Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़बस्तीFast Track Court Sentences Nine in Fake Liquor Case to Six Years in Prison

नकली शराब के नौ कारोबारियों को सजा

बस्ती में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने नौ साल पुराने नकली शराब मामले में नौ लोगों को छह साल की कठोर सजा और 70 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। तीन आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया। 2015 में पुलिस...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीSat, 23 Nov 2024 01:38 AM
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बस्ती, हिन्दुस्तान संवाद। फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय के न्यायाधीश विजय कुमार कटियार की अदालत ने पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र के नौ वर्ष पुराने नकली शराब बनाने के मामले में नौ लोगों को छह-छह वर्ष कठोर कारावास व प्रत्येक को 70 हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। न्यायालय ने तीन आरोपितों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी लक्ष्मीकांत द्विवेदी व अजय बहादुर पाल की टीम ने नकली शराब कांड के मामले में सरकार का पक्ष न्यायालय में रखते हुए बताया कि पहली मई 2015 को पुरानी बस्ती थाना के तत्कालीन प्रभारी जेपी वर्मा अपने हमराहियों के साथ चैनपुरवा के पास वाहन चेकिंग में लगे हुए थे। स्वाट टीम के पुलिस बल के लोग भी वहां आ गए थे। मुखबिर ने बताया कि चैनपुरवा गांव में गोदाम के रूप में प्रयोग हो रहे एक मकान में नकली शराब बनाने का काम चल रहा है। तैयार नकली शराब दो गाड़ियों में लाद कर गोरखपुर भेजने की तैयारी है। दोनों टीमों ने मिलकर दबिश डाला और 17 गत्ते देशी नकली शराब के साथ आरोपितों को गिरफ्तार किया। विवेचना के बाद ओमप्रकाश, समित गौड़ निवासी अलहलादपुर थाना राजघाट गोरखपुर, राजकिशोर शुक्ला, कौशल किशोर शुक्ला निवासी ग्राम चैनपुरवा थाना पुरानी बस्ती, झिनकान पासी व प्रेम कुमार शुक्ला निवासी मेडिकल कॉलेज थाना चिलुवाताल जिला गोरखपुर, दुर्गेश पाल निवासी मियां बाजार पूर्व फाटक गोरखपुर, बिट्टू पासवान निवासी बिलंदपुर थाना कैंट जिला गोरखपुर, पंकज पासवान निवासी भैसही बुजुर्ग गोरखपुर, धर्मेंद्र खुराना मिर्जापुर मेडिकल कॉलेज जिला गोरखपुर, अजय शुक्ला निवासी साहबगंज थाना सहजनवा जिला गोरखपुर व उमेश जायसवाल निवासी मियां बाजार थाना कोतवाली जिला गोरखपुर के विरुद्ध आरोप-पत्र दाखिल हुआ था। दोनों पक्षों को न्यायालय की तरफ से अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया। दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने धर्मेंद्र खुराना, अजय शुक्ला एवं उमेश शुक्ल को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। अन्य आरोपितों को दोषी मानते हुए दंडित किया है। जुर्माना न देने पर आठ महीने 15 दिन की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी।

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