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बोले बाराबंकी

Barabanki News - बाराबंकी जिले के असैनी गांव में स्कूलों के पास खुली शराब की दुकानों से ग्रामीण परेशान हैं। अभिभावकों को डर है कि शराबियों के कारण उनकी बेटियों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। शराब की दुकानों के खिलाफ कई...

Newswrap हिन्दुस्तान, बाराबंकीSat, 22 Feb 2025 10:29 PM
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बोले बाराबंकी

फोटो कैप्शन असैनी गांव में स्कूल के करीब खुली शराब की दुकान को लेकर हो रही परेशानी को बताते ग्रामीण। स्कूलों के पास शराब ठेके भयभीत रहते अभिभावक

किसी स्कूल के पड़ोस में तो किसी के सौ-दो सौ मीटर के दायरे में शराब के खुले ठेकों से शहर ही नहीं कस्बे और ग्रामीण क्षेत्र के लिए परेशानी का सबब बने हैं। खुलेआम सड़कों पर शराब पीकर लोग नशे में छींटाकशी के साथ ही छेड़छाड़ करते हैं, महिलाएं मुंह दबाकर चुपचाप निकल जाने में ही बेहतरी समझती हैं। इतना ही नहीं स्कूल व कालेज जाने वाली खासतौर से छात्राओं के अभिभावकों ने कहा कि भय रहता है कि कहीं कोई छेड़छाड़ उनकी बेटियोंके साथ न कर दे। शाम होते ही लखपेड़ाबाग से लेकर सीएमओ कार्यालय के दोनों किनारे खड़े चार पहिया वाहनों में भी खुलेआम लोग शराब का सेवन करते रहते हैं।

राबंकी शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में अंग्रेजी, देशी शराब की दुकानों के साथ बियर की दुकानें व माडल शाप भी है। मगर कई दुकाने नियमों को ताक पर रखकर संचालित की जा रही है। कहीं पास में ही स्कूल है कहीं कालेज। नतीजा वहां से गुजरने वाले सैकड़ो छोटे व बड़े छात्र-छात्राओं पर बुरा असर पड़ता है। लोगों की कई बार मांग के बावजूद ऐसी दुकानों को स्थानांतरित करने की मांग आबकारी विभाग व जिला प्रशासन नहीं सुन रहा है।

पटेल तिराहे से लेकर असैनी तक शराब ठेकों से लोग परेशान: बाराबंकी शहर में पटेल तिराहे से कांशीराम कालोनी व आवास विकास को जोड़ने वाला मार्ग है। इस मार्ग पर मुड़ते ही देशी शराब का ठेका है। इस ठेके के खुलते ही रिक्शा चालक, टैम्पो चालक आदि शराब पीना शुरू कर देते हैं। ठेके के अंदर ही नहीं बाहर खड़े होकर खुलेआम शराब पी जाती है। मगर चंद कदम दूर पटेल तिराहे पर खड़ी पुलिस इस ओर नहीं देखती है। इस शराब ठेके पर नशे में होने के बाद आए दिन लोग मारपीट करते हैं। इसी ठेके के सामने लखनऊ रूट पर चलने वाले मैजिक वाहन का स्टैण्ड है। जिसमें बैठने के लिए महिलाएं इसी ठेके के सामने से गुजरती हैं। रोजाना लखनऊ तक सफर करने वाली कर्मचारियों ने कहा कि अक्सर ठेके पर लोग अश्लील फब्तियां कसते हैं। कुछ कह नहीं पाते क्योंकि रोजाना आना-जाना रहता है। यही नहीं लोग खुलेआम सड़क पर शराब पीते हैं मगर इस पर कोई पाबंदी नहीं लगा पा रहा है।

कालेज जाने वाले मार्ग के बगल में ठेका: टिकैतनगर कस्बे में बसंत कांति महाविद्यालय जाने वाले मार्ग पर ही देशी शराब का ठेका है। कालेज के छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि इस ठेके के कारण बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इससे छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने कहा कि कभी-कभी तो कुछ छात्रों को भी चुपके से शराब पीते देखा जाता है।

