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बोले बरेली: कचहरी परिसर में अधिवक्ता चाहते हैं पेयजल, पार्किंग और शौचालय

Bareily News - बरेली कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं और वादकारियों को बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। शौचालय, पेयजल, और पार्किंग की व्यवस्था न होने से वे परेशान हैं। महिला अधिवक्ताओं के लिए स्थिति और...

Newswrap हिन्दुस्तान, बरेलीFri, 28 Feb 2025 11:36 PM
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बोले बरेली: कचहरी परिसर में अधिवक्ता चाहते हैं पेयजल, पार्किंग और शौचालय

कचहरी परिसर में सुविधाओं की कमी और प्रशासन की उदासीनता के कारण यहां काम करने वाले वकील, वादकारी और पैरवी करने वाले रोजाना समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सड़कों से लेकर शौचालय, पेयजल और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जबकि महिला अधिवक्ताओं के लिए तो स्थिति और भी जटिल है। इस बदहाल स्थिति में वकीलों को न केवल सुरक्षा की चिंता है, बल्कि पार्किंग और बुनियादी जनसुविधाओं की कमी भी परेशानी का सबब बन चुकी है। प्रशासन से बार-बार मुद्दा उठाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बरेली कचहरी परिसर की स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है, जिससे यहां काम करने वाले वकीलों और रोजाना आने वाले हजारों वादकारियों एवं पैरवी करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जन सुविधाओं के मामले में कचहरी, शहर के अन्य हिस्सों की तुलना में पूरी तरह उपेक्षित नजर आती है। यहां काम करने वाली महिला अधिवक्ताओं की स्थिति और भी ज्यादा खराब है। कचहरी परिसर में न तो पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था है, न ही शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं।

अधिवक्ताओं की सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। बरसात के मौसम में कचहरी की मुख्य सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है, और जिला न्यायालय परिसर का कुछ हिस्सा भी इस समस्या का शिकार हो जाता है। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि इन समस्याओं को लेकर उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों से मुद्दा उठाया है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों, डीएम और कमिश्नर तक को अवगत कराया है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके अलावा, अधिवक्ताओं को कई अन्य समस्याएं भी झेलनी पड़ रही हैं। इनमें बैठने के लिए चैंबर, दुर्घटना बीमा, आयुष्मान योजना का लाभ, नए वकीलों के लिए भत्ता जैसी समस्याएं शामिल हैं, लेकिन इन पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अधिवक्ताओं का कहना है कि वे समाज के हर वर्ग के लिए केस में पैरवी करते हैं, लेकिन उनकी अपनी जरूरतों के लिए कोई आगे नहीं आता। अधिवक्ताओं का कहना है कि नगर निगम और संबंधित प्रशासन को चाहिए कि वे इन समस्याओं का समाधान शीघ्र करें ताकि वकीलों और वादकारियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और उनका कार्य सुचारू रूप से चल सके।

महिला अधिवक्ताओं के लिए सुविधाओं का अभाव

बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार, महिला अधिवक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो इस प्रोफेशन में रुचि रख रही हैं, लेकिन कचहरी परिसर में महिला अधिवक्ताओं के लिए नगर निगम ने एक भी पिंक टायलेट की व्यवस्था नहीं की है। बरेली को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करीब दो हजार करोड़ रुपये मिले हैं, जिससे कई विकास कार्य हुए हैं, जिनमें पिंक टायलेट भी शामिल हैं, लेकिन कचहरी में एक भी पिंक टायलेट का निर्माण नहीं किया गया।

स्वच्छता की स्थिति भी चिंताजनक

कचहरी परिसर में सफाई की स्थिति भी बहुत खराब है। यहां हजारों वकील काम करते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि नगर निगम इस परिसर का हिस्सा नहीं है। सैकड़ों चैंबर बने हुए हैं, लेकिन नगर निगम ने कचहरी के लिए एक सफाईकर्मी तक नियुक्त नहीं किया है। वकील अपने स्तर से सफाई कराकर कूड़ा बाहर फेंक देते हैं, लेकिन नगर निगम उस कूड़े को उठवाने की जिम्मेदारी नहीं लेता। यह स्थिति भी वकीलों को अपने संसाधनों से सुधारनी पड़ती है।

