बोले बलरामपुर-नेपाल सीमा से सटी सड़कों की हालत में सुधार नहीं
Balrampur News - समस्या जरवा, संवाददाता। भारत नेपाल सीमा स्थित सड़कों की हालत जर्जर है। भारतीय क्षेत्र की

समस्या जरवा, संवाददाता।
भारत नेपाल सीमा स्थित सड़कों की हालत जर्जर है। भारतीय क्षेत्र की सीमावर्ती सड़कें बदहाली का दंश झेल रही हैं। सड़कें इतनी खराब हैं कि उनपर वाहनों को चलाना मुश्किल हो रहा है। सड़कों के गड्ढों को नहीं भरा जा रहा और न ही उसकी पिचिंग कराई जा रही। सीमा क्षेत्र की सड़कों को ठीक करने का दावा हर साल किया जाता है, लेकिन काम केवल कागजों तक सिमट कर रह जाता है। जरवा क्षेत्र से गैसड़ी अथवा पचपेड़वा तक चार पहिया वाहनों की बात तो दूर बाइक से पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है। वर्षा ऋतु में अधिकांश सड़कों पर पानी भर जाता है, जिससे राहगीरों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
नेपाल सीमा से लगीं अधिकांश सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं। सड़कों में गहरे गड्ढे हैं। गिट्टियां उखड़कर सड़कों पर बिखरी पड़ी हैं, जिसके कारण आए दिन साइकिल व बाइक सवार लोग फिसलकर गिरकर चोटिल हो जाते हैं। लोगों का इन मार्गों पर चलना खतरे से खाली नहीं है। क्षेत्रवासियों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों से क्षेत्र की सड़कों के मरम्मत कराने की मांग की, लेकिन इस समस्या की ओर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। करैली से गनेशपुर जाने वाली सड़क की गिट्टियां उजड़ गई हैं। ग्रामीण अजय सिंह, शोभा राम, राजित राम आदि ने बताया कि सड़क को दुरुस्त कराने की मांग लम्बे समय से की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई। इस मार्ग पर हर महीने दुर्घटना में आधा दर्जन लोगों से कम घायल नहीं होते। यह सड़क नेपाल सीमा से सटी है। यह क्षेत्र नेपाल से कोयलाबास से सटा हुआ है। सैन्य दृष्टिकोण से भी बार्डर एरिया की सड़कें काफी महत्वपूर्ण मानी गई हैं। राजेश कुमार व मंगल प्रसाद आदि का कहना है कि सड़क इतनी जर्जर है कि एंबुलेंस का आवागमन भी मुश्किल हो जाता है। साइकिल से जाने वाली बेटियां समय से स्कूल नहीं पहुंच पातीं। आए दिन छात्र-छात्राएं सड़क गड्ढों में फंसकर चोटिल होते रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है सड़क खराब होने के कारण इस मार्ग पर ई-रिक्शा चालक जाने को तैयार नहीं होते। जिस कारण ग्रामीणों को गांव पहुंचने के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र के सड़कों की मरम्मत को लेकर कई बार जिम्मेदार अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
उजड़कर ध्वस्त हो गई प्रतापपुर से विशुनपुर कलॉ जाने वाली सड़क
जरवा रोड से प्रतापपुर होते हुए विशनपुर कलॉ जाने वाली सड़क का हाल बेहाल है। यह सड़क उजड़कर ध्वस्त हो चुकी है। गिट्टियां उखड़कर सड़कों पर बिखर गई हैं, जिस कारण किसी-किसी स्थान पर पक्की सड़क प्रतीत होने लगी है। बरसात के दिनों में सड़कों पर कीचड़ फैल जाता है, जिस कारण इन दिनों इस मार्ग से आवागमन करना बहुत ही मुश्किल भरा हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में यदि किसी की तबियत खराब हो जाए तो मरीज को अस्पताल तक ले जाने में नाकों चने चबाने पड़ते हैं। गांव तक किसी भी वाहन का पहुंचना संभव नहीं हो पाता। यहां तक कि साइकिल व बाइक सवारों का भी इस पर चलना जान जोखिम में डालने के बराबर रहता है। स्कूली छात्र-छात्राओं को कीचड़ भरे रास्ते से पैदल ही जाना पड़ता है, जिससे अक्सर उनके कपड़े व बैग आदि कीचड़ से सन जाते हैं। क्षेत्रवासियों ने जिम्मेदार अधिकारियों से क्षेत्र की सड़क मरम्मत कराने की गुहार लगाई है।
पांच वर्षों से ध्वस्त सड़क की नहीं हुई मरम्मत
जरवा रोड से टिकुइया जाने वाली सड़क पिछले पांच साल से उजड़ी हुई है। यह सड़क दुरुस्त कराने की मांग लम्बे समय से की जा रही है। खराब सड़क के कारण लोगों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सड़क की ऊपरी परत उजड़कर खत्म हो चुकी है। गिट्टियां बाहर आ गई हैं। टिकुइया के बाद सोहेलवा वन्यजीव क्षेत्र शुरू हो जाता है, जहां तक जाने का कोई सुगम रास्ता नहीं है। जंगलवर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां के लोगों को हर समय वन्यजीवों का खतरा सताता रहता है। सड़क खराब होने के कारण शाम होते ही लोग इस मार्ग पर आवागमन बंद कर देते हैं। क्षेत्र में आए दिन तेंदुआ दिखने की सूचना मिलती रहती है। मनोज कुमार, मंगल प्रसाद, शोभित आदि ने बताया कि यह सड़क नेपाल सीमा से सटी होने से दोनों देश के लोगों को आवागमन इस मार्ग से होता है। ऐसे में अगर क्षेत्र की सड़कों को दुरुस्त करा दिया जाए तो लोगों की समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है।
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