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बोले बाराबंकी:बाल श्रम रोकने की कार्रवाई धीमी, बाल गृह को निर्माण

Barabanki News - फाइल नंबर तीन बोले फाइल नम्बर तीन बोले बाराबंकी की दूसरी फाइल

Newswrap हिन्दुस्तान, बाराबंकीSun, 23 Feb 2025 06:16 PM
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बोले बाराबंकी:बाल श्रम रोकने की कार्रवाई धीमी, बाल गृह को निर्माण

फाइल नंबर तीन बोले फाइल नम्बर तीन

बोले बाराबंकी की दूसरी फाइल

नम्बर गेम

300 से अधिक छापेमारी श्रमि विभाग द्वारा एक वर्ष में बाल श्रम को रोकने के लिए की गई

120 छापेमारी में बालक व किशोर को बाल श्रम करते हुए पकड़े जाने पर संबंधित प्रतिष्ठान को जारी की गई नोटिस

55 प्रतिष्ठानों के खिलाफ बाल श्रम कराने को लेकर अदालत में चल रहा है मुकदमा

4000 लाभार्थियों को वात्सल्य योजना के तहत बाल सुरक्षा सामान्य में सहायता दी जा रही है

हेडिंग- बाल श्रम रोकने की कार्रवाई धीमी, बाल गृह का हो निर्माण

ज्वाइंट एंट्रो

होटल-ढाबों, कारखानों ही नहीं ईंट भट्ठा आदि स्थानों पर पढ़ाई करने की उम्र में हजारों बच्चे व किशोर काम कर रहे हैं। मगर जिले में इन्हें रोकने को लेकर श्रम विभाग की कार्रवाई नगण्य है। चाइल्ड लाइन के साथ कई संस्थाएं बच्चों को जागरूक करने में लगी है। जागरूकता अभियान तो चलाया जा रहा है मगर अभी भी तमाम गांव में लोग अपने आठ-दस वर्ष के बच्चों को होटल ढाबे पर खतरनाक कार्यों को करने भेज देते हैं। ऐसे में मगर अधिकांश लोगों का कहना है कि जब तक अभिभावक जागरूक नहीं होंगे और बाल श्रम कराने पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी तब तक बाल श्रम नहीं रुकेगा। सरकार द्वारा वात्सल्य जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति भी ऐसे बच्चों के उत्थान में जुटी हैं, जो बेसहारा हैं, श्रमिक हैं या फिर कोई बच्चा अपराध का शिकार होता है।

मुख्य खबर

बाराबंकी। बाल श्रमिकों पर अंकुश नहीं लग रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दुकान से लेकर ऐसे खतरनाक कामों में चौदह वर्ष से कम के बच्चे जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। भट्ठे पर ईंट पथाई से लेकर ढाबों पर गैस सिलेंडर के पास चाय आदि बनाने का काम कर रहे हैं। अभिभावक तो रोज सौ -दो सौ मिलने के लालाच में भेज रहे हैं। लेकिन काम लेने वाले भी जागरूक नहीं हो रहे हैं। जिसके कारण बाल श्रमिकों की सख्या पर घटने के बजाए बढ़ती जा रही है।

छोटू-कल्लू के हाथों में ही रहती है होटल-ढाबों की कमान

लखनऊ-अयोध्या, लखनऊ-सुल्तानपुर और बाराबंकी-बहराइच नेशनल हाईवे पर बाराबंकी की सीमा में एक हजार से अधिक छोटे-बड़े होटल व ढाबों का संचालन हो रहा है। इन ढाबों पर अक्सर खाना खाने वालों द्वारा पुकारा जाता है कि छोटू जरा रोटी लाना, कोई कहता है कि कल्लू जरा पानी ले आना। चाय से लेकर खाना बनाने व उसको परोसने की जिम्मेदारी चौदह वर्ष से कम के बच्चों द्वारा निभाई जाती है। इतना ही नहीं अधिकांश ढाबों व होटल पर बर्तन धोने की जिम्मेदारी यही छोटू व कल्लू के कंधों पर रहती है। इन होटल-ढाबों पर काम करने वाले सैकड़ों बाल श्रमिकों पर किसी की नजर नहीं पड़ती है। यही नहीं इनमें तमाम किशोर भी श्रम करते नजर आ जाते हैं। मगर श्रम विभाग के जिम्मेदारों की नजर इन पर नहीं पड़ती है।