मुख्य मार्ग बन जाता है तालाब

कचहरी पर दो मुख्य मार्ग हैं, एक शराब गोदाम और दूसरा कलेक्ट्रेट के सामने वाला। बरसात के दिनों में शराब गोदाम वाली सड़क तालाब बन जाती है। जल निकासी न होने के कारण बरसात का पानी न्यायालय परिसर में भी भर जाता है। ऐसे में केस की पैरवी के लिए उन लोगों को गंदे पानी के बीच से गुजरकर कोर्ट जाना पड़ता है। यहां सड़क किनारे नाला बना हुआ है लेकिन उसकी सफाई न होने के कारण बरसात में हर साल यह समस्या होती है।

अंधेरा होने से आए दिन होती चोरियां

अधिवक्ताओं ने बताया कि कचहरी परिसर में नगर निगम की ओर से कोई भी प्रकाश व्यवस्था नहीं की गई है। उन लोगों के चैंबर पर कुछ बल्ब लगे रहते हैं लेकिन रात में उनका प्रकाश नाकाफी होता है। रात में सुरक्षा की भी यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इस वजह से आए दिन अधिवक्ताओं के चैंबर का ताला तोड़कर चोर महत्वपूर्ण दस्तावेज, इन्वर्टर-बैटरी समेत वहां रखी अन्य वस्तुएं चोरी करके ले जाते हैं।

आवारा कुत्तों का भी रहता है आतंक

जनसुविधाओं के साथ ही आवारा कुत्ते भी कचहरी पर बड़ी समस्या हैं। कई बार आवारा कुत्ते न्यायालय परिसर तक पहुंच जाते हैं और रास्ते में कब्जा जमा लेते हैं। ऐसे में वहांसे गुजरने वाले लोग कुत्तों के काटने को लेकर भयभीत रहते हैं। मगर नगर निगम की टीम आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कभी भी कचहरी तक नहीं पहुंचती। इसी वजह से हर समय यहां कुत्तों का जमावड़ा लगा रहता है।

पेयजल की नहीं है कोई व्यवस्था

पूरे कचहरी परिसर में नगर निगम की ओर से पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। न तो यहां प्याऊ बनवाए गए हैं और न ही टंकियां लगवाई गई हैं। अधिवक्ताओं द्वारा कुछ पानी की टंकियां बनवाई भी गई हैं लेकिन नगर निगम कभी इनकी सफाई कराने तक की जहमत नहीं उठाता। इस वजह से अधिवक्ताओं और वादकारियों को पीने के लिए घर से पानी लाना पड़ता है या फिर सप्लाई वाले से खरीदकर पानी पीना पड़ता है।

पार्किंग का नहीं कोई इंतजाम

कचहरी पर हर दिन औसतन 20 हजार लोगों का आवागमन होता है। इसके अलावा दो हजार से ज्यादा अधिवक्ता भी वहां कार्य करते हैं। इनमें से तमाम लोग अपने चार पहिया या दो पहिया वाहन से आवागमन करते हैं लेकिन उनके वाहन खड़े करने के लिए पूरे इलाके में कोई पार्किंग नहीं है। इस वजह से वाहन सड़क पर खड़े होते हैं और हर समय जाम का कारण बनते रहते हैं। इस वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना होता है।

सरकार दे अधिवक्ताओं की समस्याओं का ध्यान

अधिवक्ताओं ने कहा कि स्थानीय के साथ ही उनके कामकाज और आजीविका से जुड़ी भी तमाम समस्याएं हैं। हर साल तमाम नये अधिवक्ता इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं। इस वजह से अधिवक्ताओं की संख्या बढ़ रही है लेकिन नए चैंबर न बनने से उनके बैठने की जगह कम होती जा रही है। हर जगह मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बन रही हैं तो उनके बारे में भी कुछ ऐसा ही सोचा जाए। नये अधिवक्ताओं के लिए सरकार कुछ भत्ते की व्यवस्था भी करे ताकि वे आसानी से स्वावलंबी होकर आगे बढ़ सकें और इस व्यवसाय को छोड़ने के लिए मजबूर न हों। साथ ही अधिवक्ता सुरक्षा बिल लाया जाए ताकि आए दिन उनके साथ होने वाली घटनाओं पर रोक लग सके। उनके लिए दुर्घटना बीमा की व्यवस्था हो और आयुष्मान योजना में शामिल किया जाए।

