पीडब्ल्यूडी में दो महिला बाबू बर्खास्त, वसूली के आदेश
शाहजहांपुर में पीडब्ल्यूडी की दो महिला बाबुओं, समीक्षा सिंह और श्वेता जौहरी, को मृतक आश्रित कोटे में फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी हासिल करने के लिए बर्खास्त कर दिया गया। जांच में उनकी मांओं की सरकारी...
फर्जी दस्तावेज के जरिए मृतक आश्रित कोटे में नौकरी हासिल करने वाली पीडब्ल्यूडी की दो महिला बाबुओं पर आखिरकार गाज गिर गई। शाहजहांपुर एक्सईएन की जांच में तथ्यों को छिपाकर नियुक्ति कराने की पुष्टि हुई। शाहजहांपुर एक्सईएन की जांच रिपोर्ट के आधार पर समीक्षा सिंह और श्वेता जौहरी को बर्खास्त कर दिया। एसई ने एक्सईएन निर्माण खंड को वेतन की रिकवरी और विधिक कार्रवाई कराने को कहा है। पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड में श्वेता जौहरी और समीक्षा सिंह की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में हुई थी। श्वेता जौहरी ने 27 जुलाई 1999 और समीक्षा सिंह को 6 अगस्त 2005 ज्वाइन कराया गया। दोनों के पिता पीडब्ल्यूडी में कार्यरत थे। श्वेता जौहरी की मां बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका थीं, जबकि समीक्षा सिंह की मां बाल विकास एवं पोषाहार विभाग में मुख्य सेविका के पद पर कार्यरत थीं। श्वेता जौहरी और समीक्षा सिंह ने शपथ पत्र में मां को घरेलू महिला बताया था, जबकि दोनों की मां सरकारी सेवा में थीं। श्वेता जौहरी प्रधान सहायक और समीक्षा सिंह वरिष्ट सहायक के पद तक पहुंच गईं। 2021 में फर्जी दस्तवेज के जरिए मृतक आश्रित कोटे में नौकरी लेने की शिकायत हुईं।
शासन और लोकायुक्त तक मामला पहुंचा। शासन के आदेश पर तत्कालीन चीफ इंजीनियर ने शाहजहांपुर के एक्सईएन से दो मामलों की जांच कराई। जांच में हकीकत सामने आ गई। दोनों महिला बाबुओं ने अपनी-अपनी मां के सरकारी सेवा होने के तथ्य को छिपाकर नौकरी ली। पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता (एसई) ने जांच रिपोर्ट के आधार पर दोनों महिला बाबुओं को बर्खास्त कर मुख्यालय रिपोर्ट भेजी दी। इसकी पुष्टि एसई ऑफिस ने की है।
11 दिसंबर 2023 को हुआ था निलंबन
बरेली। महिला बाबुओं के खिलाफ जांच शुरू होते ही तत्कालीन एसई ने दोनों को निलंबित कर दिया था। 11 दिसंबर 2023 से समीक्षा सिंह और श्वेता जौहरी निलंबित चल रहीं थीं।
कई साल तक चलती रही मामले को दबाने की कार्रवाई
बरेली। तीन साल से श्वेता जौहरी और समीक्षा सिंह की फर्जी नियुक्ति के मामले को दबाने की कोशिश होती रही। मामले की दबाने के लिए शिकायतकर्ताओं से समझौते की कोशिश भी हुईं।
25 साल सर्विस के बाद खुली पोल
श्वेता जौहरी करीब 25 साल नौकरी कर चुकीं। जबकि श्वेता सिंह भी 19 वर्ष तक काम कर चुकीं हैं। इतने लंबे समय तक फर्जीवाड़े को दबाए रखा गया।
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