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गरीबों के ओढ़ने को कथरी व बिछाने को है पुवाल, नहीं कोई पुरसाहाल

Balrampur News - बलरामपुर में ठंड से गरीब परिवार बेहाल हैं। रात की पछुआ हवाएं फूस के मड़हे को चीरती हैं, जिससे उन्हें ठंड से कठिनाई होती है। सरकारी कंबल वितरण की दावे हवाई साबित हो रहे हैं, और स्थानीय लोग राहत की...

Newswrap हिन्दुस्तान, बलरामपुरWed, 8 Jan 2025 05:57 PM
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अव्यवस्था फूस के मड़हे को चीरती हुई शरीर में सुई की तरह चुभती हैं रात में चलने वाली पछुआ हवाएं

लोग बोले: पूस की सर्द भरी रात गरीबों के लिए बनकर आती है काल, कोई नहीं है लेने वाला हाल

बलरामपुर, संवाददाता।

जिले में बुधवार को भी पूरे दिन सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। गलन भरी ठंड से गरीब तबके के लोग बेहाल हैं। पारा छह डिग्री के नीचे रहते हुए लोगों को कंपाता रहा। वहीं गरीबों पर पूस की सर्द रात भारी पड़ रही है। उनके पास बिछौने के नाम पर पुवाल है तो ओढ़ने के लिए कथरी। रात में चलने वाली पछुआ हवाएं फूस के मड़हे को चीरती हुई शरीर में सुई की तरह चुभती हैं। गरीबों को रात काटना मुश्किल हो रहा है। प्रत्येक गांव में दस कंबल बांटने का प्रशासनिक दावा हवाई साबित हो रहा है। सरकारी कंबलों की गर्मी प्रधान जी के चुनावी मददगारों तक ही पहुंच सकी है। लोगों जुबान पर बस एक ही बात थी कि पूस की सर्द रात गरीबों का काल बनकर आती है।

बात शुरू करते हैं रेहरा बाजार ब्लाक के भिरवा चौकीदारडीह से। 45 वर्षीय रेखा देवी फूस के मड़हे में बैठी थीं। इनके पति मजदूरी करने गए थे। चार पुत्री व दो पुत्र हैं। आगे छप्पर व पीछे 100 स्क्वायर फीट का एक कमरा है। कमरे के आधे से अधिक हिस्से में सामान रखे हैं। रेखा मड़हे में सोती हैं। वह बताती हैं धान के पुवाल पर पुरानी धोती का कवर चढ़ाकर गद्दे का रूप दिया है। ओढ़ने के लिए फटे चीथड़े कंबल हैं। दो फटे कंबलों के सहारे पति व बच्चों की रात कटती है। रेखा देवी कहती हैं कि सर्द पछुआ हवाएं शरीर में सुई की तरह चुभती हैं। ठंड जब हद से गुजर जाती है तो रात में अलाव का सहारा लेना पड़ता है। तमाम प्रयास के बावजूद रेखा को कंबल नहीं मिला। अपनी समस्या कई बार लेखपाल से बताई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इस गांव में दर्जन भर लोगों से समस्याएं पूछी गई तो सभी ने कंबल न मिलने का दर्द बताया। कहा कि दिन तो किसी तरह कट जाता है, लेकिन रात में ठंड से निपटना मुश्किल भरा रहता है। अधिकांश परिवारों के पास रजाई गद्दों का इंतजाम नहीं है। वे मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। कंबल मिलने पर उन्हें काफी राहत महसूस होगी।

कोट

यदि कोई जनप्रतिनिधि मांग करता है तो उसे वितरण के लिए कंबल मुहैया कराया जाता है। तीनों तहसीलों में 1500-1500 कंबल का वितरण किया जा चुका है। ग्राम पंचायत स्तर पर लाभार्थियों का चयन लेखपालों के जिम्मे होता है। यदि कोई लापरवाही करता पाया गया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

प्रदीप कुमार, एडीएम बलरामपुर

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