बोले बाराबंकी: बाल श्रम रोकने की कार्रवाई धीमी, बाल गृह का हो निर्माण
Barabanki News - बाराबंकी में श्रम विभाग ने बाल श्रम को रोकने के लिए 300 से अधिक छापेमारी की हैं। 120 मामलों में बच्चों को बाल श्रम करते हुए पकड़ा गया है, जिसके लिए संबंधित प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए हैं। सरकार...
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300 से अधिक छापेमारी श्रमि विभाग द्वारा एक वर्ष में बाल श्रम को रोकने के लिए की गई 120 छापेमारी में बालक व किशोर को बाल श्रम करते हुए पकड़े जाने पर संबंधित प्रतिष्ठान को जारी की गई नोटिस
55 प्रतिष्ठानों के खिलाफ बाल श्रम कराने को लेकर अदालत में चल रहा है मुकदमा
4000 लाभार्थियों को वात्सल्य योजना के तहत बाल सुरक्षा सामान्य में सहायता दी जा रही है
बाल श्रम रोकने की कार्रवाई धीमी, बाल गृह का हो निर्माण
बाराबंकी। होटल-ढाबों, कारखानों ही नहीं ईंट भट्ठा आदि स्थानों पर पढ़ाई करने की उम्र में हजारों बच्चे व किशोर काम कर रहे हैं। मगर जिले में इन्हें रोकने को लेकर श्रम विभाग की कार्रवाई नगण्य है। चाइल्ड लाइन के साथ कई संस्थाएं बच्चों को जागरूक करने में लगी है। जागरूकता अभियान तो चलाया जा रहा है मगर अभी भी तमाम गांव में लोग अपने आठ-दस वर्ष के बच्चों को होटल ढाबे पर खतरनाक कार्यों को करने भेज देते हैं। ऐसे में मगर अधिकांश लोगों का कहना है कि जब तक अभिभावक जागरूक नहीं होंगे और बाल श्रम कराने पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी तब तक बाल श्रम नहीं रुकेगा। सरकार द्वारा वात्सल्य जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति भी ऐसे बच्चों के उत्थान में जुटी हैं, जो बेसहारा हैं, श्रमिक हैं या फिर कोई बच्चा अपराध का शिकार होता है।
बच्चों को अधिकार बताती है बेसिक उत्थान संस्था
बेसिक उत्थान एवं ग्रामीण सेवा संस्थान पूरे जिले में गांव से लेकर स्कूल कालेजों में बच्चों को उनके अधिकारों के विषय में जागरूक करने का काम करीब पन्द्रह वर्षों से कर रही है। संस्था द्वारा दस वर्षों तक चाइल्ड लाइन का भी काम देखा गया।
संस्थान के अध्यक्ष रत्नेश कुमार कहते हैं कि श्रम विभाग व चाइल्ड लाइन को अपनी कार्रवाइयों की संख्या को बढ़ाकर कस्बों व गांवों में चल रहे ईंट भट्ठों, कारखानों व होटल-ढाबों तक ले जाना चाहिए। क्योंकि आज भी चार से पांच हजार बच्चे व किशोर पढ़ाई न करके श्रमिक का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेसिक उत्थान संस्था द्वारा चाइल्ड लाइन का हिस्सा न लेने के बावजूद अपने अभियान में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा प्रत्येक माह 35 से 40 गांवों में जाकर लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य रखा गया है। गांवों में कैम्प लगाकर जहां बच्चों को उनके अधिकार बताए जाते हैं वहीं अभिभावकों को भी जागरूक करा जाता है कि बच्चों को शिक्षित करें ताकि उनका भविष्य बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा मार्च माह में 25 स्कूल व कालेजों में अभियान चलाया जाएगा। जिसमें जागरूक करने के बाद बच्चों से कहा जाएगा कि वह अपने आसपास किसी बाल श्रमिक को देखें तो उन्हें जागरूक करें।
