आंगनबाड़ी कार्यकत्री: बच्चों का कुपोषण भगाने वाली मांग रहीं पोषण की डोज
Bareily News - गांवों और शहरों में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन उन्हें केवल 6000 रुपये मानदेय मिलता है। वे बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सेहत के लिए दिन-रात काम करती हैं। उन्हें कई...
गांव से लेकर शहर तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की सफलता के पीछे बड़ी भूमिका आंगनबाड़ी कार्यकत्री की होती है। छोटे-छोटे बच्चे और गर्भवती-धात्री को सेहतमंद बनाने में आंगनबाड़ी वर्कर रात-दिन एक करती हैं। कुपोषण भगाने के लिए पोषाहार वितरित करती हैं। बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना सिखाती हैं पर मानदेय महज 6 हजार रुपये है। ऐसे में उनके सामने घर चलाने की चुनौती है। आंगनबाड़ी कार्यकत्री की कई भूमिका हैं। केंद्रों पर छह साल से छोटे बच्चों को खेल-खेल में अक्षर ज्ञान करती हैं। उनको उठने-बैठने और भोजन करने का तरीका बताती हैं। बोलने का संस्कार देती हैं। आंगनबाड़ी वर्कर को सरकार की ज्यादातर कल्याणकारी योजनाओं में अलग-अलग जिम्मेदारी दी जाती है।
घर-घर जाकर मतदाता सूची को दुरुस्त कराने में आंगनबाड़ी का खास रोल रहता है। स्वास्थ्य विभाग की एएनएम के साथ मिलकर बच्चों के साथ महिलाओं का टीकाकरण कराती हैं। उनका वजन लेती हैं। छोटे-छोटे बच्चों के साथ गर्भवती और धात्री महिलाओं का रिकार्ड ऑनलाइन फीड करती हैं। साल के 12 महीने बगैर अवकाश 6 हजार रुपये मानदेय पर नौकरी करने वाली आंगनबाड़ी वर्कर की समस्याएं भी कम नहीं हैं। ऑनलाइन फीडिंग के नाम पर दी गईं सुविधाओं ने इनकी मुश्किल और बढ़ा दीं। तीन साल पहले दिए गए ज्यादातर एंड्रायड फोन खराब हो गए। मोबाइल का रिचार्ज की व्यवस्था नहीं है। हर महीने पोषण ट्रैकर पोर्टल पर केंद्र पर पंजीकृत बच्चे और गर्भवती-धात्री महिलाओं का रिकार्ड फीड करने निजी तौर पर मोबाइल रिचार्ज कराना पड़ता है। फोन खराब होने से डिटेल भेजने में दिक्कते आती हैं।
आंगनबाड़ी वर्कर को 6 हजार मानदेय के साथ बेहतर काम करने पर 2 हजार तक की प्रोत्साहन राशि(पीएलआई) देने का प्रावधान है। यह पीएलआई ब्लॉक पर सीडीपीओ की मेहरबानी पर टिकी है। सीडीपीओ नाखुश तो समझो पीएलआई खत्म। इनका मानदेय रुकना तो आम बात है। सहायिका की स्थिति और भी खराब है। उनको सिर्फ 3 हजार रुपये प्रति महीने मानदेय मिलता है। हिन्दुस्तान के बोले बरेली अभियान की टीम से आंगनबाड़ी वर्कर ने अपना दर्द बयां किया। मंहगाई को देखते हुए मानदेय बढ़ाने की मांग की। अफसरों के शोषण से निजात दिलाने की बात कही।
पोषाहार के बगैर फीडिंग का दवाब, मैसेज कराता है बवाल
आंगनबाड़ी वर्कर को समाज और अफसरों के बीच तालमेल बनाना मुश्किल हो रहा है। पोषाहार में लूट खसोट करने वाले अधिकारी आंगनबाड़ी वर्कर पर बगैर राशन के ऑनलाइन फीडिंग का दवाब बनाते हैं। फीडिंग करते ही लाभार्थी के फोन पर मैसेज जाता है। मैसेज पहुंचते ही लाभार्थी आंगनबाड़ी वर्कर से सवाल जवाब करते हैं। उनसे लड़ते झगड़ते हैं। आंगनबाड़ी वर्कर का कहना है कि लाभार्थियों के हिसाब से पूरा पोषाहार आवंटित किया जाना चाहिए। लाभार्थियों को पोषाहार वितरित करने के बाद फीडिंग का काम करना चाहिए। ताकि विवाद की स्थिति पैदा न हो। आंगनबाड़ी वर्कर ने हर महीने पोषाहार न मिलने की बात कही।
200 रोज पर कैसे चले परिवार
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के सामने 6 हजार रुपये के मानदेय पर परिवार चलाना मुश्किल है। घर के खर्च पूरे नहीं होते। बच्चों की पढ़ाई और दूसरी जरूरतों को पूरा नहीं करा पा रहीं। मनरेगा श्रमिक से कम मजदूरी पर आंगनबाड़ी वर्कर काम कर रहीं हैं। सहायिका का तो सिर्फ 100 रुपये रोज के हिसाब से ही मानदेय है।
केंद्रों पर टॉयलेट की नहीं व्यवस्था
ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों पर टॉयलेट के इंतजाम नहीं हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कहना है कि जहां केंद्र लर्निंग लैब में तब्दील हो गए हैं वहां तो टॉयलेट बन गए हैं। बाकी केंद्रों पर टॉयलेट नहीं हैं। कई दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। छोटे बच्चों को भी परेशानी होती है।
केंद्रों की मरम्मत का नहीं इंतजाम
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कहना है कि केंद्र जर्जर होते जा रहे हैं। मरम्मत के लिए कोई बजट मुहैया नहीं कराया जाता। लर्निंग लैब का छोड़ दें तो बाकी सेंटरों की हालत अच्छी नहीं है। बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था होनी चाहिए। हर मौसम में बच्चों को फर्श पर बैठाना ठीक नहीं होता।
शिकायतें:
1. आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं को मानदेय
सिर्फ 200 और 100 रुपये रोजाना है
2. प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने के लिए ब्लॉक के अधिकारी करते हैं परेशान
3. आंगनबाड़ी सेंटर पर टॉयलेट और फर्नीचर जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं
4. आंगनबाड़ी वर्कर के दूसरे कर्मचारियों की तरह काम करने के घंटे तय होने चाहिए
5. पंजीकृत लाभार्थियों से कम पोषाहार वितरित करने के लिए दिया जाता है
6. आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिका
को रिटायरमेंट के बाद पेंशन की
सुविधा नहीं
7. विभागीय मोबाइल खराब हैं, रिचार्ज की कोई व्यवस्था नहीं की गई
सुझाव:
1. आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए
2. प्रोत्साहन राशि का भुगतान को लेकर अधिकारियों की मनमानी खत्म की जाए
3. आंगनबाड़ी केंद्रों पर टॉयलेट और फर्नीचर जैसी बुनियादी सुविधाएं दी जाएं
4. पंजीकृत लाभार्थियों के मुताबिक पूरा पोषाहार केंद्र पर वितरित किया जाए
5. आंगनबाड़ी वर्कर को पेंशन के साथ पीएफ की सुविधा भी मिलनी चाहिए
6. आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सहायिका के खाली पदों पर ईमानदारी से भर्ती हो
7. आंगनबाड़ी वर्कर से सिर्फ केंद्र का काम लिया जाए, बाकी योजनाओं को दूर रखा जाए
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