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‘अपार में कठिनाइयां अपार, आधार कार्ड बन रहा रोड़ा

Basti News - बस्ती में ऑटोमेटड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) बनाने में छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। नाम और विवरण में मिसमैच के कारण अपार रिजेक्ट हो रहे हैं। 430207 छात्रों में से केवल...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीSun, 9 Feb 2025 11:15 AM
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‘अपार में कठिनाइयां अपार, आधार कार्ड बन रहा रोड़ा

बस्ती, निज संवाददाता। ऑटोमेटड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) बनाने और बनवाने में ‘अपार में काफी कठिनाइयां आ रही हैं। नाम, पिता के नाम, सरनेम, टीसी का ब्योरा आदि मिसमैच होने के चलते अपार रिजेक्ट हो रहा है। यू-डायस का विवरण रजिस्टर से मैच नहीं होने पर कठिनाई हो रही है। अपार बनाने वालों के पास इसके संशोधन का भी विकल्प नहीं है। छात्रों की एक बड़ी संख्या दो-दो विद्यालयों में रजिस्ट्रेशन की है तो आधार कार्ड व स्कूल रिकॉर्ड के नाम व स्पेलिंग के अंतर की मार से भी विद्यालय और छात्र जूझ रहे हैं। बस्ती जिले में 430207 छात्र पंजीकृत हैं। इनमें से 257945 की अपार आईडी बन गई है। यह संख्या 60 प्रतिशत है। 40 प्रतिशत छात्रों की अपार आईडी नहीं बन पाई है। इसके चलते अधिकांश विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षक और लिपिक निशाने पर हैं। आए दिन इसकी समीक्षा हो रही है, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि उनकी समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है। तकनीकी समस्या के चलते कुछ छात्रों का अपार नहीं बन पा रहा है। इसे विद्यालय तंत्र दूर नहीं कर सकता है, लेकिन इसके लिए विद्यालय को टारगेट किया जा रहा है। शिक्षक रामेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि अपार आईडी उन्हीं छात्रों की बन रही है, जिनका नाम यू-डायस पर फीड है। सभी छात्रों का नाम भी यू-डायस पर फीड नहीं है। जो विवरण यू-डायस पर फीड है, उसके नाम, पिता के नाम, माता के नाम, स्पेलिंग आदि में अंतर होने के चलते अपार आईडी नहीं बन पा रही है। जिनके विवरण यू-डायस और स्कूल रिकॉर्ड में सही हैं तो उनके आधार कार्ड डाटा में मिसमैच हो जा रहा है। इन सभी समस्याओं का समाधान विद्यालय या शिक्षक के पास नहीं है।

शिक्षक नेता संजय द्विवेदी ने बताया कि एक बड़ी संख्या डबलिंग की है। छात्र का नाम किसी माध्यमिक विद्यालय के जूनियर सेक्शन में है तो उसी छात्र का नाम और विवरण पास के किसी सरकारी जूनियर हाईस्कूल में हैं। इसके चलते दोनों विद्यालयों में उस छात्र का अपार जेनरेट नहीं हो रहा है। जब तक एक विद्यालय से डाटा डिलीट नहीं होगा, तब तक अपार आईडी नहीं बन सकती है। इसके लिए कोई समुचित समाधान नहीं है। माध्यमिक शिक्षक आशुतोष सिंह ने बताया कि अधिकांश छात्रों का नाम टीसी के अनुसार भरा गया है। उस छात्र का विवरण आधार पर कुछ और है। छात्र, माता, पिता के नाम में स्पेलिंग का अंतर है। किसी छात्रा के नाम के आगे कुमारी लिखा है, लेकिन आधार पर कुमारी नहीं लिखा है। अब डाटा मिसमैच हो रहा है। इसको संशोधन का भी विकल्प विद्यालय या जिला मुख्यालय पर किसी के पास नहीं है। ऐसे में अपार आईडी बनवाने में काफी कठिनाई आ रही है।

आधार कार्ड में संशोधन के लिए भटक रहे लोग, आवेदन हो रहे रिजेक्ट

आधार कार्ड के नाम में स्पेलिंग मिस्टेक है। किसी का सरनेम छूट गया है। किसी के माता-पिता के नाम की स्पेलिंग में अंतर है। इसके लिए काफी संख्या में लोग आधार सेंटरों का चक्कर लगा रहे हैं। बेलवाडाड़ी की छात्रा के टीसी में सरनेम है तो आधार पर सरनेम नहीं होने के चलते डाटा मिसमैच हो रहा है। आधार कार्ड सुधार के लिए आवश्यक अभिलेख के साथ दो-दो बार संशोधन का आवेदन किया गया, लेकिन बिना कोई कारण बताए उसे रिजेक्ट कर दिया गया। अब उसकी अपार आईडी नहीं बन पा रही है। पचेपेड़िया निवासी कक्षा आठ का एक छात्र नामी स्कूल में पढ़ता है। उसके आधार कार्ड विवरण साऊंघाट विकास खंड के एक जूनियर हाईस्कूल में दर्ज है। अब नामी स्कूल में उसकी अपार आईडी नहीं बन पा रही है। छात्र के अभिभावक जूनियर हाईस्कूल से डाटा डिलीट करने के लिए चक्कर लगा रहा है।

आधार सेंटर पर एक दिन में 20 से 25 आवेदन हो रहे अग्रसारित

जिले में आधार कार्ड संशोधन के लिए सक्रिय सेंटर सर्वर की समस्या से जूझ रहे हैं। संचालक राहुल भट्ट का कहना है कि एक दिन में 70 से 100 लोग आवेदन के लिए पहुंच रहे हैं। सर्वर चलता है तो अधिकतम 20 से 25 आवेदन अग्रसारित होते हैं। सर्वर नहीं चलता है तो यह संख्या दो-चार पर सिमट जाती है। इसमें भी काफी संख्या में आवेदन रिजेक्ट हो जाते हैं, इसका कारण भी पता नहीं चलता है। इससे आवेदन काफी परेशान हैं। सेंटरों पर भीड़ बढ़ रही है, लेकिन कार्य नहीं हो पा रहा है।

अपार बनाने में संशोधन का विद्यालय को मिले विकल्प

शिक्षक नेता अनिरूद्ध त्रिपाठी, विकास भट्ट, उदयभान, संजय द्विवेदी आदि ने कहा कि अपार आईडी बनाने के लिए जो तकनीकी खामी आ रही है, उसे दूसरे करने का समुचित प्रबंध हो। विद्यालय को संशोधन का अधिकार मिले। आधार संशोधन के लिए विद्यालयों में कैंप लगाकर उनकी समस्या का समाधान हो। इस दिशा में सरकार को गंभीर कदम उठाना चाहिए।

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