छोटू-कल्लू के हाथों में ही रहती है होटल-ढाबों की कमान
लखनऊ-अयोध्या, लखनऊ-सुल्तानपुर और बाराबंकी-बहराइच नेशनल हाईवे पर बाराबंकी की सीमा में एक हजार से अधिक छोटे-बड़े होटल व ढाबों का संचालन हो रहा है। इन ढाबों पर अक्सर खाना खाने वालों द्वारा पुकारा जाता है कि छोटू जरा रोटी लाना, कोई कहता है कि कल्लू जरा पानी ले आना। चाय से लेकर खाना बनाने व उसको परोसने की जिम्मेदारी चौदह वर्ष से कम के बच्चों द्वारा निभाई जाती है। इतना ही नहीं अधिकांश ढाबों व होटल पर बर्तन धोने की जिम्मेदारी यही छोटू व कल्लू के कंधों पर रहती है। इन होटल-ढाबों पर काम करने वाले सैकड़ों बाल श्रमिकों पर किसी की नजर नहीं पड़ती है। यही नहीं इनमें तमाम किशोर भी श्रम करते नजर आ जाते हैं। मगर श्रम विभाग के जिम्मेदारों की नजर इन पर नहीं पड़ती है।
पढ़ाई नहीं करवाकर अधिकांश अभिभावक ही लगाते काम पर
मसौली क्षेत्र में एक ईंट भट्ठे पर रविवार को पथाई का काम बंद था। इसके पास में ही रहने वाले झारखण्ड के रहने वाले श्रमिक रामभुआल ने कहा कि उन लोगों को लेकर ठेकेदार आए हैं। हमारी पत्नी के साथ बच्चे भी काम करते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को भी सौ रुपए एक दिन का मिल जाता है। पढ़ाई को लेकर बोले कि हम तो चंद महीनें के लिए आते हैं और फिर लौट जाते हैं। उन्होंने कहा कि झारखण्ड में बच्चे का नाम लिखा है। ईंट भट्ठे के अलावा कई होटल व ढाबों पर काम करने वाले बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता गरीब है। पिता द्वारा ही अपने जानने वाले से ढाबे पर नौकरी लगवाई है। दो हजार रुपए महीनें ढाबा मालिक उसके पिताजी को दोते हैं। ढाबे पर खाना-पीना फ्री है। वहीं एक अन्य बच्चे ने बताया कि होटल का बचा हुआ खाना ही उन्हें नसीब होता है। शाम को बनी रोटी रात बारह बजे तक सूख जाती है। जिसे उनकी थाली में परोस दी जाती है।
कार्रवाई कम होने के कारण काम करवाने वालों के हौसले बुलंद
बाल श्रम को लेकर अधिकांश व्यापारियों ने कहा कि बच्चों से काम कराने वालों पर ही सरकार को सख्ती करनी चाहिए। इतना ही नहीं बच्चों से काम का कारण पूछने के बाद अगर उनके घर की माली स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसे लोगों को योजनाओं का लाभ देकर उनकी स्थिति को ठीक करने का भी प्रयास होना चाहिए। इतना ही नहीं सभी लोगों का कहना था कि श्रम विभाग द्वारा बच्चों व किशोरों से काम कराने वालों पर कार्रवाई तो की जाती है। मगर कभी कभी कार्रवाई होने से अधिकांश होटल-ढाबे व अन्य कारखाने वाले बेखौफ रहते हैं। इतना ही नहीं छापे की सूचना मिलते ही बच्चों को मौके से हटा दिया जाता है। ऐसे में जिन स्थानों पर श्रम विभाग को बच्चे श्रमिक मिले तो उनके खिलाफ शख्त कार्रवाई के साथ उन पर तगड़ा जुर्माना भी लगाना चाहिए। इसके बाद ही लोगों में दहशत होगी और वह लोग रुपए बचाने के चक्कर में बच्चों को नौकरी पर रखने से कतराएंगे।
बाल ग्रह न होने से आती है परेशानी
बाल श्रम व बच्चों को लेकर काम करने वाली संस्थाओं ने कहा कि समस्या तब आती है जब बाल श्रम करने वालों में अनाथ बच्चे मिलते हैं। इन बच्चों को कहां भरण पोषण के लिए रखा जाए। लखनऊ भिजवाना ही विकल्प रहता है। सभी ने कहा कि बाराबंकी जिले में अगर बाल गृह का निर्माण कर दिया जाए तो बेहतर होगा। इसे लेकर न्यायालय बाल कल्याण समिति बाराबंकी के सदस्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ राजेश शुक्ला ने कहा कि बीते दिनों श्रम मंत्री बाराबंकी आईं थीं। जिनसे भी बाल गृह बनाने की मांग रखी गई है।
