बोले बांदा: लाइब्रेरी की पुरानी किताबों से कैसे जीतें आज की लड़ाई
Banda News - बांदा के राजकीय पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी पुस्तकों की कमी है। छात्र-छात्राएं महंगी किताबें खरीद नहीं पा रहे हैं और लाइब्रेरी में उपलब्ध पुरानी किताबों से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें पानी...
बांदा। आज लगभग हर हाथ में एंड्रॉयड मोबाइल फोन है। पल भर में गूगल पर किसी भी विषय से जुड़ी जानकारी हर कोई प्राप्त कर सकता हैं,पर अध्ययनरत प्रतियोगी छात्र-छात्राएं गूगल पर खोजने की अपेक्षा किताबों पर आज भी अटूट भरोसा करते हैं। ऐसे छात्र-छात्राओं के लिए शहर में जीआईसी के ठीक बगल में राजकीय पुस्तकालय है। यहां करीब 37 हजार पुस्तकें अलग-अलग विषयों की हैं। कमी है तो प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी और नए सत्र की पुस्तकों की। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे छात्र-छात्राओं ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से साफ कहा कि लाइब्रेरी की पुरानी किताबों से कैसे जीतें हम आज की लड़ाई। प्रतियोगी छात्र अमित और आराधना का कहना है कि शहरी क्षेत्र में 20 से अधिक पुस्तकालय हैं। इनमें एक राजकीय है, जहां महज 20 रुपये प्रतिमाह पंजीयन शुल्क जमाकर छात्र-छात्राएं सुबह 10 से शाम पांच बजे तक अध्ययन कर सकते हैं। यहां आने वाले छात्र-छात्राओं के मुताबिक, प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी पुस्तकों का खासा अभाव है। ज्यादातर पुस्तकें पुराने सत्र की हैं। करेंट अफेयर्स की पुस्तकें तो न के बराबर हैं, जो सिविल परीक्षा के लिए सबसे अधिक महत्व रखती हैं। ब्रजेश ने कहा कि पुस्तकालय प्रथा पर अफसर जोर दें और तब हमारा कौशल देखें।
छात्रा छात्राओं का कहना कि बाजार में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों से जुड़ीं पुस्तकें काफी महंगी होती हैं। उन्हें खरीद पाने में तमाम सहपाठी सक्षम नहीं हैं। लिहाजा, पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएं।
सर्दी में तो चल जाता काम, गला तर करने को पड़ता भटकना: छात्र-छात्राओं के मुताबिक, लाइब्रेरी सुबह 10 बजे खुलती है। यहां सप्लाई का पानी आता है जो कि सुबह नौ बजे तक आता है। सर्दी में तो पानी की कोई दिक्कत नहीं होती है, पर गर्मी में पानी खत्म हो जाता है। वजह, सुबह नौ बजे तक ही पानी सप्लाई होने से कभी-कभी पानी की टंकी नहीं भर पाती है। यही नहीं सप्लाई का पानी कभी-कभी इतना दूषित आता है कि यहां लगा वाटर प्यूरीफायर भी उसकी दुर्गंध दूर नहीं कर पाता है। ऐसे में बिना पानी घंटों बैठकर पढ़ने में दिक्कत होती है।
छात्राओं के लिए अलग शौचालय तक नहीं: पुस्तकालय परिसर में कहीं भी छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है। एक ही शौचालय है, जिसका प्रयोग छात्र और छात्राओं को करना होता है। साफ-सफाई न होने से गंदगी रहती है। बहुत मजबूरी में शौचालय का प्रयोग करते हैं।
एसी, पंखा और कूलर है, फिर भी गर्मी में पसीने से होते तरबतर: पुस्तकालय हॉल में गर्मी से राहत के लिए एसी, पंखा, कूलर है। एसी की ठंडक सिर्फ उसके पास ही रहने पर असर करती है। कूलर और पंखे ऐसे चलते हैं कि हवा शरीर तक पहुंचती ही नहीं है। गर्मियों में रही-सही कसर अघोषित बिजली कटौती पूरी कर देती है। इन्वर्टर लगा है, पर एक घंटा ही चल पाता है।
बोले छात्र छात्राएं
कहने को 37 हजार किताबें हैं, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकों का अभाव है। महंगी होने की वजह से ऐसी पुस्तकों को खरीद पाना संभव नहीं है। गूगल पर आश्रित होना पड़ता है। -रिचा द्धिवेदी
सप्लाई का पानी कभी आता है तो कभी नहीं आता। कभी इतना गंदा आता है कि हाथ भी नहीं धो सकते हैं। कम से कम हैंडपंप या फिर सबमर्सिबल पुस्तकालय में जरूर लगा होना चाहिए। गर्मी में बहुत दिक्कत होती है। -राखी पाल
एसी, पंखा और कूलर सारी व्यवस्था है। लेकिन कोई भी सही से काम नहीं करते। गर्मी के दिनों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मरम्मत की आवश्यकता है। ताकि परेशानी न हो। -मोहित कुमार
रोजाना करीब 70 से 75 छात्र-छात्राएं अध्ययन के लिए आते हैं। सिर्फ 60 के बैठने की व्यवस्था है। सर्दियों में तो बाहर मैदान में बैठकर पढ़ लेते हैं। लेकिन गर्मियों के दिनों में काफी समस्या होती है। -नीरज कुमार
सीट की कमी से कई छात्र अध्ययन नहीं कर पाते हैं। पंजीयन के लिए दो माह पहले से अप्लाई करना पड़ता है, तब जाकर कहीं पंजीयन होता है। ऐसे में डिमांड को देखते हुए सीटें बढ़ाए जाने की बहुत जरूरत है। -अंशिका
बोले जिम्मेदार
प्रभारी पुस्तकालय डॉ. संजय गौतम का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षा के साथ-साथ अन्य पुस्तकें भी विभाग से समय-समय पर प्राप्त होती रहती हैं। डिजिटल लाइब्रेरी के लिए शासन से आदेश हो चुका है। भूमि का चिह्नांकन होते ही निर्माणकार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
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