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जाट रेजीमेंट के 223 वें स्थापना दिवस पर दी गई श्रद्धांजलि

जाट रेजीमेंट के 223वें स्थापना दिवस और 18 वें रीयूनियन समारोह में मंगलवार को कर्नल ऑफ द जाट रेजीमेंट लेफ्टिनेंट जनरल सतेंद्र कुमार सैनी ने जाट वार मेमोरियल पर श्रद्धांजलि दी। उनके साथ एयरफोर्स, नेवी...

हिन्दुस्तान टीम बरेलीTue, 20 Nov 2018 10:23 PM
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जाट रेजीमेंट के 223वें स्थापना दिवस और 18 वें रीयूनियन समारोह में मंगलवार को कर्नल ऑफ द जाट रेजीमेंट लेफ्टिनेंट जनरल सतेंद्र कुमार सैनी ने जाट वार मेमोरियल पर श्रद्धांजलि दी। उनके साथ एयरफोर्स, नेवी के रिटायर्ड और वर्तमान अफसरों ने भी विभिन्न युद्ध के दौरान शहीद हुए जाट रेजीमेंट के सैनिकों को याद कर पुष्पचक्र अर्पित किये। उन्होंने कहा कि हमारा गौरवशाली इतिहास इन्हीं शहीदों और पूर्व सैनिकों की बदौलत है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साउथ कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल और जाट रेजिमेंट के कर्नल आफ द रेजिमेंट सतेंद्र कुमार सैनी ने बख्शी परेड ग्राउंड पर हुए विशेष सैनिक सम्मेलन में मौजूद सैन्य अधिकारियों और सेना के जवानों से रेजीमेंट की आन-बान और मर्यादा का सदैव ध्यान रखने और अपना सर्वस्व न्योछावर करने को कहा। उन्होंने कहा कि परेड में शामिल होना गर्व का मौका है। जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की चुनिंदा रेजिमेंट में से एक है। उन्होंने जवानों से कहा कि इसमें ट्रेनिंग लेना गौरव की बात है। जवान पूरी निष्ठा, ईमानदारी से देश और रेजिमेंट की सेवा करेंगे। बहादुरी, विश्वास और आत्मनिर्भर बनें। जरूरत पड़ने पर देश के लिये अपने प्राणों को न्योछावर कर दें। इस दौरान रेजीमेंट में गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। रेजीमेंट के बख्शी परेड ग्राउंड पर गंगोत्री धुनों के साथ परेड का आयोजन किया गया। लेफ्टिनेंट ने कार से परेड का जायजा लिया। लेफ्टिनेंट जनरल ने गैलेंट्री अवार्ड से नवाजे गये वीर जवानों को सम्मानित किया। इस दौरान ब्रिगेडियर शौर्य चक्र विजेता सेवा मेडल इंद्रजीत सिंह, कर्नल आशुतोष मिश्रा, एके भोसले, मेजर सौरभ समीर समेत सेना के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अनिल नायर ने किया।

मुगलों से लोहा लेने को अंग्रेजों ने बनाई थी रेजिमेंट

जाट रेजीमेंट की स्थापना 1795 में कलकत्ता नेटिव मिलेशिया के रूप में हुई थी। 1859 में इस यूनिट को एक रेगुलर इंफेंट्री बटालियन बनाकर 18वीं बंगाल इंफेंट्री नाम दिया। 1922 में जब नौ जाट रेजीमेंट की स्थापना हुई तो इसे कुछ समय के लिए चार जाट का नाम दिया। रेजीमेंट की अन्य पुरानी पलटनें जिसमें एक व तीन जाट, बंगाल सेना और दो जाट, बांबे सेना से आई थीं। 1842 के प्रथम अफगान युद्ध में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए लाइट इंफेंट्री का खिताब हासिल किया था। सन् 1892 में फस्र्ट जाट को जाट लाइट इंफेंट्री बनाया। प्रथम विश्वयुद्ध में इसे रॉयल के टाइटल से सम्मानित किया गया। 1817 में दो जाट की स्थापना दस बांबे आर्मी इंफेंट्री के रूप में हुई और 1848 के दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध में दो जाट ने मुल्तान का बैटल ऑनर हासिल किया। जाट रेजिमेंट की वर्तमान में 23 बटालियन हैं। बरेली जाट रेजिमेंट सेंटर का मुख्यालय है।

मेडल कह रह हैं रेजिमेंट की शौर्यगाथा

जाट रेजिमेंट को पांच बेटल आनर्स, दो अशोक चक्र, आठ महावीर चक्र, 12 कीर्ति चक्र, 46 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 253 सेना मेडल गैलेंट्री से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा रेजिमेंट में चार अर्जुन अवार्ड विजेता, आठ ओलंपियन, दो हिंद केसरी, एक ध्यानचंद अवार्ड, एक तेनजिंग नार्गे अवार्ड के अलावा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं।

बेस्ट प्रदर्शन करने वाले सात जवान सम्मानित

ट्रेनिंग के दौरान बेस्ट प्रदर्शन करने वाले सात जवानों को लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी ने सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में रिक्रूट विजय कुमार, कृष्ण कुमार, देवेंद्र कुमार, विकासवीर सिंह, संदीप कुमार, गजेंद्र कुमार, संदीप कुमार को डा. कालिया ट्रुाफी और सुमित कुमार को सिल्वर गरुड़ ट्राफी से सम्मानित किया गया।

अंतिम पग पर लड़खड़ाये कई जवान

बख्शी परेड ग्राउंड पर परेड समाप्त करने के बाद सलामी देते हुये जवान ग्राउंड से बाहर निकल रहे थे। उनकी नजरें लेफ्टिनेंट जनरल की ओर थीं। गेट की ओर मार्बल का पत्थर लगा हुआ था। उस पर अंतिम पग लिखा था। मैदान में पानी होने की वजह से जूतों में नमी थी। जवानों के पैर पत्थर पर पड़ते ही फिसल रहे थे। इस दौरान कई जवान लड़खड़ाये और कई जवान जमी पर गिर भी गये।

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