वात्सल्य मिशन लाभदायक योजना, रुकेगा बाल श्रम
बाराबंकी। सरकार बाल श्रम ही नहीं बच्चों के अपराधों को लेकर भी काफी सख्त है। न्यायालय बाल कल्याण समिति बाराबंकी के सदस्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ राजेश शुक्ला ने कहा कि बाल कल्याण समिति किशोर न्याय (बालको की देखभाल एवं संरक्षण)अधिनियम के अंतर्गत गठित प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की प्राप्त शक्तियों वाली बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट/न्यायपीठ होती है। जिसे बालकों के सर्वोत्तम हित मे असीमित शक्तियाँ प्राप्त हैं। न्यायपीठ देखभाल व संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक- बालिकाओं में बाल श्रम, भिक्षावृति वाले बालक, निराश्रित, लावारिश, अनाथ, परित्यक्त, अध्यर्पण वाले बच्चों के अलावा पॉक्सो व अन्य अपराध से पीड़ित शून्य से लेकर 18 वर्ष के बालक-बालिकाओं के हित में आदेश जारी करती है। उन्होंने कहा कि विशेष आवश्यकता वाली बच्ची केलिए, महिला एवं बाल कल्याण विभाग भारत सरकार की बहुत योजनाए चल रही हैं। जिसमें लैंगिक अपराध पीड़िता के लिए रानी लक्ष्मी बाई सम्मान कोष है तो मुख्यमंत्री बाल सुरक्षा योजना भी चल रही है। वहीं मिशन वात्सल्य के अंतर्गत रुपए चार हजार रुपए प्रत्येक माह प्रवर्तकता योजना भी चल रही है।
बोले लोग
ग्रामीण क्षेत्र में पाँचवी व आठवी पास छात्राओं की पढ़ाई आर्थिक कारणों के कारणों से रुक जाती है। जिसमें कभी-कभी माता-पिता के निधन या अन्य आर्थिक कारण भी होते हैं। ऐसे में कम उम्र में ही बालिकाएं कहीं काम करने लगती हैं। ऐसी छात्राओं की पढ़ाई आगे जारी रखने के प्रयास सरकार को करना चाहिए।
मीना पाल
चाइल्ड हेल्प लाइन की टीम श्रम विभाग के साथ अक्सर रेक्सयू करने जाती है । दुकानों पर काम करने वाले बच्चो को मुक्त करवाती है। बच्चो की पढ़ाई व उनके परिवार वालो को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिये।
मनोज कुमार
दुकानों , होटलों पर काम करने वाले नाबालिग बच्चो को मुक्त कराने के बाद उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाता है । कभी कभी दुकानों पर लावारिस बच्चे भी काम करते मिल जाते है तो उनके लिए समस्या हो जाती है अगर जिले पर ही एक अनाथालय बन जाए तो काफी आसानी होगी
विनोद कुमार
बाल श्रम को रोकने लिए चाइल्ड लाइन कार्य करती है। लोगों को जागरूक होकर बाल श्रमिकों को देखकर सूचना देनी चाहिए। सूचना देने वाले काफी कम है। चाइल्ड लाइन को जब भी सूचना मिलती है। तत्काल कार्रवाई कर बाल श्रमिकों को आजाद कराया जाता है और प्रतिष्ठान के खिलाफ कार्रवाई कराई जाती है।
अवधेश कुमार, सुपरवाइजर, चाइल्ड लाइन 1098
