बलरामपुर-बाढ़ में टापू बन जाते हैं गांव, विकास को नहीं मिली छांव
हर्रैया सतघरवा। सदर ब्लाक के टेढ़ीप्रास गांव का मजरा है रामगंज व छीटनडीह। वर्षा...
हर्रैया सतघरवा। सदर ब्लाक के टेढ़ीप्रास गांव का मजरा है रामगंज व छीटनडीह। वर्षा काल में यह मजरे टापू बन जाते हैं। मजरे पहाड़ी नालों से चहुं ओर घिरे हैं। टेढ़ीप्रास व उसके छह मजरों में ढेला भर विकास कार्य नहीं हुआ है। वहां नाली, खड़ंजे व शुद्ध पेयजल का अकाल है। इस बार पंचायत चुनाव में छह प्रत्याशी गांव के विकास का दम भर रहे हैं, लेकिन जनता को उन पर पूर्ण भरोसा नहीं है। ग्रामीणों का मानना है कि उन्हें नारकीय जीवन से उबारने वाला कोई नहीं है। ग्राम पंचायत टेढ़ीप्रास से रामगंज, छीटनडीह, मजरेठी, चिरौंजीपुर, डफालीपुरवा व डेरवा मजरे संबद्ध हैं। गांव के आस-पास धोबैनिया, कचनी, जमधरा व फोहरी नाले बहते हैं। इन नालों में पहाड़ का कीमती रेत भरा है, जहां वर्ष भर बालू का अवैध खनन किया जाता है। गांव के किसी भी मजरे में समुचित विकास नहीं हुआ हैं। बाढ़ आने पर टेढ़ीप्रास व उसके सभी मजरे पानी से घिर जाते हैं। सबसे बुरा हाल होता है रामगंज व छीटनडीह का। इन गांवों कोचारो ओर से धोबैनिया, कचनी, जमधरा व फोहरी नाले ने घेर रखा है। दोनों मजरे वर्षा काल में टापू बन जाते हैं। वहां लोगों के घरों में पहाड़ी नालों का पानी घुस जाता है। गांव में 1435 मतदाता हैं।
100 बीघा जमीन नाले में हुई समाहित
गत वर्ष करीब 100 बीघा जमीन नाले में समाहित हुई है। रामगंज व छीटनडीह निवासी तीरथ, लाडला, राधेश्याम, तेज नरायन, रामसुंदर, कर्ताराम, रामबहोर, स्वामीदयाल, किनकन, डिप्टी व रामजस बताते हैं कि वे नाला कटान से भूमिहीन होने की कगार पर पहुंच गए हैं। नाला कटान करते हुए गांवों की तरफ लगातार बढ़ रहा है। आने वाले समय में आशियाना अपने हाथों से उजाड़ना पड़ेगा। सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो बच्चों का पालन-पोषण मुश्किल हो जाएगा। खेती किसानी चौपट हो चुकी है। बाढ़ की स्थिति में गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। बीमारों का इलाज नहीं हो पाता।
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