बोले बांदा: डग्गामारी रोकें..तो भर सकेंगे तरक्की का फर्राटा
Banda News - बांदा में प्राइवेट बस अड्डा संचालन में कई समस्याएं हैं। डग्गामार वाहनों के कारण बस संचालकों को सवारियां नहीं मिलतीं, जिससे उन्हें घाटा हो रहा है। खराब सड़कों और सफाई की कमी ने भी यात्रियों को परेशान...
बांदा। शहर में बाबूलाल चौराहे से 100 मीटर की दूरी पर प्राइवेट बस अड्डा है। यहां से रोजाना करीब 50 से 60 बसें कमासिन, बबेरू, चित्रकूट, अतर्रा, राजापुर आदि जगहों के लिए संचालित होती हैं। हर रूट पर फर्राटा भर रहे डग्गामार वाहन बसों की आमदनी में नासूर बने हैं। इससे बसों के संचालक घाटे और कर्ज तले दबते जा रहे हैं। कई दिन स्थिति ऐसी बनती है कि डीजल और लेबर खर्च तक नहीं निकल पाता है। यह दर्द आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से प्राइवेट बस संचालकों ने बयां किए। बस संचालकों ने बताया कि उनकी बसें जनपद में तय रूट पर चलती हैं। ऑटो-टेंपो आदि का परमिट 16 किलोमीटर तक रहता है पर 40 से 60 किलोमीटर तक हर रूट पर ये वाहन फर्राटा भरते हैं। मसलन, अतर्रा चुंगी से संचालित टेंपो करीब 60 किलोमीटर दूर कालिंजर तक जाते हैं। महाराणा प्रताप चौक से संचालित टेंपो 40 किलोमीटर से अधिक पैलानी, चिल्ला और जसपुरा तक दौड़ लगाते हैं। इन सबके बीच डग्गामार भी नासूर बने हैं। माल भाड़े की गाड़ियां भी सवारियां ढो रही हैं। बसें सवारियां पूरी होने पर चलती हैं। वहीं, टेंपो और डग्गामार 15 सवारियां होने पर चल देते हैं। मुसाफिर भी जल्दी के चक्कर में जान हथेली पर रखकर क्षमता से अधिक टेंपो और डग्गामार वाहनों में सवार होकर चल देते हैं। इन हालात में प्राइवेट बसों को सवारियों के लिए जूझना पड़ता है। दूसरी तरफ, आरटीओ और जीएसटी विभाग कमर तोड़ने में लगे हैं। रास्ते में बसों को रोककर अधिकारी चेकिंग करते हैं। कागज पूरे होने के बावजूद बसों को घटों रास्ते में रोके रखा जाता है। वजह पूछने या सवाल-जवाब करने पर सीज की कार्रवाई और एफआईआर की घुड़की दी जाती है। दूसरी तरफर सवारियां अलग परेशान होती हैं।
स्टैंड के पास कचरे के ढेर से उठती दुर्गन्ध: बस संचालकों ने बताया कि बस स्टैंड तक पहुंचने वाली सड़क की स्थिति बेहद खराब है। गड्ढों और जलजमाव की समस्या के कारण बस चालकों और यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खासकर बारिश के दिनों में स्थिति और गंभीर हो जाती है। सड़क पर पानी भर जाता है। प्राइवेट बस स्टैंड में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। कचरे के ढेर और दुर्गन्ध से यात्रियों को परेशानी होती है। नपा को सफाई करानी चाहिए, पर कोई भी कर्मचारी सफाई के लिए नहीं आता है। ऐसे में खुद के पैसे खर्च कर सफाई करानी पड़ती है। बस अड्डे में कहीं पर भी स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था नहीं है। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। इससे यात्री असुरक्षित महसूस करते हैं।
सुविधा शुल्क देते, लेकिन सुविधाएं एक भी नहीं: बस संचालकों ने बताया कि यहां के प्राइवेट बस संचालक बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। उनसे सुविधा शुल्क तो वसूला जाता है। लेकिन सुविधाएं नहीं मिलतीं। छोटे रूट पर चलने वाली बसों के लिए सवारियां चौक-चौराहों पर ही मिलती हैं। पर सवारियों को भरने के लिए किसी भी चौक-चौराहे पर बस स्टाप की सुविधा नहीं है।
बोले बस संचालक
डग्गामार वाहनों की वजह से सवारियां नहीं मिलतीं। अब तो डीजल और लेबर का खर्च निकालना मुश्किल हो गया है। -दीपेन्द्र मिश्रा
प्राइवेट बस अड्डे पर कहीं भी स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। शाम होते ही अंधेरा हो जाता है। यात्री रात में आने में डरते हैं। -हरि प्रसाद
बस स्टैंड में सफाई की व्यवस्था नहीं है। कचरे से यात्रियों को परेशानी होती है। सफाई का जिम्मा उठाना पड़ता है। -कैलाश श्रीवास्तव
चौराहों पर तैनात ट्रैफिक सिपाही परेशान करते हैं। डग्गामारों की वजह से पहले ही सवारियां कम मिलती हैं। -मयंक गुप्ता
बोले जिम्मेदार
एडीएम वित्त एंव राजस्व राजेश कुमार कहते हैं कि प्राइवेट बस संचालकों की जो भी समस्याएं हैं, उनके जल्द से जल्द निस्तारण के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। सड़कों पर डग्गामारी रोकने के लिए संबंधित को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे। समस्या होने पर बस संचालक कार्यालय आ कर बता सकतें हैं।
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