समस्याएं:

1. कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं के लिए पर्याप्त बैठने की जगह नहीं है, और नए वकीलों के लिए चैंबर का भी संकट है।

2. कचहरी परिसर में सुरक्षा की व्यवस्था कमजोर है, और चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं।

3. कचहरी परिसर में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे वकील और वादकारी पानी लाने के लिए मजबूर हैं।

4. कचहरी परिसर में सफाई की स्थिति बहुत खराब है। कचहरी में कई जगहों पर कूड़ा पड़ा रहता है, और सफाई कर्मचारी भी नहीं नियुक्त किए गए हैं।

5. कचहरी परिसर में शौचालय की व्यवस्था अपर्याप्त है, महिला अधिवक्ताओं और वादकारियों को दिक्कत होती है।

6. कचहरी परिसर में पार्किंग की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे सड़क पर जाम की स्थिति उत्पन्न होती है।

समाधान:

1. कचहरी परिसर के आस-पास खाली जगहों का इस्तेमाल करते हुए नये चैंबरों के निर्माण का प्लान तैयार किया जाए। मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग बनवाने की योजना बनाई जा सकती है।

2. कचहरी परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगवाने और रात के समय सुरक्षा बढ़ाने के लिए पुलिस पिकेट की व्यवस्था की जानी चाहिए।

3. कचहरी परिसर में कम से कम चार स्थानों पर आरओ प्लांट लगाए जाएं। नगर निगम को चाहिए कि इन टंकियों की नियमित सफाई भी सुनिश्चित करे।

4. नगर निगम को चाहिए कि कचहरी परिसर में नियमित सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करे और एक या दो सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति करे।

5. कचहरी परिसर में कम से कम दो पिंक टायलेट और चार सामान्य शौचालय बनवाए जाएं।

6. कचहरी परिसर के आसपास पार्किंग के लिए एक सुसंगत योजना बनाई जाए। सड़कों के किनारे अतिक्रमण करने वाले ठेला और रेहड़ी वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, ताकि आवागमन में रुकावट न हो।

अधिवक्ताओं की सुनिए

स्मार्ट सिटी बनी लेकिन अधिवक्ताओं को कुछ नहीं मिला। पूर्व सरकार ने हमारे लिए चैंबर व इंफ्रास्ट्रक्चर दिया लेकिन अब कुछ नहीं हो रहा। कलेक्ट्रेट गेट के सामने टिन शेड पड़ा है, जिसमें अधिवक्ता बैठते हैं। पहले कभी वह नगर निगम का तांगा शेड हुआ करता था, जिसमें पिछले दिनों मार्केट बनाने की तैयारी कर ली गई। उन लोगों ने आपत्ति की तो मेयर वहां चैंबर बनवाने को तैयार हो गए लेकिन अब उस कार्य को जल्दी होना जरूरी है। नये अधिवक्ताओं के लिए मानदेय, सभी के लिए आयुष्मान और दुर्घटना बीमा की व्यवस्था की जाए। - मनोज हरित, अध्यक्ष बार एसोसिएशन

अधिवक्ताओं के बैठने के लिए कचहरी में पर्याप्त जगह नहीं है। अधिवक्ताओं की संख्या बढ़ रही है लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ रही हैं। अधिवक्ता संसोधन बिल के माध्यम से हम पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई, यह गलत है। - धीरेंद्र वर्मा, पूर्व डीजीसी क्राइम

मैं सरकार और लोकल बॉडी से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने हमारे लिए क्या किया? मुरादाबाद में महिला अधिवक्ता पर एसिड अटैक हुआ, ऐसी घटनाएं रोकने के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल लागू हो। नये अधिवक्ताओं के लिए मानदेय मिले। - राधा कमल सारस्वत, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन

