, जिससे यहां के लोग इन बंदरों से भयभीत हैं। बंदरों को पकड़ने के लिए कोई उपाय किया जाए। सुनील कुमार यहां की आबादी को देखते हुए इस गांव को नगरपालिका क्षेत्र में शामिल करने की जरूरत है। शहरीकरण होने के बाद मड़वानगर के सातों पुरवें में विकास को गति मिलेगी। अशोक कुमार यहां पर खम्भों व तारों का अभाव होने के कारण लोगों 500 मीटर की दूरी केबिल तार खींचकर घरों में सप्लाई की जा रही है, बारिश के दिनों करंट लगने का खतरा बढ़ जाता है। शरद कुमार यहां पर ओपेन जिम की व्यवस्था नहीं है। इसलिए यहां के लोगों को स्वास्थ्य को देखते हुए ओपेन जिम की व्यवस्था किया जाना अति आवश्यक है, जिससे यहां के लोग स्वस्थ्य रह सकें। प्रिंस बोले जिम्मेदार शहर से सटे मड़वानगर में डॉ. रमेश की गली का निर्माण हुआ, बलराम के घर से वन विभाग कार्यालय के बाउंड्रीवाल तक इंटरलॉकिंग का काम कराया गया। अपराइज एकेडमी के पास की सीसी सड़क का निर्माण, मड़वानगर चौराहे से धुनियापुर तक नाली निर्माण, कल्पना नर्सिंग होम के आगे मड़वानगर में नाली निर्माण, ग्राम पंचायत में चार हैंडपंप की मरम्मत कराया गया। आगामी के दो वर्ष के दौरान मड़वानगर की अधिकांश गलियों की इंटरलॉकिंग करा दी जाएगी। जलनिकासी की व्यवस्था के लिए नाली का निर्माण होगा। जिन गलियों में प्रकाश व्यवस्था नहीं है, वहां के लिए बजट मिलने पर प्रयास किया जाएगा। वीरेंद्र चौधरी, प्रधान प्रतिनिधि, मड़वानगर
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