233जपौधों का नहीं हुआ संरक्षण, कैसे दूर हो प्रदूषण
Balrampur News - जिले में लगभग 36 लाख पौधों का रोपण किया गया, लेकिन संरक्षण और सिंचाई के अभाव में अधिकांश पौधे सूख गए। विभागों को पौधरोपण का लक्ष्य तो दिया गया, लेकिन देखरेख की कोई गारंटी नहीं ली गई। केवल वन विभाग के...
लापरवाही विभागों को सौंपा जाता है पौधरोपण का लक्ष्य, संरक्षण की गारंटी न लेने पर सूख जाते हैं पौधे
इस बार जिले में रोपित किए गए लगभग साढ़े 36 लाख पौधे, संरक्षण व सिंचाई के अभाव में अधिकतर पौधे सूखे
बलरामपुर, संवाददाता।
तीन माह के बीच रोपित किए गए पौधे कहां गुम हो गए इसका पता नहीं चल पा रहा है। अधिकांश पौधे देखरेख की अभाव में या तो सूख गए या फिर निराश्रित मवेशियों का निवाला बन गए। पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण किए जाने की बात जिले में हवाई साबित हो रही है। विभागों को पौधरोपण का लक्ष्य तो दिया जाता है, लेकिन उसके संरक्षण की गारंटी कोई नहीं लेता। केवल वन विभाग के पौधे जंगल में होने के कारण बच जाते हैं। शेष अन्य पौधे देखरेख की अभाव में नष्ट हो जाते हैं। पौधरोपण के बाद विभाग न तो ट्री गार्ड लगाता है और न ही समय पर उसकी सिंचाई की जाती है, जिस कारण पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं।
इस बार जिले में लगभग 36 लाख 50 हजार पौधों का रोपण कराया गया है। पौधरोपण अभियान, मिशन हरियाली, एक पेड़ मां के नाम व विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधरोपण की कवायद फोटो खिंचवाने तक रही। लोक निर्माण विभाग ने सड़क किनारे पौधरोपण कराया, जिसका अता पता नहीं है। वन्य एवं वन्यजीव विभाग की ओर से 4 लाख 49100, ग्राम्य विकास विभाग दो लाख 40 हजार, कृषि विभाग 34 हजार 400, नगर विकास विभाग 29 हजार, उच्च शिक्षा 25 हजार, बेसिक शिक्षा 17 हजार, लोक निर्माण विभाग 17 हजार, उद्योग विभाग 13 हजार, स्वास्थ्य विभाग 11 हजार, माध्यमिक शिक्षा 10 हजार, गृह विभाग 9500, सहकारिता 7500 व प्राविधिक शिक्षा को सात हजार पौधों के रोपण का लक्ष्य दिया गया था। इसी तरह उद्यान विभाग को 21 लाख दो हजार, पर्यावरण विभाग को 12 लाख पांच हजार, रक्षा विभाग 23 हजार, जल शक्ति विभाग 17 हजार, रेलवे विभाग 12 हजार, पशुपालन विभाग सात हजार, श्रम विभाग 4300, ऊर्जा विभाग 5300, रेशम विभाग को 21 हजार व परिवहन विभाग ने 4100 पौधों के रोपण का दावा किया है।
कोट
लक्ष्य के अनुरूप पौधों का रोपण जिले में कराया गया है। वन विभाग की ओर से रोपे गए सभी पौधे सुरक्षित हैं, अन्य विभागों की क्या स्थिति है इसका पता लगाया जाएगा। पौधरोपण के साथ-साथ उनका संरक्षण किया जाना जरूरी है।
डॉ सेम्मारन एम, डीएफओ सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग
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