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बोले बांदा: उजाड़ने से पहले बताएं..कहां दुकान लगाएं

Banda News - बांदा में 1000 से अधिक पटरी-गुमटी और रेहड़ी दुकानदार महंगाई के बीच अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं। कई वर्षों से एक ही स्थान पर दुकान लगाते हुए ये दुकानदार प्रशासन की कार्रवाई और अतिक्रमण के डर से...

Newswrap हिन्दुस्तान, बांदाThu, 27 Feb 2025 08:30 AM
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बोले बांदा: उजाड़ने से पहले बताएं..कहां दुकान लगाएं

बांदा। हर में जिला अस्पताल रोड, स्टेशन रोड, कालूकुआं चौराहा, बाबूलाल चौराहा, नवाब टैंक, महाराणा प्रताप चौक, क्योटरा रोड, आरटीओ ऑफिस रोड, चिल्ला रोड आदि समेत कई स्थानों पर शहर में 1000 से अधिक पटरी-गुमटी और रेहड़ी दुकानदार हैं। यह छोटे-छोटे दुकानदार सड़क किनारे और चौक-चौराहों के आसपास अपनी दुकान लगाकर इस महंगाई में किसी तरह अपने परिवार का गुजारा करते हैं। इनमें सैकड़ों ऐसे हैं, जो कई वर्षों से एक ही स्थान पर दुकान लगा रहे हैं। कई की दूसरी पीढ़ियां सड़क की पटरी पर दुकान लगा रही हैं। इनमें सब्जी, चाय-पान, फास्ट फूड, नाश्ता, जूस, रेडीमेड कपड़ा, जूते पालिश करने वालों आदि की दुकानें शामिल हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से दुकानदार मनीष कुमार कहते हैं कि पालिका प्रशासन वेंडिंग जोन की जगह चिह्नित करे तो कुछ राहत होगी। बोले, शहर के पटरी-गुमटी दुकानदारों को बीच-बीच में अतिक्रमण करने का हवाला देकर पालिका प्रशासन की ओर से हटा दिया जाता है। ऐसे में इनका रोजगार पूरी तरह से ठप हो जाता है। यही नहीं, पालिका प्रशासन इन दुकानदारों से जुर्माना तो वसूलता रहता है, लेकिन ये नहीं बताता कि दुकान या ठेला कहां लगाएं।

कार्रवाई होती है तब कोई कुछ नहीं सुनता: स्ट्रीट वेंडरों का साफ तौर पर कहना है कि होटल की अपेक्षा कम कीमत में ताजा नाश्ता परोसने से दुकान पर ग्राहक आते हैं। होटल और रेस्टारेंट में कीमत अधिक होने के कारण हर कोई वहां नाश्ता नहीं कर पाता। इन ग्राहकों में तमाम कर्मचारी और अफसर भी शामिल रहते हैं। लेकिन बात जब अतिक्रमण की आती है तो कोई कुछ नहीं सुनता। आनन फानन दुकानें हटवा दी जाती हैं, जिससे रोजगार पूरी तरह ठप हो जाता है।

हर रोज जलालत के बीच करना पड़ता है धंधा: पटरी-गुमटी और रेहड़ी के जरिये किसी तरह परिवार का पेट पाल रहे इन दुकानदारों के सामने यूं तो कई तरह की समस्याएं हैं लेकिन सर्वाधिक परेशान करने वाला मसला हर रोज दुकानदारी और एक ही स्थान पर पूरे दिन टिककर काम करने की चुनौती है। दुकानदार बताते हैं कि कई ऐसे दुकानदारों के स्थाई ठीहे हैं लेकिन तमाम या कहें कि बड़ी संख्या में ऐसे भी रोज कमाने खाने वाले हैं, जो सड़क किनारे दुकानदारी के लिए स्थान खोजते हैं। कई बार पार्किंग तो कई बार किसी बड़े दुकानदार की दबंगई यहां से वहां खिसकने को मजबूर करती है। कई बार ऐसे भी मौके आते हैं,जब कोई भवन स्वामी अपने घर के सामने तक नहीं रुकने देते। ऐसे हालात में पार्किंग अवरुद्ध होने का हवाला दिया जाता है। जबकि ऐसा कुछ होता नहीं है।

बोले दुकानदार

सब्जियां बेचते हैं। ख्याल रखते हैं कि किस मौसम में लोग कौन सी सब्जियां खाना अधिक पसंद करते हैं। प्रशासन को भी हमारी जरूरत को ध्यान में रखते हुए दुकान लगाने के लिए स्थान निर्धारित करना

चाहिए। - श्याम बाबू

बिजली पानी का कनेक्शन नहीं है। पालिका जाम, गंदगी के लिए जिम्मेदार ठहरा देती है। स्थाई जगह नहीं होने से मनमाने तरीके से दुकान हटा दी जाती है। इससे कारोबार ठप हो जाता है। -राकेश

भले समाज के निचले पायदान पर काम कर रहे हैं लेकिन योगदान किसी क्षेत्र में कम नहीं है। हम नहीं चाहते कि हमारी आने वाली पीढ़ी भी यही काम करे क्योंकि आए दिन कोई न कोई दुश्वारी काम में होती है। -वीरेंद्र कुमार

समय के साथ खुद में बदलाव किया है। सड़क पर कूड़ा नहीं फेंकते। रात में दुकान बंद करने से पहले आसपास पूरी सफाई करते हैं। प्रशासन से हम सुरक्षा और संसाधन देने की उम्मीद करते हैं।

- बलराम यादव

ईओ नपा नीलम चौधरी कहती हैं कि वेंडिंग जोन के लिए जगह की तलाश हो रही है। जहां रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को शिफ्ट किया जा सके। जगह तय होते ही कार्य योजना शासन को भेजेंगे।

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