पढ़ाई नहीं करवाकर अधिकांश अभिभावक ही लगाते काम पर

मसौली क्षेत्र में एक ईंट भट्ठे पर रविवार को पथाई का काम बंद था। इसके पास में ही रहने वाले झारखण्ड के रहने वाले श्रमिक रामभुआल ने कहा कि उन लोगों को लेकर ठेकेदार आए हैं। हमारी पत्नी के साथ बच्चे भी काम करते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को भी सौ रुपए एक दिन का मिल जाता है। पढ़ाई को लेकर बोले कि हम तो चंद महीनें के लिए आते हैं और फिर लौट जाते हैं। उन्होंने कहा कि झारखण्ड में बच्चे का नाम लिखा है। ईंट भट्ठे के अलावा कई होटल व ढाबों पर काम करने वाले बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता गरीब है। पिता द्वारा ही अपने जानने वाले से ढाबे पर नौकरी लगवाई है। दो हजार रुपए महीनें ढाबा मालिक उसके पिताजी को दोते हैं। ढाबे पर खाना-पीना फ्री है। वहीं एक अन्य बच्चे ने बताया कि होटल का बचा हुआ खाना ही उन्हें नसीब होता है। शाम को बनी रोटी रात बारह बजे तक सूख जाती है। जिसे उनकी थाली में परोस दी जाती है।

कार्रवाई कम होने के कारण काम करवाने वालों के हौसले बुलंद

बाल श्रम को लेकर अधिकांश व्यापारियों ने कहा कि बच्चों से काम कराने वालों पर ही सरकार को सख्ती करनी चाहिए। इतना ही नहीं बच्चों से काम का कारण पूछने के बाद अगर उनके घर की माली स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसे लोगों को योजनाओं का लाभ देकर उनकी स्थिति को ठीक करने का भी प्रयास होना चाहिए। इतना ही नहीं सभी लोगों का कहना था कि श्रम विभाग द्वारा बच्चों व किशोरों से काम कराने वालों पर कार्रवाई तो की जाती है। मगर कभी कभी कार्रवाई होने से अधिकांश होटल-ढाबे व अन्य कारखाने वाले बेखौफ रहते हैं। इतना ही नहीं छापे की सूचना मिलते ही बच्चों को मौके से हटा दिया जाता है। ऐसे में जिन स्थानों पर श्रम विभाग को बच्चे श्रमिक मिले तो उनके खिलाफ शख्त कार्रवाई के साथ उन पर तगड़ा जुर्माना भी लगाना चाहिए। इसके बाद ही लोगों में दहशत होगी और वह लोग रुपए बचाने के चक्कर में बच्चों को नौकरी पर रखने से कतराएंगे।

बाल ग्रह न होने से आती है परेशानी

बाल श्रम व बच्चों को लेकर काम करने वाली संस्थाओं ने कहा कि समस्या तब आती है जब बाल श्रम करने वालों में अनाथ बच्चे मिलते हैं। इन बच्चों को कहां भरण पोषण के लिए रखा जाए। लखनऊ भिजवाना ही विकल्प रहता है। सभी ने कहा कि बाराबंकी जिले में अगर बाल गृह का निर्माण कर दिया जाए तो बेहतर होगा। इसे लेकर न्यायालय बाल कल्याण समिति बाराबंकी के सदस्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ राजेश शुक्ला ने कहा कि बीते दिनों श्रम मंत्री बाराबंकी आईं थीं। जिनसे भी बाल गृह बनाने की मांग रखी गई है।

इनसेट

वात्सल्य मिशन लाभदायक योजना, रुकेगा बाल श्रम

बाराबंकी। सरकार बाल श्रम ही नहीं बच्चों के अपराधों को लेकर भी काफी सख्त है। न्यायालय बाल कल्याण समिति बाराबंकी के सदस्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ राजेश शुक्ला ने कहा कि बाल कल्याण समिति किशोर न्याय (बालको की देखभाल एवं संरक्षण)अधिनियम के अंतर्गत गठित प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की प्राप्त शक्तियों वाली बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट/न्यायपीठ होती है। जिसे बालकों के सर्वोत्तम हित मे असीमित शक्तियाँ प्राप्त हैं। न्यायपीठ देखभाल व संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक- बालिकाओं में बाल श्रम, भिक्षावृति वाले बालक, निराश्रित, लावारिश, अनाथ, परित्यक्त, अध्यर्पण वाले बच्चों के अलावा पॉक्सो व अन्य अपराध से पीड़ित शून्य से लेकर 18 वर्ष के बालक-बालिकाओं के हित में आदेश जारी करती है। उन्होंने कहा कि विशेष आवश्यकता वाली बच्ची केलिए, महिला एवं बाल कल्याण विभाग भारत सरकार की बहुत योजनाए चल रही हैं। जिसमें लैंगिक अपराध पीड़िता के लिए रानी लक्ष्मी बाई सम्मान कोष है तो मुख्यमंत्री बाल सुरक्षा योजना भी चल रही है। वहीं मिशन वात्सल्य के अंतर्गत रुपए चार हजार रुपए प्रत्येक माह प्रवर्तकता योजना भी चल रही है।

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