बोले बांदा: अन्ना, अतिक्रमण और पानी से मंडी तबाह
Banda News - बांदा के तिंदवारी रोड गल्ला मंडी में 104 लाइसेंसी आढ़ती किसानों की उपज खरीदते हैं, लेकिन यहां आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं। आढ़तियों को व्यापार करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे साफ-सफाई...
बांदा। जनपद मुख्यालय से महज दो किलोमीटर दूर तिंदवारी रोड गल्ला मंडी में104 लाइसेंसी आढ़ती हैं, जो पैलानी, तिंदवारी और मटौंध क्षेत्र के 114 गांवों के किसानों की उपज की खरीद करते हैं। यहां के कारोबारी कहते हैं कि सात करोड़ सालाना मंडी शुल्क देते हैं, इसके बावजूद जरूरी सुविधाएं नहीं हैं। 75 बीघे में बनी मंडी में व्यापार करने वाले सुरेश चंद्र के मुताबिक, मंडी प्रशासन उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने में तनिक भी रुचि नहीं लेता। वह यहा पर दुश्वारियों के बीच व्यापार कर रहे हैं। गल्ला मंडी में सब्जी विक्रेता अतिक्रमण किए हैं। सुबह होते ही आढ़त के आगे सब्जी मंडी सज जाती है। दोपहर 12 बजे तक सब्जी विक्रेताओं का यहा पर कब्जा रहता है। उनके जाने के बाद आढ़ती अपना व्यापार शुरू कर पाते हैं। व्यापार शुरू करने से पहले सब्जी विक्रेताओं का फैलाया कूड़ा-कचरा भी खुद ही साफ कराना पड़ता है। ऐसा न करें तो गंदगी की वजह से बैठ भी नहीं पाएंगे। बताया कि बारिश के दिनों में बहुत से आढ़तियों को जलभराव की समस्या से भी जूझना पड़ता है। नालियों की ठीक से सफाई न होने के कारण बारिश का पानी यहां पर भर जाता है। यह गंदा पानी आढ़त के अंदर तक पहुंच जाता है। बार-बार समस्या के समाधान के लिए मंडी सचिव से फरियाद की गई, लेकिन हालात जस के तस हैं और समस्याओं का समाधान आज तक नहीं किया जा सका।
चुनाव में एक माह से ज्यादा दिन व्यापार रहता ठप: आढ़ती बताते हैं कि पांच साल में तीन बार चुनाव होते हैं। तीनों बार एक-एक माह के लिए गल्ला मंडी में व्यापार लगभग ठप रहता है। हालात ऐसे हैं कि इसी मंडी से पोलिंग पार्टियां रवाना की जाती हैं। यहीं पर स्ट्रांग रूम भी बनता और मतगणना होती है। जबकि मटौंध रोड पर खैराडा में बुंदेलखंड विशेष पैकेज से बनी बहुत बड़ी मंडी पूरी तरह वीरान है। निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान प्रशासन को खैराडा मंडी में यह सारी व्यवस्थाएं करनी चाहिए। पर ऐसा नहीं किया जाता है। इसे सिर्फ और सिर्फ दुश्वारी ही कहेंगे कि जिस मंडी से सबसे अधिक व्यापार होता है। वहां काम ठप करा दिया जाता है।
सीज मौरंग-गिट्टी के ट्रक खड़े कराने से धर्मकांटा होता खराब: आढ़तियों का यह भी दर्द है कि खनिज और आरटीओ विभाग ओवरलोड मौरंग और गिट्टी के सीज ट्रक मंडी परिसर में खड़े कराते हैं। ट्रक धर्मकांटा वाले गेट से अंदर आते हैं। धर्मकांटा 50 टन क्षमता का है। ये ट्रक 80 से 90 टन से अधिक के होते हैं। इससे आए दिन धर्मकांटा खराब होता है। इस बाबत प्रशासन से कई बार विरोध जताया गया ,सुनवाई नहीं हुई। ऐसी ही स्थिति अतर्रा और बबेरू मंडी की भी बनी हुई है।
बोले आढ़ती
यहां ग्रामीण क्षेत्र से किसान अपनी उपज बेचने के लिए आते हैं। इस भीषण सर्दी में भी एक भी जगह परिसर में अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है। किसान हित में परिसर में अलाव की व्यवस्था होनी चाहिए।- अरुण गुप्ता
आवारा जानवर बाहर रखे अनाज को फैला देते हैं। इससे बड़ा नुकसान होता है। सुअर बोरों के बोरे खींच ले जाते हैं।शिकायत के बाद भी ध्यान नहीं दिया जाता।-अशोक कुमार गुप्ता
परिसर में अधिकतर हैंडपंप खराब हैं। पानी की आपूर्ति मंडी कर्मचारियों की कॉलोनी तक है। परिसर में नहीं है। गर्मियों में पीने के पानी की काफी समस्या उठानी पड़ती है। रामबाबू लोखरिया
सफाई के नाम पर कर्मचारी खानापूरी करते हैं। आढ़तियों को खुद सफाई करनी पड़ती है। जगह-जगह कूड़ा रहता है, जहां सुअर और अन्ना जानवर जमावड़ा लगाए रहते हैं।
-संजय शुक्ला
बोले जिम्मेदार
मंडी सचिव प्रदीप रंजन कहते हैं कि मंडी की समस्याओं के निराकरण का हर संभव प्रयास होगा। सीज मौरंग-गिट्टी के ट्रक परिसर में खड़े करने पर खनिज, आरटीओ व प्रशासनिक अफसरों से बात की गई है। जल्द समाधान होगा। पुलिस गश्त बढ़वाने के लिए पत्राचार किया जाएगा।
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