बोले बांदा: अनुकंपा का दर्द: नौकरी करते हैं... नौकर तो नहीं हैं साहब
Banda News - बांदा में मृतक आश्रित शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को शासन से अनुकंपा पर तैनाती मिली है, लेकिन उन्हें अधिक घंटे काम करना पड़ रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि कार्य नियमावली का अभाव है, जिसके चलते उन्हें...
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बांदा। शासन से अनुकंपा पर तैनाती मिली, पर योग्यता के अनुरूप काम तय नहीं किया गया। तेरह खाने की रिंच बनाकर रखा गया है। हर सरकारी विभाग में आठ घंटे काम के तय हैं, पर हमसे 10 से 12 घंटे तक काम लिया जाता है। यह टीस आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक मृतक आश्रित शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के लोगों ने बयां की। जिले के बेसिक शिक्षा परिषद के जूनियर स्कूलों में करीब 250 मृतक आश्रितों की तैनाती है। इन कर्मियों को अनुचर कहा जाता है। इनकी कार्य की नियमावली अभी तैयार नहीं है। पढ़ाना छोड़ हरेक कार्य मृतक आश्रितों से कराया जाता है। यदि स्कूलों में सफाई नहीं तो सफाई में लगा दिया जाता। पौधरोपण होना हो तो गड्ढे खुदवाए जाते हैं। प्रमोद और साजिद समेत कई शिक्षकों ने कहा कि स्नातक और परास्नातक डिग्री लिए हुए मृतक आश्रित कर्मचारियों में कई को बीआरसी से संबद्ध किया गया है, जो क्लर्क का काम देख रहे हैं। वहीं, जो स्कूल में तैनात हैं, उनसे सफाई का कार्य लिया जा रहा है। समान शैक्षिक योग्यता होने के बावजूद काम में जमीन आसमान का अंतर हमें कचोटता है। नौकरी करते हैं, नौकर तो नहीं हैं । बीआरसी में तैनात हैं तो बाबूगिरी का काम और विद्यालयों में हैं तो चपरासी। संघ के जिलाध्यक्ष प्रमोद सिंह की मानें तो विगत तीन माह पहले जिलास्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता चिल्ला रोड स्थित एक कालेज हुई। मैदान की सफाई ही नहीं घास तक छिलवाई गई। आठ के बजाए 10 घंटे तक ड्यूटी को मजबूर किया गया।
चयन वेतनमान न लगाने से परेशानी: इन मृतक आश्रितों को चयन वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है। कर्मचारियों की मानें तो वर्ष 2020 के बाद आए शासनादेश में यह है कि 60 वर्ष से पहले जो खत्म हुए हैं, उनके आश्रितों को डेथ ग्रेच्युटी दी जाए। जनपद से ब्लाक स्तर तक फाइल तैयार कराने में टहलाया जाता है। ऐसे में डेथ ग्रेच्युटी का लाभ भी कई लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
कछुआ गति से निपटाई जातीं फाइलें:मृतक आश्रित के मामले में बीएसए ऑफिस में कार्य कछुआ गति से किया जाता है। आवेदनों के बाद उसको देखने तक की जहमत कर्मचारी-अधिकारी नहीं उठाते। मृतक कर्मचारी के आश्रितों के आवेदन पेंडिंग रखे जाते हैं। आवेदन महीनों तक पड़े रहते हैं ।
कई कर्मचारी स्नातक, हमसे कराएं अपार आईडी का कार्य: कई कर्मचारियों का कहना है कि अनुकंपा पर नौकरी प्राप्त कोई कर्मचारी स्नातक है तो कोई परास्नातक। विद्यालयों में अपार आईडी का कार्य शिक्षकों से कराया जा रहा है। इससे पढ़ाई प्रभावित होती है। पढ़े-लिखे होने के चलते यह कार्य अच्छी तरह कर सकते हैं। यह कार्य हम लोगों से कराए जाएं। शिक्षक इस झंझट से मुक्त होंगे तो शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। हमें भी अपने काम में संतोष मिलेगा।
कार्य निर्धारण न कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता:मृतक आश्रित कर्मचारियों ने कहा कि कार्य का निर्धारण न करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता रहा है। स्कूलों में पुस्तकों को पहुंचाने के लिए शासन से बजट मिलता है। यह कार्य मृतक आश्रितों से कराया जाता है। बजट का बंदरबांट कर लिया जाता है। खेलकूद आदि के लिए श्रम बजट अलग होता है। खेलकूद प्रतियोगिताओं में सामान ढोने के कार्य में लगा दिया जाता है। जबकि इस कार्य के लिए भी अलग से बजट मिलता है।
बोले कर्मचारी
मृतक आश्रितों के लिए कार्य नियमावली न बनने से लगातार शोषण हो रहा है। हमसे कभी स्कूल-स्कूल पुस्तकें बंटवाई जाती हैं तो कभी अन्य कार्य में लगाया जाता है। पुस्तक वितरण के लिए शासन से अलग से बजट आता है। बावजूद इसके सारे काम हमसे ही कराए जाते हैं। जिम्मेदार सारे हालात से वाकिफ भी हैं। -मुन्ना
अभी तक कार्य का निर्धारण नहीं किया गया। अधिकारी मनमाफिक तैनात कर देते हैं। कार्य नियमावली तैयार हो। -ऋषभ गुप्ता
बीआरसी में तैनाती होने पर क्लर्क या फिर सिक्योरिटी गार्ड की तरह कार्य लिया जाता है।
- संजीव कुमार
संबद्धीकरण बडोखर खुर्द बीआरसी में है। निर्धारित समय से अधिक काम करना पड़ता है। परेशानी होती है। -धर्मेन्द्र कुमार
मृतक आश्रितों पर सफाई का दबाव बनाया जाता है। अनुकंपा तैनाती से हर कार्य करना होता है। - प्रमोद सिंह
डेथ ग्रेच्युटी की फाइलों में हीलाहवाली होती है। जिले से लेकर ब्लाक तक टहलाया जाता।
-मोहम्मद अशरफ
कोई स्नातक है तो कोई परास्नातक और एमबीए है। कम से कम योग्यता के मुताबिक कार्य कराया जाए। -राजेन्द्र बाजपेयी
बोले जिम्मेदार
-बीएसए अव्यक्त राम तिवारी कहते हैं कि समूह घ के कर्मचारियों से कोई अतिरिक्त कार्य नहीं लिया जाता। स्कूल के समय पर ही काम लिया जाता है। एसीपी चयन वेतनमान यदि समय पर नहीं लगाया जाता तो उसे दिखवाया जाएगा। कुछ मृतक आश्रितों को डीजी के आदेश पर बीआरसी में संबद्ध कराया गया है। किसी भी मृतक आश्रित को यदि कोई समस्या है तो वह व्यक्तिगत रूप से मिलकर समस्या बता सकता है। समस्या का निस्तारण कराया जाएगा।
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