बोले बांदा: न्याय दिलाने वाले ‘पीड़ितों का यहां कोई पैरोकार नहीं
Banda News - बांदा में अधिवक्ताओं ने न्याय दिलाने में मदद करने के बावजूद अपनी समस्याओं का उल्लेख किया है। उन्हें सुरक्षा, पार्किंग और शौचालयों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। महिला अधिवक्ताओं को शौचालय की...
बांदा। अधिवक्ता सुबह से हर पीड़ित को न्याय दिलवाने में मदद करते हैं। सुबह से ही बस्ता लेकर कचहरी पहुंच जाते हैं। यहां दिन भर क्लाइंट की फाइल तैयार कर उसको न्याय दिलवाने के लिए कोर्ट में पैरवी करते हैं, लेकिन हमारी समस्याओं पर जिम्मेदार मुंह मोड़े रहते हैं। पेशे के लिहाज से कई बार किसी की पैरवी की सूरत में पैसे के साथ रंजिशें भी मिलती हैं लेकिन सुरक्षा सिफर है। पेशे की नजाकत को देखते हुए अधिवक्ताओं को शस्त्र लाइसेंस आसान प्रक्रिया से दिलवाए जाएं। कचहरी में गंदगी, पार्किंग जैसी व्याप्त समस्याओं से छुटकारा दिलाया जाना चाहिए। कुछ इस तरह का दर्द अधिवक्ताओं ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बयां किया। जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव मनोज निगम लाला, वरिष्ठ अधिवक्ता रामकिशोर त्रिपाठी, रमाकांत पाण्डेय, महिला अधिवक्ता हेमलता ने कहा कि विडंबना है कि इन सबके बावजूद यहां अधिवक्ता अपने आप को उपेक्षित महसूस करते हैं। वाहन खड़ा करने के लिए पार्किंग व्यवस्था इतनी बदतर है कि क्या ही कहें। चारों ओर गंदगी बजबजाती है। शिकायत करने पर भी कोई नहीं सुनता। ऐसा लगता है कि हम न्याया दिलाने वाले खुद पीड़ित हैं और हमारी पैरवी करने वाला कोई नहीं है। संतोष कहते हैं कि उन्हें स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से सम्मान नहीं मिलता। कई ऐसे बुजुर्ग अधिवक्ता हैं जिनका परिवार का भरण पोषण भी मुश्किल होता है। कम से कम ऐसे अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था कराई जाए।
अधिवक्ता वेदप्रकाश गुप्ता ने कहा कि यहां मुख्तयार खाने में बाउंड्री तोड़ दी गई लेकिन मलबा अब तक नहीं हटाया गया। शौचालय को भी तोड़ दिया गया। इससे दिक्कतें हो रही हंै। सुरेन्द्र कुमार मिश्रा पप्पू ने कहा कि अधिवक्ता हितों का ध्यान रखा जाए। आनंद निगम,बालकृष्ण पाण्डेय, नरेन्द्र गौतम,गोविंद त्रिपाठी आदि ने एक स्वर से अधिवक्ताओं को उचित सम्मान देने पर जोर दिया। अधिवक्ता कृष्णदत्त तिवारी ने भी कहा कि अफसरों से जो सम्मान मिलना चाहिए वह अधिवक्ताओं को नहीं मिल पाता।
महिला अधिवक्ताओं के लिए नही शौचालय: महिला अधिवक्ताओं को शौचालय न होने से दिक्कत का सामना करना पड़ता है। साधना,हेमलता,रीना आदि महिला अधिवक्ताओं ने बताया कि कचहरी कैंपस में कलेक्ट्रेट गैलरी के सामने एक शौचालय है। इनका दावा है कि यह कलेक्ट्रेट का है। यहां अक्सर ताला रहता है। कम से कम परिसर में महिला अधिवक्ताओं के लिए शौचालय की व्यवस्था कराई जाए।
कचहरी परिसर में नहीं पार्किंग व्यवस्था: कचहरी परिसर में कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अधिवक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष द्विवेदी ने बताया कि जजी परिसर में तो स्टैंड है लेकिन यहां कचहरी कैंपस में कोई पार्किंग व्यवस्था न होने से जहां मन चाहा जो भी बाइक या अन्य वाहन खड़ा कर देता है। जिससे आने जाने में समस्या होती है। यहां भी पार्किंग की व्यवस्था करवाई जाए। अगर जाम लग जाए तो काम खत्म करने के बाद भी घंटों तक कतार में खड़े रहना पड़ता है। हम ही नहीं इससे आम जनता को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सरकारी अस्पताल में अधिवक्ताओं का अलग से हो काउंटर: अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्रा ने कहा कि सरकारी अस्पताल में अधिक भीड़ होने के कारण अधिवक्ता परिवार का इलाज नहीं करवा पाते क्योंकि उन्हें सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक कचहरी में रहना पड़ता है। इसलिए अस्पताल में पर्चा,दवा,जांच काउंटर अधिवक्ताओं को अलग से होना चाहिए।
सरकारी कार्यालयों में अलग से हो कुर्सी की व्यवस्था: जिला जजी के अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्रा ने कहा कि जनपद में हर सरकारी कार्यालय में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए अलग से कुर्सी की व्यवस्था होनी चाहिए। डीएम, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार न्यायालयों की प्रत्येक पत्रावली को ऑनलाइन डेट और कार्रवाई अपडेट होनी चाहिए। जिससे अधिवक्ताओं और आम जनता को सहूलियत से लंबित पत्रावली की तारीख व कार्रवाई की जानकारी हो सके।
बोले अधिवक्ता
सुरक्षा को लेकर शस्त्र लाइसेंस की व्यवस्था हो। इस पेशे में कई तरह के लोगों से वास्ता होता है।-विवेक सिंह
कुछ अधिकारियों के रवैये से परेशान हैं। ऐसे अधिकारियों को सुधार करना चाहिए। जिससे परेशानी न हो। -उमाशंकर शर्मा
दस वर्ष तक नियमित प्रैक्टिस करने के समय रोजगार प्रोत्साहन भत्ता अनिवार्य किया जाना चाहिए। -रामप्रसाद सोनी
सहयोग प्राप्त होना चाहिए। जिससे स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से उपेक्षित न महसूस हो। अजय कुमार
बोले जिम्मेदार
एडीएम वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार का कहना है कि कचहरी में शौचालय की व्यवस्था है। ताला बंद होने की जानकारी अभी हुई है। दिखवाया जाएगा। साफ सफाई में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गर्मी को देखते हुए पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था कराई जाएगी। जिससे अधिवक्ता हो या फरियादी किसी को किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े। -
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