बरसात के दिनों में कचहरी की मुख्य रोड और न्यायालय परिसर में जलभराव हो जाता है। घुटनों तक भरे पानी से होकर उन्हें केस की पैरवी के लिए जाना पड़ता है। नगर निगम को इस समस्या का जल्दी और हर हाल में समाधान कराना चाहिए। - ललित कुमार सिंह, अधिवक्ता

अधिवक्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए। किसी साथी के साथ दुर्घटना होने पर हम लोग व्यक्तिगत रूप से मदद करते हैं। सरकार कम से कम 20 लाख रुपये दुर्घटना बीमा लागू करे और आयुष्मान की सुविधा उपलब्ध कराए। - धर्मेंद्र शर्मा, अधिवक्ता

अधिवक्ताओं को राजनीति में कोई महत्व नहीं दिया जाता है। शिक्षकों के लिए एमएलसी में मौका मिलता है। ऐसे में विधान परिषद में कम से कम दस प्रतिशत कोटा अधिवक्ताओं के लिए हो ताकि सरकार में हमारा भी प्रतिनिधित्व हो सके। - आनंद रस्तोगी, अधिवक्ता

सुरक्षा के लिहाज से पूरे कचहरी परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए ताकि आए दिन चोरी की घटनाओं पर रोक लग सके। चेकिंग के दौरान पुलिस अधिवक्ताओं से अच्छा व्यवहार करे। स्काई वॉक जैसी व्यवस्था कचहरी पर हो ताकि वकीलों के बैठने को जगह बढ़ सके। - अरुण सक्सेना, अधिवक्ता

ऑफिसर्स हॉस्टल के पास पूर्व में भाजपा नेता सुधीर जैन की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। वहां वाहन बहुत तेज गति से दौड़ते हैं। कचहरी आने का यह प्रमुख मोड़ है, हादसों को देखते हुए नगर निगम को यहां पर स्पीड ब्रेकर बनवाना चाहिए। - अजय निर्मोही, अधिवक्ता

कचहरी में पेयजल और पानी निकासी की बड़ी समस्या है। हम अधिवक्ता विभिन्न माध्यमों से सरकार को अरबों रुपये का राजस्व देते हैं। हर परिस्थिति में हम काम करते हैं तो हमारी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं किया जाता है। - आभास पंत, अधिवक्ता

कचहरी परिसर में सफाई व्यवस्था बदहाल है। जलभराव के अलावा जनसुविधाएं भी बदहाल स्थिति में हैं। अधिवक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन कचहरी में उनके बैठने के लिए पर्याप्त जगह तक नहीं है। इनका समाधान होना चाहिए। - उदयवीर सिंह यादव, अधिवक्ता

यह मेरा तीसरा कार्यकाल है लेकिन नगर निगम यहां की सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं करा सका। नगर निगम, जिलाधिकारी, कमिश्नर से लेकर हर जगह शिकायतें कीं लेकिन यह व्यवस्था ठीक नहीं हुई। कई बार चिट्ठी लिखने के बावजूद कचहरी में पिंक टायलेट नहीं बनवाई गई। रात में कचहरी परिसर में अंधेरा रहता है। पेयजल तक की व्यवस्था ठीक नहीं है। रिमाइंडर देने पर भी जवाब नहीं मिलता। यहां रोजाना आने वाले हजारों वादकारियों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। इनका समाधान होना चाहिए। - वीपी ध्यानी, सचिव बार एसोसिएशन

नगर निगम ने कचहरी पर कोई सफाई कर्मचारी तक नियुक्त नहीं किया है। इस वजह से हम लोगों को खुद ही सफाई करनी पड़ती है। कूड़ा बाहर डालते हैं लेकिन उसे उठाने भी कोई नहीं आता। इस वजह से हर जगह गंदगी रहती है। - अमित अवस्थी, अधिवक्ता

नगर निगम से जब भी चैंबर देने की बात कही जाती है तो अतिक्रमण के नाम पर गुमराह करने की कोशिश करते हैं। नगर निगम को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि अधिवक्ता आराम से बैठकर अपना व्यवसाय कर सकें। - अनुज कांत सक्सेना, अधिवक्ता

