बोले बांदा: खुद से नहीं.. उनके ‘विकलांग इरादों से हारे
Banda News - बांदा में दिव्यांगों ने कहा कि उनकी इच्छाशक्ति और मानसिक बल सामान्य लोगों से अधिक है, लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में कठिनाई हो रही है। अधिकारियों की अनदेखी और मनमानी वितरण के चलते दिव्यांगों को...
बांदा। इच्छाशक्ति एवं मानसिक बल में सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा सक्षम हैं। कुछ कर गुजरने का जुनून किसी से कम नहीं है। बस जरूरत है, उत्साहवर्धन की। कई हितकर योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, पर उनका लाभ लेने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। कोई सुनने वाला नहीं है। अन्त्योदय राशन कार्ड, आवास सुविधा आदि के लिए अफसरों की ड्योढ़ी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। यह दर्द दिव्यांगों ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में बयां किया। दिव्यांग नेता श्यामबाबू त्रिपाठी की मानें तो कहने को तमाम योजनाओं का संचालन दिव्यांगों के लिए किया जा रहा है लेकिन धरातल पर उनका लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा है। सबसे खास बात ये है कि दिव्यांगों को मोटराइज्ड साइकिल हो या अन्य उपकरण, इनके वितरण में भी मनमानी की जाती है। कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। जिम्मेदार लाभ कमाने के चक्कर में घटिया सामाग्री का वितरण कर देते हैं। यदि खराबी आ जाए तो यहां कोई सर्विस सेंटर भी नहीं। इंदौर जाने की सलाह दी जाती है। दिव्यांगजन कार्यालय में भी हमारी नहीं सुनी जाती है। इसके अलावा तमाम दिव्यांग ऐसे हैं, जो कि भूमिहीन हैं। उनके पास रोजगार भी नहीं है। ऐसे में उनके सामने परिवार के भरणपोषण की समस्या होती है। भोला और भागवत ने साफ तौर पर कहा कि हमारे हौसले कमजोर नहीं हैं, लेकिन हम तो उनके (अफसरों-कर्मियों) विकलांग इरादों से हार रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिवहन निगम की बसों में आरक्षित सीट तक नहीं मिलती है। चालक-परिचालक यदि देख लें कि दिव्यांग आ रहे तो रास्ते में बस तक नहीं रोकते हैं। दिव्यांगों ने एकस्वर में आवाज उठाई कि हमें हमारा अधिकार दिलाया जाए। मुख्य रूप से रोजी-रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाएं। नौकरी में चार प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाया जाए।
अंत्योदय राशन कार्ड पर दिव्यांगों का हक: दिव्यांगों की मानें तो अंत्योदय राशन कार्ड या लाल राशन कार्ड में उनका प्राथमिक तौर पर हक है। कारण कि वह ही शारीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इसके बाद भी उन्हें राशन कार्ड के लिए चक्कर कटवाए जाते हैं। जिम्मेदारों को चाहिए कि सर्वे कराकर समुचित तरीके से दिव्यांगों को इसका लाभ दिलाया जाए। ताकि पहले से शारीरिक रूप से परेशान दिव्यांगों को और ज्यादा परेशान न होना पड़े।
बोले दिव्यांग
दिव्यांगों के लिए कम से कम जनप्रतिनिधि और अधिकारी सुनवाई का एक दिन अलग से निर्धारित करें, जिससे हम भी अपनी समस्या उन्हें बता सकें और उनका हल करवा सकें। -धर्मेंद्र सोनकर
असल पेंशन की जरूरत हम दिव्यांगों को है। दिव्यांग पेंशन पांच हजार रुपये दी जाए, जिससे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें। इतनी पेंशन में गुजारा मुश्किल है। - प्रमोद कुमार
विकलांग अधिनियम-2016 की समुचित जानकारी जिम्मेदारों को नहीं है। कई बार दिव्यांगों को सही तरीके से न्याय नहीं मिल पाता है। आवास के लिए भी तमाम दिव्यांग भटक रहे हैं। -विजय सक्सेना
उच्चशिक्षा के लिए कम से कम दस लाख रुपये लोन की व्यवस्था कराई जाए। जिससे किसी भी दिव्यांग का लड़का भी अच्छी शिक्षा ग्रहण कर अपना नाम रोशन कर सके। - भागवत
बोले जिम्मेदार
जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी अभिषेक चौधरी कहते हैं कि दिव्यांगों से पूरी सहानुभूति है। पेंशन या किसी काम को लेकर यदि कोई शिकायत है तो उसका तत्परता से निराकरण कराया जाएगा। करीब 11000 पेंशनर्स हैं। इसमें 40 प्रतिशत तक के दिव्यांग शामिल हैं। आधार लिंक न होने से कुछ को पेंशन की अभी तक तीसरी किस्त नहीं पहुंची है। उपकरण वितरण मानक के अनुसार कराए जाते हैं। 80 प्रतिशत से ऊपर के दिव्यांग चाहें तो एलिम्को के चित्रकूट सेंटर में जाकर भी इसका लाभ ले सकते हैं।
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