बोले बांदा: कुम्हारों की व्यथा...बिन माटी सब सून
Banda News - कुम्हारों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। मिट्टी की उपलब्धता कम हो रही है और प्रशासनिक उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। युवा पीढ़ी इस काम से दूर हो रही है और प्लास्टिक के बर्तनों ने मिट्टी के बर्तनों...
बादा। परंपरा के साधन हैं। परंपरा में रंग भर रहे हैं, लेकिन जीवन बदरंग है। आर्थिक स्थिति आज भी जस की तस है। जैसे-जैसे समय का पहिया रफ्तार पकड़ रहा है, वैसे-वैसे चाक की रफ्तार धीमी होती जा रही है। वजह, प्रशासनिक उपेक्षा और मिट्टी की उपलब्धता न होना है। लालू प्रसाद और मुन्ना लाल कहते हैं कि मिट्टी से जुड़े हैं, मिट्टी के लिए ही भटकना पड़ता है। मिट्टी के लिए 12 साल पहले भूमि पट्टे आवंटित की गई, पर आज तक नापकर जमीन नहीं सौंपी गई। तहसील और अफसरों की चौखट के चक्कर काट-काटकर थक गए हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में कुम्हारों ने अपनी समस्याएं कुछ इस तरह सामने रखीं। राम खेलावन और राजेन्द्र ने कहा कि पूर्वज जिस तकनीक (चाक) से मिट्टी का दीया, घड़ा, कलश, गुल्लक समेत अन्य बर्तन बनाते थे, आज भी वैसे ही काम कर रहे हैं। आधुनिक युग में भी हाथ से चाक चलाना पड़ रहा है। योजना के तहत, कुछ गिने-चुने लोगों को इलेक्ट्रिक चाक का वितरण हुआ है, पर बिजली बिल इतना आता है कि वहन नहीं कर सकते। हम लोगों को बर्तन बेचने के लिए न तो कोई एक निश्चित जगह है, न ही कोई दुकान। जहां पर बैठकर हम व्यवसाय चला सकें।
दिनेश ने कहा कि हम सबकी एक ही व्यथा है मिट्टी की उपलब्धता की कमी। बिना माटी हमारे लिए सब सूना ही है। हम लोग माता-पिता के साथ में लगकर सुबह-शाम कार्य में हाथ बंटाते हैं। माता-पिता घूम-घूमकर दुकानों में कुल्हड़ के साथ अन्य मिट्टी के बर्तन बेचने जाते हैं। इस सिलसिले को अब थामने का मन बना लिया है। अपने बच्चों को इस काम से दूर रखेंगे क्योंकि परिस्थितियां मजबूर कर रही हैं।
प्लास्टिक की चीजों ने ले ली जगह: सुरेश बोले, मिट्टी के बर्तन बनाना भारत में सबसे पुराना व्यापार माना जाता है। अतीत में कुम्हार अपना सामान बेचने के लिए एक-जगह से दूसरी जगह तक जाते थे। समय के साथ यह प्रथा खत्म हो गई और मिट्टी के बर्तनों की जगह प्लास्टिक जैसे चीजों ने ले ली है।
बोले कुम्हार
कारोबार में मेहनत ज्यादा और आमदनी कम है। युवा पीढ़ी नौकरी की ओर आकर्षित हो रही है। -राजेन्द्र
तीज-त्योहारों या किसी विशेष अवसर पर ही लोग मिट्टी के बर्तन की खरीददारी करते हैं।-रामखेलावन
दीपावली व दशहरे पर बर्तनों की बिक्री अच्छी होती है, लोग घरों के बाहर दुकान नहीं लगाने देते।- रामेश्वर
कारोबार में बढ़ती समस्या को देख समाज की युवा पीढ़ी कारोबार को अपनाना नहीं चाहती है। -शंभू प्रजापति
बोले जिम्मेदार
ग्रामोद्योग अधिकारी राजेंद्र कौर का कहना है कि कुम्हारों के लिए लोन की सुविधा है। 25 प्रतिशत सब्सिडी भी मिलती है। योजना के तहत इलेक्ट्रिक चाक भी दी जाती है। जमीन के पट्टे के लिए तहसील प्रशासन से बात की गई है। इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। किसी को भी परेशान नहीं होने दी जाएगी। हर संभव मदद की जाएगी ताकि कारोबार करने में सहूलित हो।
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