बोले बांदा: सबको दवा देते हैं पर हमारे दर्द लाइलाज
Banda News - बांदा में फार्मासिस्ट स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके सामने कई समस्याएं हैं। वे अधिक कार्य के बोझ में दबे हैं और 12 से 24 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं। फार्मासिस्टों...
बांदा। फार्मासिस्ट स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दवाओं के वितरण, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के साथ काम करने के लिए जिम्मेदार होते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रोगी को सही दवा और खुराक मिले। रोगियों की पीड़ा हरने के लिए दवाएं देने वाले फार्मासिस्ट अधिक कार्य के बोझ तले दबे हैं। यह पीड़ा उन्होंने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान कही। रमाकांत समेत तमाम फार्मासिस्टों ने कहा कि तय समय से अधिक ड्यूटी कर रहे हैं। इसके लिए न तो अलग से कोई मेहनताना मिलता है। न ही कभी प्रोत्साहित किया जाता है। हमारी समस्याओं की फेहरिस्त लंबी है। उनपर ध्यान भी नहीं दिया जाता। आखिर किससे अपनी पीड़ा कहें, कोई सुनने वाला नहीं है। कहा कि आठ घंटे की ड्यूटी है पर काम 12 से 24 घंटे तक लिया जा रहा है। हमारी पीड़ा कोई तो हरे। हमें भी तय समय पर अवकाश और आराम के लिए समय मिलना चाहिए। परिवार को समय नहीं दे पा रहे हैं, वहीं सामाजिक तानाबाना भी बिगड़ रहा है। विभाग हमारी समस्याओं पर गौर नहीं कर रहा है।
पीएचसी-सीएचसी पर अधिक तनाव: फार्मासिस्टों की संख्या जरूरत से काफी कम होने के चलते सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। सीएचसी में दो तो पीएचसी में एक फार्मासिस्ट की तैनाती है। अस्पताल 24 घंटे खुले रहने का आदेश है। ऐसे में वहां काम करने वाले फार्मासिस्टों की हालत कैसी होगी, कितने दबाव में वह काम कर रहे होंगे, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। पीएचसी में तैनात फार्मासिस्ट को अगर बाजार में सब्जी लेने जाना पड़ा, तब भी वह दबाव में होता है। उस दौरान अगर कोई अधिकारी अस्पताल की जांच कर ले तो गायब मिलने पर कार्रवाई हो सकती है।
थोक दवा कारोबार के लिए बी. फार्मा डिग्री की जाए अनिवार्य: फार्मासिस्टों ने कहा कि लंबे समय से फार्मासिस्टों की भर्ती नहीं हो रही है। दूसरे, जो डिग्री लेकर आ रहे हैं, उन्हें दवा कारोबार में भी अवसर नहीं मिल रहा। दरअसल, दवा की थोक दुकान के लिए बी. फार्मा की डिग्री जरूरी नहीं होती। हो यह रहा है कि अब लोग थोक के लाइसेंस पर धड़ल्ले से फुटकर में भी दवाएं बेच रहे हैं। इससे बी. फार्मा के डिग्री धारकों का अवसर छीना जा रहा है। इसे देखते हुए थोक लाइसेंस के लिए भी बी फार्मा की डिग्री अनिवार्य कर देनी चाहिए।
हमारी ट्रेनिंग कंप्यूटर चलाने की नहीं कराई गई: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फार्मासिस्ट की 24 घंटे की ड्यूटी होती है, लेकिन आवास की सुविधा नहीं है। हमें मेडिको लीगल रिपोर्ट कंप्यूटर से देनी होती है। मेडिकल के लिए पुलिस कभी भी किसी घायल या फिर रिमांड पर लिए गए आरोपी को लेकर चली आती है लेकिन हमारी ट्रेनिंग कम्प्यूटर चलाने के लिए नहीं कराई गई है।
जिला अस्पताल का इंजेक्शन रूम प्रशिक्षु के हवाले: अस्पतालों में इंजेक्शन रूम में फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य है। जिला चिकित्सालय में ट्रेनिंग को आए फार्मासिस्टों के भरोसे इंजेक्शन लगाने का कार्य कराया जा रहा है। इससे कभी कोई गलत इंजेक्शन लगने की स्थिति में मरीज की जान पर बन भी सकती है। जिम्मेदारों को सारे हालात पता हैं, फिर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। साफ तौर पर कहें तो समस्याएं सभी को पता हैं लेकिन उबारने के लिए कोई आगे नहीं आता। जरूरत से ज्यादा काम सिर्फ और सिर्फ मानसिक व शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित कर रहा है। पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ हम हर रोज बस पिस रहे हैं। यह सिलसिला बदस्तूर सालों से जारी है। हर रोज सुबह अपने काम पर आते हैं और समस्याओं के बीच ड्यूटी निभाकर घरों को लौट जाते हैं लेकिन समस्याएं जहां की तहां रहती हैं। आश्वासन मिलते हैं पर समस्याओं का समाधान नहीं होता।
बोले फार्मासिस्ट
प्रति 90 मरीज पर एक फार्मासिस्ट की तैनाती के नियम हैं,जिला अस्पताल में एक फार्मासिस्ट रोज दो हजार मरीजों में दवाएं वितरित करता है। -जितेन्द्र सिंह चौहान
दूरदराज के स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात फार्मासिस्टों को दवा की आपूर्ति के लिए मुख्यालय आना पड़ता है। खुद साधन कर स्वास्थ्य केंद्रों तक दवाएं ले जाते हैं। -अजय श्रीवास्तव
सभी सीएचसी में दो फार्मासिस्टों की तैनाती है। 12-12 घंटे की लगातार ड्यूटी कराई जा रही है। जबकि ड्यूटी आठ घंटे की होती है।-पीएम श्रीवास
सीएचसी व पीएचसी की सामग्री, दवा की खरीद में फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य होना चाहिए। पर ऐसा कभी भी नहीं किया जाता है। -रमाकांत गर्ग
बोले जिम्मेदार
सीएमओ डॉ. अनिल कहते हैं कि फार्मासिस्टों की समस्याएं सामने आने पर उनका निस्तारण किया जाता है। जो भी मांग होती है, उसे शासन में भेजा जाता है। जनपद में किसी भी फार्मासिस्ट को कोई भी दिक्कत है तो आफिस में आकर बताए।
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