बोले बांदा: उजाड़ पार्कों के बाहर सैर सड़कें नाप रहे बेबस लोग
Banda News - बांदा के मॉर्निंग वॉकरों को पार्कों की खराब स्थिति के कारण स्टेडियम और सड़कों पर टहलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अधिकांश पार्कों में गंदगी और दुर्गंध है, जिससे टहलना मुश्किल हो जाता है। नगरपालिका...
बांदा। पुरानी कहावत है कि दिन की शुरुआत अच्छी हो जाए तो पूरा दिन अच्छा रहता है। मॉर्निंग वॉक के बहाने सुकून के कुछ पल मिल जाते हैं। तनाव मुक्ति का यह प्रभावी माध्यम है इसलिए लोग स्टेडियम जाते हैं। इसके सिवा जाएं तो कहां जाएं क्योंकि शहर के ज्यादातर पार्क बदहाल हैं। वहां मॉर्निंग वॉक तो दूर, दस मिनट खड़ा भी नहीं रहा जा सकता है। वजह, कूड़ा-करकट और गंदगी से उठने वाली सड़ांध है। उजाड़ पार्कों के बाहर लोग सड़कों पर टहलते हैं। गंदगी की वजह से युवाओं के खेल में खलल तो होता ही है साथ ही टहलने आने वाले लोगों को भी चोट लगने का खतरा बना रहता है। यह बातें मॉर्निंग वॉकरों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से कहीं।
बस अड्डेको धुरी माना जाए तो छह किलोमीटर सर्किल एरिया शहरी क्षेत्र में आता है। दो लाख से अधिक आबादी निवास भी करती है। इसके लिए 25 से अधिक पार्क नगरपालिका के अभिलेखों में दर्ज हैं। ज्यादातर बदहाल हैं। ऐसे में मॉर्निंग वॉकरों का प्रमुख अड्डा सड़क और स्टेडियम हैं। यहां सबसे अधिक लोग मॉर्निंग वॉक के लिए पहुंचते हैं। ऐसा नहीं है कि यहां सुबह टहलने आने वाले लोग जिन क्षेत्रों से आते हैं, वहां पार्क नहीं हैं। उनके अपने मोहल्लों में पार्क हैं, पर अव्यवस्थाओं से घिरे हैं। कोई पार्क वाहन स्टैंड में तब्दील हो चुका है तो कोई कूड़ा घर बन गया। मजबूरन लोगों को शुद्ध हवा और वर्जिश आदि के लिए या तो स्टेडियम तक आना पड़ता है या जान जोखिम में डालकर सड़क का किनारा पकड़ना पड़ता है। मॉर्निंग वॉकरों का कहना है कि पार्क बदहाल हैं तो स्टेडियम आना मजबूरी है यहां शहर की आबोहवा की चिंता बगैर सुकून के पल मिल जाते हैं। यह सुकून चहारदीवारी में अमूमन नहीं मिलता।
अवस्थी पार्क को संवारा, पर बंद पड़ा फव्वारा: नगरपालिका के सामने अवस्थी पार्क है। जो सुबह चार बजे से नौ बजे तक मॉर्निंग वॉकरों के लिए खुलता है। शहरी क्षेत्र में यही सबसे अच्छा पार्क है। जहां स्टेडियम के बाद सबसे अधिक मॉर्निंग वॉकर पहुंचते हैं। अमृत योजना के तहत इस पार्क का नगरपालिका ने कायाकल्प कराया है। यहां फव्वारा भी लगवाया, जो कुछ दिन चला। इसके बाद से बंद है। यह हाल तब है जब इस पार्क की गिनती शहरी क्षेत्र में सबसे अच्छे पार्कों में है। पार्क में मॉर्निंग वॉकरों की संख्या में बहुत ज्यादा रहती है, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।
बोले मॉर्निंग वॉकर
ज्यादातार पार्क ऐसे हैं, जहां दुर्गंध के चलते रुका नहीं जा सकता है। ऐसे में टहलना तो दूर की बात है।
- आरती सिंह
ज्यादातर पार्कों में कूड़े का ढेर लगा रहता है। मजबूरन सड़क या स्टेडियम में मॉर्निंग वाक करना पड़ता है।
- अर्चना सिंह
सुबह उठकर मॉर्निंग वॉक को निकलते हैं तो आसपास एक भी अच्छा पार्क नहीं है। स्टेडियम ही सहारा है।
- अनिल अवस्थी
पार्क तो बहुत हैं पर मॉर्निंग वॉक लायक नहीं। अधिकतर में जानवरों का जमावड़ा और गंदगी रहती है।
-शिवदत्त त्रिपाठी
बोले जिम्मेदार
ईओ नपा नीलम चौधरी का कहना है कि जिन पार्कों की स्थितियां ठीक नहीं है उन्हें जल्द से ठीक कराया जाएगा। कोशिश होगी कि मॉर्निंग वॉकरों को किसी भी किस्म की दिक्कतें पेश नहीं आएं। यह भी प्रयास होगा कि पार्कों के टूटे और खराब झूलों को ठीक कराया जाए। रही बात सड़कों के किनारे लगी बंद पड़ी और खराब स्ट्रीट लाइटों की, उन्हें भी ठीक कराया जाएगा।
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