हम नये अधिवक्ताओं के लिए मानदेय का पूर्व में आश्वासन मिला लेकिन फिर यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। कचहरी के पास जगह है, जिस पर चैंबर बनवा दिए जाएं तो उन लोगों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह हो जाएगी। - श्यामवीर सिंह, अधिवक्ता

बजट में अधिवक्ता वर्ग के लिए कोई प्रावधान नहीं किया जाता है। अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रोटेक्शन एक्ट को लागू किया जाए। स्थानीय स्तर पर कचहरी परिसर में शौचालय की व्यवस्था दुरुस्त कराई जाए। - आदित्य सक्सेना, अधिवक्ता

कचहरी में महिला वादकारियों और अधिवक्ताओं के लिए अलग शौचालय की बहुत जरूरत है। इसके साथ ही महिला अधिवक्ताओं के बैठने के लिए अलग से एक कक्ष का भी निर्माण कराया जाए। - अनु गंगवार, अधिवक्ता

महिला अधिवक्ताएं बढ़ी हैं लेकिन कचहरी में उनके लिए सुविधाओं का बहुत अभाव है। जेल रोड पर सबसे ज्यादा दिक्कत है। यहां पर कई महत्वपूर्ण ऑफिस हैं लेकिन पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। इसका इंतजाम किया जाना चाहिए। - संभव शील, अधिवक्ता

सड़क किनारे रेहड़ी और ठेला वालों ने अतिक्रमण करके आवागमन मुश्किल कर दिया है। पार्किंग पहले से ही नहीं है और इनके सड़क पर रहने की वजह से जाम लगता है। इस समस्या का नगर निगम को तत्काल समाधान कराना चाहिए। - एमटी सिद्दीकी, अधिवक्ता

शराब गोदाम रोड और कलेक्ट्रेट के सामने वाली सड़क पर यातायात को वन वे किया जाना चाहिए ताकि यहां पर जाम की समस्या का समाधान हो सके। अभी दोनों ओर से वाहन सामने आने पर यहां अक्सर जाम की स्थिति बन जाती है। - जावेद अली खान, अधिवक्ता

अधिवक्ता समाज की अहम कड़ी है। इन्हें भी आयुष्मान योजना का लाभ मिलना चाहिए। साथ ही कचहरी परिसर में नगर निगम की ओर से बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।

- यशेन्द्र सिंह

कचहरी पर वाहनों के लिए पार्किंग न होना बहुत बड़ी समस्या है। इसकी वजह से वाहन सड़क पर खड़ होते हैं और जाम लगता है। इसी तरह चैंबर की कमी भी एक बड़ी समस्या है। इन दोनों समस्याओं पर नगर निगम को ध्यान देना चाहिए। - अजय मौर्य, अधिवक्ता

ट्रैफिक पुलिस चालान तो भारी राशि का करती है लेकिन कचहरी पर यातायात की व्यवस्था का बिल्कुल ध्यान नहीं देती है। यहां पर अक्सर जाम लगता है लेकिन ट्रैफिक पुलिस जाम खुलवाने नहीं पहुंचती है और लोग परेशान होते रहते हैं। - अनुज कुमार, अधिवक्ता

स्मार्ट सिटी में पिंक टायलेट का प्रावधान है लेकिन नगर निगम ने कचहरी को इससे मुक्त कर रखा है। यहां पर महिलाओं के लिए शौचालय की ठीक व्यवस्था न होने के कारण उन लोगों को और महिला वादकारियों को काफी परेशान होना पड़ता है। - पूजा मिश्रा, अधिवक्ता

कचहरी पर व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए नगर निगम को ध्यान देना चाहिए। यहां पर न तो पर्याप्त शौचालय हैं और न ही पेयजल व सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं दुरुस्त हैं। नगर निगम की अनदेखी के चलते यहां हर ओर बदहाली है। - प्रेरणा सिंह, अधिवक्ता

युवा अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए सरकार को योजनाएं बनाकर उनका शीघ्र क्रियान्वयन कराना चाहिए। कचहरी को भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल करके विकास कार्य कराए जाएं। - हरीश आजाद, अधिवक्ता

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