बोले बांदा: अन्ना से तबाह हमअन्नदाता
Banda News - बांदा के किसान सर्दी, बारिश और गर्मी की परवाह किए बिना अपनी फसलों की रक्षा कर रहे हैं। उन्हें निराश्रित गोवंशों से भारी नुकसान हो रहा है। किसानों ने पशु क्रेडिट कार्ड की मांग की है और सरकारी सहायता की...
बांदा। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी हो या झमाझम गिरता पानी, चाहें शरीर को झुलसाने वाली तल्ख धूप और गर्मी ही क्यों न हो। खेतों में बोई गई फसल की रखवाली करना हमारी प्राथमिकता है। सक्षम किसान खेतों के चारों ओर सीमेंट का पिलर लगाकर कंटीले तार खींच देते हैं तो कुछ बांस, बल्ली के के सहारे रस्सी आदि लगाए रहते हैं। किसान अपनी फसलों की रखवाली के लिए दिन-रात खेतों में मचान बनाकर बैठे नजर आते हैं। राजकिशोर और चुन्नू सविता कहते हैं कि जरा सी चूक होने पर अन्ना गोवंश पूरी मेहनत पर पानी फेर देते हैं। सरकार आय दोगुनी करने बात करती है। जब फसल बचेगी, तब ही तो आय दोगुनी होगी। यह बात आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में किसानों ने कही।
केसीसी की तरह बने पशु क्रेडिट कार्ड: अर्जुन, प्रमोद जैसे तमाम किसानों ने कहा कि पशुओं की सेहत ठीक रखने के लिए सरकार ने जगह-जगह राजकीय पशु चिकित्सालय बनवाए हैं। वहां तमाम सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं लेकिन हमें न वहां दवा मिलती है और न ही पशुओं की सेहत सुधारने के लिए मिनरल पाउडर वगैरह। हम अन्नदाता अपने पसीने से बंजर भूमि की गोद भी हरी कर दें, लेकिन अन्ना गोवंश से हार रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की तरह पशु क्रेडिट कार्ड भी बनवाए, ताकि पशुपालकों को कम ब्याज पर बैंक से ऋण मिल सके।
कनेक्शन के लिए लगानी पड़ती दौड़: किसानों ने बताया कि कृषि के लिए बोरिंग कराने के बाद बिजली विभाग से कनेक्शन के लिए एड़ी-चोटी का पसीना एक करना होता है। कागजी औपचारिकता पूरी होने के बाद भी बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने और लंबे इंतजार के बाद पोल लग पाता है। इस दौरान किसानों का जगह-जगह आर्थिक और मानसिक शोषण किया जाता है।
किसानों ने साफ तौर पर कहा कि जिले में जितने गो-संरक्षण केंद्र हैं, उनकी क्षमता का आकलन जिम्मेदारों को कराना चाहिए। जिले में कई गोशालाएं ऐसी हैं, जहां क्षमता से काफी कम गोवंश संरक्षित किए गए हैं। निराश्रित गोवंश किसानों की सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं। इसका प्राथमिकता से समाधान करना चाहिए अन्यथा किसान खेती करना छोड़ देंगे। खेतों में गेहूं की फसल बचाने के लिए खेत में मचान बनाकर दिन रात बैठना पड़ता है। कहीं इधर उधर चले जाने पर मौका मिलते ही निराश्रित गोवंशों का झुंड पहुंच जाता है और फसल चटकर देता है। जिम्मेदारों को निराश्रित गोवंशों को संरक्षित करना चाहिए जिससे किसानों को राहत मिल सके। जिले के अधिकतर किसान इस समस्या से परेशान हैं। किसानों ने बताया कि यह ताज्जुब की बात है कि किसानों को सहूलियतें देने के दावे बड़े बाड़े मंचों से होते हैं, लेकिन धरातल पर सबसे बड़ी समस्या गोवंश से ही छुटकारा नहीं मिल पाता। एक और चौकाने वाली बात यह है कि सड़क पर आवारा गोवंश हर किसी को दिखते हैं लेकिन जिम्मेदारों को नजर नहीं आते।
बोले किसान
नीलगाय रात में फसल चट कर जाती हैं। नुकसान होता है। सुरक्षा मिलनी चाहिए। ठोस रणनीति बने। -बच्चा प्रजापति
हमारे पास खेतों में बाड़ लगाने के लिए पैसे नहीं है। सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए। -कल्लू अनुरागी
पशु चिकित्सालय में दवा नहीं मिलती है। सरकार को पशु क्रेडिट कार्ड योजना शुरू करनी चाहिए। -छज्जू
दूसरे राज्यों में सरकार बाड़ लगाने में मदद करती है। प्रदेश सरकार को भी ऐसा करना चाहिए। -पंचा सिंह
जरूरत के समय यूरिया नहीं मिलती है। बाजार में ऊंचे दाम पर बिकती है। इसे खरीदना मुश्किल है। -बब्बू यादव
बोले जिम्मेदार
सीवीओ शिव कुमार वैस कहते हैं कि अन्ना गोवंशों को संरक्षित करने को 314 गोशालाएं हैं, जिनमें 55 हजार से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। सड़क और खेत में किसानों के ही गोवंश रहते हैं। अक्सर किसान उन गोवंशों को छोड़ देते हैं, जो दूध देना बंद कर देते हैं। किसान सहभागिता योजना में आगे आएं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।