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बोले बलरामपुर-जिले में महिलाओं की समस्याओं का नहीं हो पा रहा समाधान

Balrampur News - समस्या बलरामपुर, संवाददाता। जिले में महिलाओं की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।

Newswrap हिन्दुस्तान, बलरामपुरTue, 17 June 2025 04:35 PM
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बोले बलरामपुर-जिले में महिलाओं की समस्याओं का नहीं हो पा रहा समाधान

समस्या बलरामपुर, संवाददाता। जिले में महिलाओं की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। कामकाजी महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर तमाम प्रकार की दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। गृहणियों को आवश्यक वस्तुओं की खरीद करने के लिए बाजार जाने पर पिंक शौचालय तक का बेहतर इंतजाम नहीं है। आवागमन के लिए समुचित सुविधाएं नहीं उपलब्ध हैं। सड़कों पर भीड़ इतनी होती है कि उन्हें जाम में फंसकर कीमती समय गंवाना पड़ता है। महिलाओं को रोजी रोट की व्यवस्था कराने के लिए जिले में समुचित संसाधन नहीं हैं। उन्हें रोजगार की चाह तो है, लेकिन अवसर नहीं मिलता। वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र निर्माण में सहभागी तो बनना चाहती हैं, लेकिन ऐसा करने का सौभाग्य उन्हें नहीं प्राप्त हो रहा है।

महिलाओं के लिए उद्यम के साधन भी नहीं उपलब्ध हैं। नारी सुरक्षा व उनके संरक्षण को लेकर सरकार गंभीर है। सरकार चाहती है कि महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में आगे आकर पुरुषों की भांति काम करें। महिलाओं की सोंच भी कुछ ऐसी ही है, लेकिन संसाधनों के अभाव में उनके हौसलों को पंख नहीं मिल पाता है। सोनाक्षी, मीना, मातेश्वरी व अंजू प्राइवेट संस्था में काम करती हैं। वे बताती हैं कि सबसे पहले शहर की आवागमन को दुरुश्त करना होगा। ई-रिक्शों के संचालन का दायरा सीमित कर दिया गया है, ऐसे में उन्हें ऑफिस पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। जाम में फंसकर भी उनका कीमती वक्त बर्बाद होता है। समय से दफ्तर न पहुंचने पर बॉस की फटकार अलग से सुननी पड़ती है। सुनीता व अंजुम बताती हैं कि सब्जी मंडी के आस पास इतनी भीड़ होती है कि सांस फूलने लगता है। भीड़ देखकर बाजार में घुसने का मन नहीं करता। राखी, रीना व बविता की आर्थिक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। रोजगार पाने का उन्होंने तमाम प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। वे बताती हैं कि ग्रेजुएशन का मतलब अब कुछ नहीं रहा। तकनीकी शिक्षा ही काम आती है, जो उनके पास नहीं है। उनका कहना है कि वे अपने बच्चों को तकनीकी शिक्षा जरूर दिलाएंगी। सुधा, सलोनी, सावित्री व शबीहा व्यापार करने की इच्छा रखती हैं। उनके पास पैसे नहीं हैं। उन्हें यह भी नहीं पता कि बैंक से ऋण कैसे मिलता है। परिवारीजन उन्हें घर से बाहर नहीं जाने देते। इस नाते से उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी भी ठीक प्रकार से नहीं मिल पा रही है। पर्दे में रहते-रहते उनके विकास का रास्ता बंद होता जा रहा है। छात्राओं के लिए जिले में नहीं है क्रिकेट प्रशिक्षण की सुविधा शाबरून, आनंदी, मंदाकिनी, ऐश्वर्या, व नंदनी खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं। वे अभी पढ़ाई कर रही हैं। उनका कहना है कि जिले में छात्राओं के लिए क्रिकेट खेल का प्रशिक्षण शुरू करना चाहिए। यह एक ऐसा खेल है जिसकी लोकप्रियता दुनिया में है। तमाम छात्राएं क्रिकेट खेलकर देश का नाम रोशन करना चाहती हैं, लेकिन जिले में छात्राओं के लिए क्रिकेट का प्रशिक्षण देने वाला कोई नहीं है। शुभावती, लीलावती व रानी का कहना है कि सादुल्लाह नगर क्षेत्र में परिवहन निगम की बसें नहीं चलतीं। छोटे वाहनों में महिलाओं को भूसे की तरह भरा जाता है। महिलाओं की तरक्की के लिए सबसे पहले हर स्तर पर जिले में संसाधन उपलब्ध कराना होगा तभी महिलाएं तरक्की कर सकती हैं। सर्वाधिक दिक्कत कामकाजी महिलाओं को होती है। उन्हें घर से बाहर निकलकर लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है। महिलाओं के लिए उपलब्ध हो ब्याज रहित ऋण की व्यवस्था मीरा देवी, ललिता, लक्ष्मी, व पद्मा का कहना है कि महिलाओं को उद्यम के क्षेत्र में आगे बढ़ाना होगा। उन्हें ब्याज रहित ऋण की सुविधा उपलब्ध करानी होगी। वे बताती हैं कि महिलाएं व्यापार के मामले में पुरुषों से कहीं आगे निकल सकती हैं। महानगरों में महिलाओं की स्थिति तेजी से सुधर रही है, लेकिन छोटे जिलों में महिलाएं अभी हर मामलों में पीछे हैं। महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। प्राइवेट संस्थानों में भी महिलाओं को वरीयता मिलने लगी है, जिसे और बढ़ाना होगा। साथ ही पुरुषों को अपनी मनोदशा बदलनी होगी। महिलाओं के प्रति पुरुषों के मन में किसी प्रकार का दुर्भाव नहीं होना चाहिए। महिला यदि पढ़ी लिखी है तो उसे घर से बाहर निकलकर रोजगार करने का अवसर देना पुरुषों की जिम्मेदारी है। उनका यह भी कहना है कि राष्ट्र के विकास में महिलाओं की सहभागिता जरूरी है। यदि अवसर मिले तो महिलाएं देश की तस्वीर बदल सकती हैं। बाजार में पिंक शौचालयों की नहीं है व्यवस्था जिले में महिलाओं के लिए बाजार में पिंक शौचालय तक की व्यवस्था नहीं हैं। जरूरी सामानों की खरीदारी करने के लिए बाजार आने वाली महिलाओं को तमाम परेशानियां उठानी पड़ती हैं। घर से बाहर निकलते समय महिलाएं पानी नहीं पीतीं। उसकी सिर्फ एक वजह होती है कि उन्हें बाजार में टॉयलेट की सुविधा नहीं मिल पाती है। पानी न पीने से या पेशाब रोककर रखने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। महिलाओं का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रत्येक छोटे हॉट बाजारों में भी पिंक टॉयलेट की व्यवस्था होनी चाहिए।

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