भगवान राम ही जीवन का आधार:: स्वामी अमृतदास खाकी महाराज
---आंवला के ढिलवारी धाम पर श्रीराम कथा
आंवला के ढिलवारी धाम पर श्रीराम कथा आंवला। श्री बालाजी हनुमत विग्रह धाम ढिलवारी में शुरू हुई श्रीराम कथा में व्यास स्वामी अमृतदास खाकी महाराज ने अनेक प्रसंगों में मां पार्वती के सती प्रसंग, कामदेव के भस्म होने तथा भगवान शिव द्वारा विवाह को सहमत होने की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि राजा दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था। इस महायज्ञ में राजा ने भगवान शिव को छोड़कर समस्त देवताओं को आमंत्रण भेजा था। आमंत्रण नहीं मिलने के बाबजूद सती भगवान शिव से अपने पिता के यहां जाने की इच्छा जताई। तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही। लेकिन सती भगवान शिव की बात को नजरअंदाज कर पिता के घर चली गई। जहां पिता द्वारा भगवान शिव के अपमान की पीड़ा सती बर्दाश्त नहीं कर सकी और हवन कुंड में कूदकर खूद को अग्नि में समर्पित कर दिया। उन्होनें कहा कि राम कथा का मतलब मर्यादा और त्याग की कथा है। उन्होंने प्रभु को पाने के लिये देह आसक्ति छोड़नी होगी। शरीर और घर से मोह त्यागने वाला ही प्रभु को पा सकता है। पूजन आचार्य विकास उपाध्याय शास्त्री, वैदिक उमंग दीक्षित, अर्पित शर्मा, आशीष शर्मा ने कराया। धाम के महंत बिरजू दास जी महाराज तथा अनेक संत मौजूद रहे।
फोटो 12- आंवला क्षेत्र के गांव ढिलवारी धाम पर श्री रामकथा वाचन करते स्वामी अमृतदास खाकी महाराज।
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