स्थानीय लोगों ने कहा कि उक्त ठेके से कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही स्थिति रामनगर, हैदरगढ़, रामसनेहीघाट, फतेहपुर आदि कस्बे व ग्रामीण क्षेत्रों में भी है। कई कस्बों में तो शराब के ठेकों पर रोजना होने वाली मारपीट के कारण स्थानीय दुकानदार व राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

प्रस्तुति: यासिर अराफत कैफी, अतुल शुक्ला

चेकिंग नाकाफी, खड़े वाहनों की होनी चाहिए जांच

बाराबंकी के पटेल तिराहा, लखपेड़ाबाग, सिविल लाइन्स आदि मोहल्ले के लोगों ने बोला कि शाम ढलते ही मुख्य राजमार्ग पर बाइक हो या कार निकलना मुश्किल हो जाता है। हमेशा डर लगता है कि न जाने शराब के नशे में कौन वाहन सवार टक्कर मार दे। लोगों ने बताया कि लखपेड़ाबाग तिराहे से लेकर सीएमओ कार्यालय तक सड़क की दोनों पटरियों पर रोजाना दर्जनों कारें आकर खड़ी हो जाती है। स्टेडियम के सामने स्नैक्स की बिक्री करने वाले होटल के बाहर भी वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है। इन वाहनों पर खुलेआम लोग शराब का सेवन करते हैं और फिर वाहन लेकर दूसरे की गाड़ी में टक्कर मारते रहते हैं। लोगों ने कहा कि शाम को पटेल तिराहे से लेकर जमुरिया नाले तक के वाहनों की जांच अभियान चलाकर की जानी चाहिए।

मानकों के विपरीत चल रही हैं कई शराब की दुकानें

बाराबंकी। जिले में खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र की कई दुकानें मानक विहीन चलाई जा रही हैं। कहीं लकड़ी की गुमटी रखकर झोपड़ी आगे लगाकर देशी शराब की दुकानें चलती हैं तो कहीं दुकान के अंदर कर्मचारी मौजूद रहते हैं। ऐसे में वहां पर तैनात कर्मचारी जमकर मनमानी करते हैं। सुबह सात बजे से लेकर पूरी रात खासतौर से देशी शराब की बिक्री होती है। इतना ही नहीं ग्राहकों को भी मालूम होता है कि कौन सी दुकानों पर रात भर सेवा उपलब्ध है। निर्धारित अवधि के बाद शराब की बिक्री निर्धारित दर से अधिक पर बेची जाती है। 85 रुपए का शीशी की बिक्री सौ से सवा सौ रुपए तक की जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि रात को भी देशी शराब की दुकानों को बंद करने में अंग्रेजी शराब की भांति सख्ती की जाए।

चार साल से असेनी में नहीं हटा स्कूल के पास से शराब का ठेेका

बाराबंकी। चार वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं ग्रामीण मगर देशी शराब का ठेका आबकारी विभाग व जिला प्रशासन द्वारा नहीं हटा गया। जबकि उस ठेके के पास दो सरकारी व एक निजी विद्यालय संचालित हैं। मामला असैनी ग्राम पंचायत का है।

लखनऊ बाराबंकी पुराने राजमार्ग पर असैनी गांव है। इस गांव के अंदर देशी शराब की दुकान खुली हुई है। इस दुकान को हटाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीण वर्ष 2021 से संघर्ष कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि मौजूदा डीएम चौथे डीएम हैं। इसके पहले तीनों डीएम के कार्यकाल में उन लोगों ने एक नहीं कई बार महिलाएं व बच्चों को साथ ले जाकर प्रदर्शन कर गांव से दुकान हटाने की मांग की। मगर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त देशी शराब के ठेके के दो सौ मीटर के दायरे में दो सरकारी विद्यालय व एक निजी विद्यालय संचालित है। इसके बावजूद उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। महिलाओं ने बताया कि पहले ठेका असेनी बाजार में था। जिसके कारण दूर जाने में पुरुष कतराते थे। मगर जबसे गांव के अंदर शराब का ठेका खुल गया है, कई घर बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं।

पुरुष जितना कमाता है वह घर आने से पहले ठेके पर बैठकर खर्च कर देता है और परिवार भुखमरी का शिकार होता है।

सुझाव

1. आबकारी विभाग व जिला प्रशासन स्कूल से पांच सौ मीटर के दायरे में संचालित शराब के ठेकों को अभियान चलाकर हटवाए

