पानी को बर्बाद करने से बाज नहीं आ रहे लोग
उतरौला। जल ही जीवन है, जितनी आवश्यकता हो उतना ही पानी का खर्च करें। ऐसे
उतरौला। जल ही जीवन है, जितनी आवश्यकता हो उतना ही पानी का खर्च करें। ऐसे शब्दों का प्रयोग गोष्ठियों व सेमिनारों में शासन-प्रशासन के प्रमुख व्यक्तियों से सुने जा सकते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जल को बचाने की कवायद पर कोई ठोस पहल न करते हुए उसे बर्बाद होने दिया जा रहा है। सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं। नगर के विभिन्न स्थानों पर संचालित हो रहे धुलाई केन्द्रों पर हजारों गैलन पानी गाड़ियों की धुलाई में खर्च हो जाता है। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन धुलाई का धंधा जोरों पर है। जहां दिन भर पानी की बर्बादी होती रहती है। नगर में डुमरियागंज मार्ग, बलरामपुर मार्ग व मनकापुर आदि मार्गों पर अनेकों धुलाई सेंटर खुले हैं, जहां पर दिन भर पानी की भारी मात्रा में बर्बादी होती रहती है। इसके बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। धुलाई सेंटरों के संचालकों के सामने शासन-प्रशासन के जल संचय जैसे आदर्श वाक्य भी बौने साबित हो रहे हैं।
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