परिवार की आर्थिक तंगी से परेशान अभिभावक मजबूरी के कारण बच्चों से श्रम करवाते हैं। इसकी सूचना पर कार्रवाई होती है। ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति बाराबंकी के समक्ष माता-पिता के साथ प्रस्तुत किया जाता है। इसके बाद इन बच्चों को मुख्यमंत्री बाल श्रम विद्या योजना, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य), स्पॉन्सरशिप योजनाओं से जोड़कर और अटल आवासीय विद्यालय में दाखिला करवाकर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाता है।
प्रदीप कुमार, टीम सदस्य, चाइल्ड लाइन 1098
बाल श्रम पर सख्त कानून 1986 से है पर उस पर कार्रवाई नहीं होती है। जहां कहीं छोटे बच्चे काम करते दिख जाते हैं। अधिवक्ता होने के नाते मैं बच्चों को तो सचेत करता ही हूं साथ ही साथ जहां संबंधित प्रतिष्ठान के मालिक को भी सख्त चेतावनी देता हूं कि अगली बार किसी बच्चे को काम करते पाया तो कानूनी कार्रवाई करवाई जाएगी। बाल श्रम के दो खतरनाक नतीजे है पहला तो यह की राष्ट्र की प्रगति में बाधक है और दूसरा उस लड़के के विकास का भी अवरोध है।
एडवोकेट शकील दाहा
वकील होने के नाते सभी तरह के केस को देखता हूं पर पाक्सो से संबंधित मामलों में बगैर किसी शुल्क के पीड़ित पक्ष के साथ खड़ा रहता हूं। ऐसे मामले अंदर तक पीड़ा पहुंचा देते हैं। सोचता हूं कि हमारा समाज किस दिशा की ओर बढ़ रहा है। पाक्सो एक्ट बच्चों की यौन शोषण के विरुद्ध एक कानून है जिसका उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
एडवोकेट वीरेंद्र शुक्ला
बाल श्रम को रोकने के लिए जागरूकता की भी कमी है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र में अभिभावकों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए। जिससे अगर अभिभावक जागरूक हो गए और उन्हें किसी योजना से जोड़ दिया जाए तो वह बच्चों को कतई रोजगार के लिए नहीं भेजेंगे।
सुधा रानी
शिक्षा बच्चों का अधिकार है। होटल-ढाबों व अन्य कारखानों के साथ ईंट भट्ठों पर काम करने वाले बच्चों को देखकर मन आहत हो जाता है। सरकार को चाहिए कि ऐसे बच्चों को श्रम करने से रोकने के अलावा इनके लिए विशेष शिक्षा संस्थान बनाए और उन्हें नि:शुल्क हर स्तर की शिक्षा दी जाए।
बृजेश द्विवेदी
श्रम विभाग द्वारा यदा-कदा छापेमारी करके बाल श्रमिकों को मुक्त कराया जाता है। बाल श्रम को खत्म करने के लिए शासन को कोई पुख्ता योजना बनानी चाहिए। जिससे अभिभावक भी अपने बच्चों को काम पर न भेजे। उन्हें मुख्य धार से जोड़ने के लिए कोई ठोस कार्यक्रम बने ताकि वह योजना का लाभ लें और अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करवाएं।
मुन्ना निगम
बोले जिम्मेदार
बाल श्रम को रोकने के लिए लगातार अभियान चलाया जाता है। बीते वित्तीय वर्ष में अभियान चलाकर कई श्रमिकों को मुक्त कराया गया। बाल श्रम कराने वालों के 99 प्रतिशत मामलों में नोटिस के बाद कोर्ट में केस चलता है। जिसकी लगातार पैरवी विभाग द्वारा की जाती है। लोगों से भी अपील है कि वह अगर बाल श्रमिकों को कहीं देखें तो तत्काल चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन 1098 पर या फिर श्रम विभाग में फोन कर जानकारी दें, जिससे तत्काल कार्रवाई की जा सके। शिकायत करने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती है।
मयंक सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर, श्रम विभाग, बारबंकी
प्रस्तुति:यासिर अराफात कैफी
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