2. शराब ठेकों के बाहर दिन में भी पुलिस को गश्त करनी चाहिए ताकि शराबियों पर अंकुश लग सके।

3. बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन व टैम्पो आदि स्टैण्ड के पास से भी शराब की दुकानों को अन्यत्र शिफ्ट करनी चाहिए। जिससे यात्री को परेशानी न उठानी पड़़े।

4. शहर में खासतौर से मुख्य मार्ग पर रात को पुलिस को खड़े वाहनों की जांच करनी चाहिए। ताकि वाहनों में खुलेआम शराब पीने पर अंकुश लग सके।

शिकायतें

1. सरकार के सख्त आदेश के बाद भी कई स्कूलों व धार्मिक स्थलों के करीब खुले शराब के ठेके से बच्चों पर पड़ रहा दुष्प्रभाव

2. अंग्रेजी हो या देशी शराब के ठेके के बाहर दिन में ही लोग खुलेआम शराब पीकर महिलाओं के निकलने पर करते छींटाकसी

3. बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन व टैम्पो आदि स्टैण्ड के पास शराब ठेके होने से यात्रियों को उठानी पड़ती है।

4. शाम होते ही शहर के प्रमुख मार्गों पर वाहनों पर खुलेआम शराब पीते हैं और फिर अनियंत्रित चलाते हैं वाहन।

बोले जिम्मेदार

जिले में नगर पालिका, नगर पंचायत व ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें मानक दूरी पर ही संचालित हैं। लाइसेंस धारी खुली शराब नहीं बेच सकते हैं। समय समय पर दुकानों पर शराब की गुणवत्ता व निर्धारित दर पर बिक्री की जांच की जाती है। शिकायत के लिए तीन कंट्रोल रूम संचालित हैं। शराब में मिलावट व ओवर रेटिंग को लेकर विभाग द्वारा ही नहीं कभी-कभी तहसीलों में एसडीएम द्वारा भी दुकानों की जांच की जाती है। कुलदीप दिनकर, जिला आबकारी अधिकारी

बोले लोग

जब दारु का ठेका नहीं था तब घर के छोटे बच्चे भी खेत में खाना पहुंचा देते थे। अब बच्चों को अकेले भेजने में डर लगता है कि रास्तें में पड़ने वाले शराब के ठेके पर शराबी उसे परेशान न करे। शांति देवी

स्कूल की छुटटी के वक्त रोजाना सारा काम काज छोड़कर गंाव के चौराहे पर आकर अपनी पुत्री के इंतजार में खड़ा होना पडता है। जब तक पुत्री घर नहीं आ जाती तब तक चिंता बनी रहती है। मीरा देवी

शराब पीने के बाद नशे में धुत्त लोग स्कूल जाने वाली छात्राओं को देखते ही अश्लील भाषा का प्रयोग करते है। जिससे छात्राएं स्कूल जाने से भी डरती है। सुरक्षा को लेकर अक्सर उनके पिता या भाई उन्हे स्कूल छोड़ने जाते है। पूजा

नशे में लोग आपस में ही मारपीट करने लगते हैं। काफी शोर मचने लगता है। ऐसे में रात को पढ़ाई करने में काफी दिक्कते होती है। शिकायत करों तो अगले दिन झगड़ा करने खड़े हो जाते हैं। रागिनी

शराब पीकर रोजाना शराबी उपद्रव करते है। जिससे रास्ते से निकलना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो राहगीरों से जबरन टकराने के बाद मारपीट करने लगते हैं। ऐसे में उस रास्ते से आने-जाने में भी डर लगता है। शोभाराम

कुरौली के समीप में मुख्य मार्ग पर अंग्रेजी, देशी के साथ बियर की दुकानें हैं। जहां मानों शाम ढलते ही मेला लग जाता है। भारी भीड़ हो जाने से यातायात बाधित होता है। नागेश्वर

अक्सर रात में लोग सड़क पर शराब पीकर उपद्रव करते है। जिस कारण रात में सड़कों पर निकलना मुश्किल हो जाता है। पुलिस शराबियों पर सख्त कारवाई करे तो घटना में कमी आ सकती है। राम नरेश

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